हैदराबाद:
आंध्र प्रदेश की राजनैतिक पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी आज जेल से बाहर आ गए। जेल के बाहर कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। वह आय से अधिक संपत्ति के मामले में पिछले साल मई से ही जेल में बंद थे।
इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। केस की सुनवाई के दौरान जगन मोहन रेड्डी के वकील ने कहा था कि सीबीआई ने जगन के मामले की जांच पूरी कर ली है इसलिए उन्हें अब जमानत मिल जानी चाहिए।
गौरतलब है कि जगनमोहन (40) को करीब 16 महीनों तक चंचलगुड़ा सेंट्रल जेल में रहने के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश यू दुर्गाप्रसाद राव ने दो लाख रुपये के निजी बांड और इतनी ही राशि के मुचलकों पर जमानत दे दी।
अदालत ने जगनमोहन को निर्देश दिया कि वह अदालत की अनुमति के बगैर हैदराबाद से बाहर नहीं जाएंगे और न ही सीधे या परोक्ष रूप से किसी गवाह को प्रभावित करेंगे। इसके साथ ही उन्हें मामले की कार्यवाही के दौरान अदालत के समक्ष उपस्थित रहने को भी कहा गया है।
अदालत ने कहा कि अगर जगनमोहन इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो सीबीआई उनकी जमानत रद्द करने की मांग कर सकती है।
यह मामला जगनमोहन की कंपनियों में विभिन्न कंपनियों के निवेश से संबंधित है जो उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान अन्य लाभ लेने के उद्देश्य से किए गए थे। राजशेखर रेड्डी 2004 से 2009 के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
विश्लेषकों को लगता है कि जगनमोहन की रिहाई से उनकी पार्टी को नई ऊर्जा मिल सकती है, खास कर तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों में जहां पृथक तेलंगाना राज्य बनाने के प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि आंदोलन को व्यापक समर्थन मिल रहा है लेकिन अब तक यहां लोकप्रिय नेता का अभाव रहा है और जगनमोहन यह कमी दूर कर सकते हैं।
जगनमोहन की पत्नी भारती और वाईएसआर कांग्रेस के कई नेता अदालत कक्ष में मौजूद थे। इसके पहले सीबीआई ने जगनमोहन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जमानत पर बाहर आने के बाद कडप्पा से सांसद मामले की सुनवाई को प्रभावित कर सकते हैं।
जगनमोहन ने जमानत याचिका में दलील दी थी कि आंध्र प्रदेश को विभाजित किए जाने को लेकर तटीय आंध्र और रायलसीमा में चल रहे आंदोलन के मद्देनजर उनके लिए जरूरी है कि वे लोगों के साथ रहें और एक राजनीतिक दल के नेता के रूप में आंदोलन की अगुवाई करें।
प्रमुख जांच एजेंसी ने जगनमोहन के खिलाफ अधिक संपत्ति मामले में अब तक 10 आरोप पत्र दाखिल किए हैं। आखिरी दो आरोपपत्र 17 सितंबर को दाखिल किए गए थे।
इस मामले में बीसीसीआई प्रमुख और इंडिया सीमेन्ट्स के उपाध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवासन, डालमिया सीमेन्ट्स के उपाध्यक्ष पुनीत डालमिया, अरबिन्दो फर्मा के उपाध्यक्ष नित्यानंद रेड्डी, रामकी इन्फ्रा के अध्यक्ष ए दासराधारामी रेड्डी और निम्मगड्डा प्रसाद सहित कई रसूखदार लोग भी आरोपी हैं।
जांच एजेंसी ने विभिन्न आरोपपत्रों में पूर्व मंत्रियों एम वेंकट रामन राव, सबिता इंद्रा रेड्डी और डी प्रसाद राव तथा वर्तमान मंत्री जे गीता रेड्डी के नाम भी शामिल किए हैं।
उद्योगपति निम्मगड्डा गिरफ्तारी के बाद से चंचलगुड़ा जेल में हैं। वेंकट रामन राव को स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। जगनमोहन ने जमानत के लिए 11 सितंबर को याचिका दाखिल की थी और दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को जांच पूरा करने के लिए चार महीनों का समय दिया था और यह 9 सितंबर को पूरा हो गया है।
जगनमोहन गिरफ्तारी के बाद 27 मई 2012 से यहां चंचलगुडा सेंट्रल जेल में बंद हैं। इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने 5 अक्तूबर 2012 और इस साल 9 मई को जगनमोहन की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
इस बीच, जगनमोहन की रिहाई को उनकी वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाला घटनाक्रम कहा जा रहा है। कल उनकी रिहाई न केवल पार्टी के लिए नई ऊर्जा देने वाली होगी बल्कि ऐसे समय पर आंध्रप्रदेश की राजनीति में नया मोड़ लाएगी जब राज्य में विभाजन के मुद्दे पर आंदोलन चल रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि निश्चित रूप से जगनमोहन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तटीय आंध्र-रायलसीमा क्षेत्र में निर्विवाद नेता के रूप में उभरेंगे क्योंकि वाईआरएस कांग्रेस पहले ही एकीकृत राज्य का पक्ष ले चुकी है।
एकीकृत राज्य के लिए मजबूत आंदोलन चल रहा है लेकिन सीमांध्र क्षेत्र में प्रभावी नेता का अभाव है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जगनमोहन यह कमी दूर कर सकते हैं। बहरहाल जगन को सबसे पहले अपनी पार्टी से जुड़े कुछ अंदरूनी मुद्दे सुलझाने होंगे। एकीकृत आंध्रप्रदेश का पक्ष लेकर वाईएसआर कांग्रेस तेलंगाना क्षेत्र में बहुत कमजोर हो चुकी है। अंदरूनी कलह की वजह से सीमांध्र क्षेत्र के कई जिलों में भी पार्टी मजबूत स्थिति में नहीं है।
