संजय दत्त (फाइल फोटो)
मुंबई:
फिल्म 'लगे रहो मुन्नाभाई' में संजय दत्त ने रेडियो जॉकी के रूप में माइक संभाला था और काफी तारीफें भी बटोरी थीं। अब ऐसी ही सफलता उन्हें पुणे के येरवडा जेल के रेडियो स्टेशन में मिल रही है जहां वह आरजे और प्रोड्यूसर का रोल निभा रहे हैं। पिछले महीने से दत्त ने जेल के रेडियो स्टेशन में एक शो होस्ट करना शुरू किया है जिसका नाम है 'आपकी फरमाइश'। इस कार्यक्रम में सुनने वालों के पसंदीदा गीत, कविताएं और फिल्मी डायलॉग सुनाए जाते हैं।
दत्त के जेल से छूटने में अभी एक महीना भी नहीं बचा है और उनका यह कार्यक्रम सुपरहिट हो गया है। कैदी अपनी फरमाइशें लगातार इस शो में भेज रहे हैं। गौरतलब है कि येरवडा जेल की अंडा सेल, हाई सेक्योरिटी सेल और 30 बैरक में कुल 4,133 कैदी हैं। यह रेडियो चैनल पिछले साल जुलाई में कैदियों के मनोरंजन और उनके किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रहने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। सिर्फ पायलेट शो के उद्देश्य से शुरू किया गया यह रेडियो स्टेशन इतना लोकप्रिय हो गया कि अब यह छुट्टी के दिन भी बंद नहीं होता।
1993 मुंबई ब्लास्ट से जुड़े एक मामले में येरवडा जेल में अपनी सज़ा काट रहे दत्त को रेडियो कार्यक्रम के होस्ट के रूप में चुना जाना स्वाभाविक था। तीन और कैदियों के साथ संजय यहां आरजे का काम करते हैं, साथ ही जेल में पेपर बैग भी बनाते हैं। 'आप की फरमाइश' कार्यक्रम में संजय से रोज़ उन्हीं की फिल्मों के गाने सुनाने की गुज़ारिश की जाती है, साथ ही उन्हें अपनी फिल्म का कम से कम एक डायलॉग सुनाना ही पड़ता है।
इस रेडियो स्टेशन पर हर दिन चार शो आते हैं, सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक, उस दौरान जब कैदी अपने रोज़मर्रा के काम के साथ साथ खाना खाते हैं। जेल अधिकारियों के अनुशासन में दत्त और उनके तीन और साथी हर रोज़ इन कार्यक्रमों की योजना और संचालन करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से जेल के एक सूत्र बताते हैं 'जेल के सभी 30 बैरक में सुझाव पेटी रखी हुई है, जिसके जरिए कैदी अपनी पसंद के गाने, शायरी और अपनी ही लिखी कविताओं को रेडियो पर प्ले करने की गुजारिश करते हैं। इन्हीं फरमाइशों के आधार पर चारों आरजे और जेल अधिकारी दिन की थीम तैयार करते हैं और गानों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए शो को एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है।'
एक और अधिकारी बताते हैं 'संजय दत्त एकदम मुन्नाभाई स्टाइल में ही शो की शुरूआत करते हैं और अपने श्रोताओं का 'नमस्कार भाई लोग' कहकर अभिवादन करते हैं। हर बैरक और हर इलाके में स्पीकर लगे हुए हैं ताकि कैदी अपना काम करते हुए भी शो का आनंद उठा सकें। हर रोज़ मौके और मुद्दों के हिसाब से कार्यक्रम की थीम होती है। अब जबकि कई कैदियों को पता है कि दत्त एक महीने में छूट जाएंगे इसलिए ज्यादा से ज्यादा उन्हीं की फिल्मों के गाने और संवाद की फरमाइश की जा रही है जैसे मुन्ना भाई एमबीबीएस और लगे रहो मुन्ना भाई।'
