पोंगल पर तमिलनाडु में नहीं होगा जल्लीकट्टू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में खेले जाने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगी दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में अंतिरम आदेश जारी कर दिया है। अब पोंगल फेस्टिवल के दौरान यह खेल नहीं खेला जाएगा।
इससे पहले जलीकट्टू मामले की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भानुमति ने खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की।
क्या थी केंद्र सरकार की दलील...
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक पुरानी प्रथा है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता। यह स्पेन की तरह बैलों की लडाई नहीं है बल्कि एक खेल है।
सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर जल्लीकट्टू पर से बैन हटाया था। जानवरों पर अत्याचार का हवाला देकर इस पारंपरिक खेल पर पहले बैन लगा दिया गया था। इस खेल से रोक हटाने के केन्द्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एनिमल वलफेयर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
क्या थी याचिका...
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार की 7 जनवरी की अधिसूचना के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू खेल और बैलों की रेस को जानवरों के प्रति हिंसा बताया गया है और उस पर रोक की मांग की गई थी। इस याचिका को एक एनजीओ ने दायर किया था। इससे पहले जल्लीकट्टू पर लगे चार साल पुराने प्रतिबंध को केंद्र सरकार ने हाल ही में हटा दिया था।
तमिलनाडु में बहुत जल्द होने हैं चुनाव...
तमिलनाडु में बहुत जल्द चुनाव होने वाले हैं। इसलिए इस प्रतिबंध को हटाए जाने के फैसलों को काफी अहम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सांढ़ों को काबू करने के इस खेल (जल्लीकट्टू) पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित जानवरों की सूची से सांडो को हटा दिया था। इस खेल पर से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था।
केंद्र सरकार ने और राज्यों में भी जल्लीकट्टू की दी अनुमति...
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू और गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और पंजाब में बैलगाड़ियों की दौड़ में सांढ़ों को शामिल करने की अनुमति दे दी है।
इससे पहले जलीकट्टू मामले की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भानुमति ने खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की।
क्या थी केंद्र सरकार की दलील...
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक पुरानी प्रथा है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता। यह स्पेन की तरह बैलों की लडाई नहीं है बल्कि एक खेल है।
सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर जल्लीकट्टू पर से बैन हटाया था। जानवरों पर अत्याचार का हवाला देकर इस पारंपरिक खेल पर पहले बैन लगा दिया गया था। इस खेल से रोक हटाने के केन्द्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एनिमल वलफेयर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
क्या थी याचिका...
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार की 7 जनवरी की अधिसूचना के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू खेल और बैलों की रेस को जानवरों के प्रति हिंसा बताया गया है और उस पर रोक की मांग की गई थी। इस याचिका को एक एनजीओ ने दायर किया था। इससे पहले जल्लीकट्टू पर लगे चार साल पुराने प्रतिबंध को केंद्र सरकार ने हाल ही में हटा दिया था।
तमिलनाडु में बहुत जल्द होने हैं चुनाव...
तमिलनाडु में बहुत जल्द चुनाव होने वाले हैं। इसलिए इस प्रतिबंध को हटाए जाने के फैसलों को काफी अहम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सांढ़ों को काबू करने के इस खेल (जल्लीकट्टू) पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित जानवरों की सूची से सांडो को हटा दिया था। इस खेल पर से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था।
केंद्र सरकार ने और राज्यों में भी जल्लीकट्टू की दी अनुमति...
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू और गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और पंजाब में बैलगाड़ियों की दौड़ में सांढ़ों को शामिल करने की अनुमति दे दी है।
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