यहां फिल्म 'बॉर्डर' के 'संदेशे आते हैं' जैसी गीत भी काफी लोकप्रिय है और कई बार शो फिल्मी हस्तियों के जन्मदिन के हिसाब से भी तैयार किए जाते हैं जिसमें उन्हीं की फिल्मों के गाने बजाए जाते हैं। दत्त के शो के जरिए कैदी अपने परिवार वालों के नाम भी गाने समर्पित करते हैं और एक दूसरे को जन्मदिन की बधाई भी देते हैं। भूषण कुमार उपाध्याय, अतिरिक्त डीजी (जेल) बताते हैं 'संगीत एक ऐसी सहलाने वाली प्रक्रिया है जो आपकी आत्मा को छूती है और मानवतावादी सोच को व्यक्त करने में मदद करती है। हम संजय दत्त को किसी स्टार की तरह नहीं एक कैदी की तरह देखते हैं। उन्हें रेडियो स्टेशन के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया क्योंकि उनमें प्रतिभा है।'
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कैसे चलता है जेल का यह रेडियो स्टेशन
जेल के प्रशासनिक दफ्तर के पास 20*20 मीटर कमरे में यह रेडियो स्टेशन है। यहां अलग अलग स्लॉट हैं जिसकी शुरूआत दत्त के अभिवादन और डायलॉग से होती है। साथ ही शहर की खबरें, पूरे दिन होने वाले कुछ सकारात्मक कार्यक्रम और गीतों को सुनाया जाता है। अलग अलग आध्यात्मिक गुरू से बातचीत के अलावा हर दिन एक राष्ट्रभक्ति गीत भी प्ले किया जाता है। शो की योजना एक दिन पहले तैयार की जाती है। शाम 6 बजे कैदियों के सुझाव इकट्ठा किए जाते हैं जिसे पहले जेलर और फिर चारों आरजे देखते हैं। अगले दिन सुबह 9 बजे से पहले रिकॉर्डिंग कर ली जाती है और इसके दो घंटे बाद शो रेडियो पर सुनाया जाता है।
जिन डायलॉग की सबसे ज्यादा डिमांड है
- 'असली है असली। पचास तोला..कितना? पचास तोला' (फिल्म - वास्तव)
- 'फुल कॉन्फिडेंस में जाने का और एकदम विनम्रता के साथ करने का' (फिल्म - लगे रहो मुन्नाभाई)
- 'अपुन के पास बापू है मामू!' (फिल्म - लगे रहो मुन्नाभाई)
जेल में होने वाली अन्य गतिविधियां
टीवी पर दूरदर्शन, लाइब्रेरी, वॉलीबॉल,चेस,कैरम
दत्त के जेल से छूटने में अभी एक महीना भी नहीं बचा है और उनका यह कार्यक्रम सुपरहिट हो गया है। कैदी अपनी फरमाइशें लगातार इस शो में भेज रहे हैं। गौरतलब है कि येरवडा जेल की अंडा सेल, हाई सेक्योरिटी सेल और 30 बैरक में कुल 4,133 कैदी हैं। यह रेडियो चैनल पिछले साल जुलाई में कैदियों के मनोरंजन और उनके किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रहने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। सिर्फ पायलेट शो के उद्देश्य से शुरू किया गया यह रेडियो स्टेशन इतना लोकप्रिय हो गया कि अब यह छुट्टी के दिन भी बंद नहीं होता।
1993 मुंबई ब्लास्ट से जुड़े एक मामले में येरवडा जेल में अपनी सज़ा काट रहे दत्त को रेडियो कार्यक्रम के होस्ट के रूप में चुना जाना स्वाभाविक था। तीन और कैदियों के साथ संजय यहां आरजे का काम करते हैं, साथ ही जेल में पेपर बैग भी बनाते हैं। 'आप की फरमाइश' कार्यक्रम में संजय से रोज़ उन्हीं की फिल्मों के गाने सुनाने की गुज़ारिश की जाती है, साथ ही उन्हें अपनी फिल्म का कम से कम एक डायलॉग सुनाना ही पड़ता है।
इस रेडियो स्टेशन पर हर दिन चार शो आते हैं, सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक, उस दौरान जब कैदी अपने रोज़मर्रा के काम के साथ साथ खाना खाते हैं। जेल अधिकारियों के अनुशासन में दत्त और उनके तीन और साथी हर रोज़ इन कार्यक्रमों की योजना और संचालन करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से जेल के एक सूत्र बताते हैं 'जेल के सभी 30 बैरक में सुझाव पेटी रखी हुई है, जिसके जरिए कैदी अपनी पसंद के गाने, शायरी और अपनी ही लिखी कविताओं को रेडियो पर प्ले करने की गुजारिश करते हैं। इन्हीं फरमाइशों के आधार पर चारों आरजे और जेल अधिकारी दिन की थीम तैयार करते हैं और गानों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए शो को एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है।'
एक और अधिकारी बताते हैं 'संजय दत्त एकदम मुन्नाभाई स्टाइल में ही शो की शुरूआत करते हैं और अपने श्रोताओं का 'नमस्कार भाई लोग' कहकर अभिवादन करते हैं। हर बैरक और हर इलाके में स्पीकर लगे हुए हैं ताकि कैदी अपना काम करते हुए भी शो का आनंद उठा सकें। हर रोज़ मौके और मुद्दों के हिसाब से कार्यक्रम की थीम होती है। अब जबकि कई कैदियों को पता है कि दत्त एक महीने में छूट जाएंगे इसलिए ज्यादा से ज्यादा उन्हीं की फिल्मों के गाने और संवाद की फरमाइश की जा रही है जैसे मुन्ना भाई एमबीबीएस और लगे रहो मुन्ना भाई।'
यहां फिल्म 'बॉर्डर' के 'संदेशे आते हैं' जैसी गीत भी काफी लोकप्रिय है और कई बार शो फिल्मी हस्तियों के जन्मदिन के हिसाब से भी तैयार किए जाते हैं जिसमें उन्हीं की फिल्मों के गाने बजाए जाते हैं। दत्त के शो के जरिए कैदी अपने परिवार वालों के नाम भी गाने समर्पित करते हैं और एक दूसरे को जन्मदिन की बधाई भी देते हैं। भूषण कुमार उपाध्याय, अतिरिक्त डीजी (जेल) बताते हैं 'संगीत एक ऐसी सहलाने वाली प्रक्रिया है जो आपकी आत्मा को छूती है और मानवतावादी सोच को व्यक्त करने में मदद करती है। हम संजय दत्त को किसी स्टार की तरह नहीं एक कैदी की तरह देखते हैं। उन्हें रेडियो स्टेशन के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया क्योंकि उनमें प्रतिभा है।'
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कैसे चलता है जेल का यह रेडियो स्टेशन
जेल के प्रशासनिक दफ्तर के पास 20*20 मीटर कमरे में यह रेडियो स्टेशन है। यहां अलग अलग स्लॉट हैं जिसकी शुरूआत दत्त के अभिवादन और डायलॉग से होती है। साथ ही शहर की खबरें, पूरे दिन होने वाले कुछ सकारात्मक कार्यक्रम और गीतों को सुनाया जाता है। अलग अलग आध्यात्मिक गुरू से बातचीत के अलावा हर दिन एक राष्ट्रभक्ति गीत भी प्ले किया जाता है। शो की योजना एक दिन पहले तैयार की जाती है। शाम 6 बजे कैदियों के सुझाव इकट्ठा किए जाते हैं जिसे पहले जेलर और फिर चारों आरजे देखते हैं। अगले दिन सुबह 9 बजे से पहले रिकॉर्डिंग कर ली जाती है और इसके दो घंटे बाद शो रेडियो पर सुनाया जाता है।
जिन डायलॉग की सबसे ज्यादा डिमांड है
- 'असली है असली। पचास तोला..कितना? पचास तोला' (फिल्म - वास्तव)
- 'फुल कॉन्फिडेंस में जाने का और एकदम विनम्रता के साथ करने का' (फिल्म - लगे रहो मुन्नाभाई)
- 'अपुन के पास बापू है मामू!' (फिल्म - लगे रहो मुन्नाभाई)
जेल में होने वाली अन्य गतिविधियां
टीवी पर दूरदर्शन, लाइब्रेरी, वॉलीबॉल,चेस,कैरम
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