इसके अलावा जगनमोहन करीब 16 माह से जेल में थे और इस दौरान उनकी पार्टी एक तरह से नेतृत्व विहीन थी। हालांकि उनकी मां वाईएस विजया और छोटी बहन शर्मिला ने पार्टी की जिम्मेदारी निभाने की कोशिश की।
जनता के सामने आने से पहले जगन को जमानत की शर्तों को भी ध्यान में रखना होगा। एक शर्त में उन पर हैदराबाद से बाहर जाने पर रोक लगाई गई है।
जेल में 485 दिनों के प्रवास में जगनमोहन अपने परिवार वालों के अलावा विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं से भी मिलते थे और जेल से ही पार्टी नेतृत्व को हर मुद्दे पर दिशानिर्देश देते थे।
इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। केस की सुनवाई के दौरान जगन मोहन रेड्डी के वकील ने कहा था कि सीबीआई ने जगन के मामले की जांच पूरी कर ली है इसलिए उन्हें अब जमानत मिल जानी चाहिए।
गौरतलब है कि जगनमोहन (40) को करीब 16 महीनों तक चंचलगुड़ा सेंट्रल जेल में रहने के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश यू दुर्गाप्रसाद राव ने दो लाख रुपये के निजी बांड और इतनी ही राशि के मुचलकों पर जमानत दे दी।
अदालत ने जगनमोहन को निर्देश दिया कि वह अदालत की अनुमति के बगैर हैदराबाद से बाहर नहीं जाएंगे और न ही सीधे या परोक्ष रूप से किसी गवाह को प्रभावित करेंगे। इसके साथ ही उन्हें मामले की कार्यवाही के दौरान अदालत के समक्ष उपस्थित रहने को भी कहा गया है।
अदालत ने कहा कि अगर जगनमोहन इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो सीबीआई उनकी जमानत रद्द करने की मांग कर सकती है।
यह मामला जगनमोहन की कंपनियों में विभिन्न कंपनियों के निवेश से संबंधित है जो उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान अन्य लाभ लेने के उद्देश्य से किए गए थे। राजशेखर रेड्डी 2004 से 2009 के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
विश्लेषकों को लगता है कि जगनमोहन की रिहाई से उनकी पार्टी को नई ऊर्जा मिल सकती है, खास कर तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों में जहां पृथक तेलंगाना राज्य बनाने के प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि आंदोलन को व्यापक समर्थन मिल रहा है लेकिन अब तक यहां लोकप्रिय नेता का अभाव रहा है और जगनमोहन यह कमी दूर कर सकते हैं।
जगनमोहन की पत्नी भारती और वाईएसआर कांग्रेस के कई नेता अदालत कक्ष में मौजूद थे। इसके पहले सीबीआई ने जगनमोहन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जमानत पर बाहर आने के बाद कडप्पा से सांसद मामले की सुनवाई को प्रभावित कर सकते हैं।
जगनमोहन ने जमानत याचिका में दलील दी थी कि आंध्र प्रदेश को विभाजित किए जाने को लेकर तटीय आंध्र और रायलसीमा में चल रहे आंदोलन के मद्देनजर उनके लिए जरूरी है कि वे लोगों के साथ रहें और एक राजनीतिक दल के नेता के रूप में आंदोलन की अगुवाई करें।
प्रमुख जांच एजेंसी ने जगनमोहन के खिलाफ अधिक संपत्ति मामले में अब तक 10 आरोप पत्र दाखिल किए हैं। आखिरी दो आरोपपत्र 17 सितंबर को दाखिल किए गए थे।
इस मामले में बीसीसीआई प्रमुख और इंडिया सीमेन्ट्स के उपाध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवासन, डालमिया सीमेन्ट्स के उपाध्यक्ष पुनीत डालमिया, अरबिन्दो फर्मा के उपाध्यक्ष नित्यानंद रेड्डी, रामकी इन्फ्रा के अध्यक्ष ए दासराधारामी रेड्डी और निम्मगड्डा प्रसाद सहित कई रसूखदार लोग भी आरोपी हैं।
जांच एजेंसी ने विभिन्न आरोपपत्रों में पूर्व मंत्रियों एम वेंकट रामन राव, सबिता इंद्रा रेड्डी और डी प्रसाद राव तथा वर्तमान मंत्री जे गीता रेड्डी के नाम भी शामिल किए हैं।
उद्योगपति निम्मगड्डा गिरफ्तारी के बाद से चंचलगुड़ा जेल में हैं। वेंकट रामन राव को स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। जगनमोहन ने जमानत के लिए 11 सितंबर को याचिका दाखिल की थी और दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को जांच पूरा करने के लिए चार महीनों का समय दिया था और यह 9 सितंबर को पूरा हो गया है।
जगनमोहन गिरफ्तारी के बाद 27 मई 2012 से यहां चंचलगुडा सेंट्रल जेल में बंद हैं। इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने 5 अक्तूबर 2012 और इस साल 9 मई को जगनमोहन की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
इस बीच, जगनमोहन की रिहाई को उनकी वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाला घटनाक्रम कहा जा रहा है। कल उनकी रिहाई न केवल पार्टी के लिए नई ऊर्जा देने वाली होगी बल्कि ऐसे समय पर आंध्रप्रदेश की राजनीति में नया मोड़ लाएगी जब राज्य में विभाजन के मुद्दे पर आंदोलन चल रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि निश्चित रूप से जगनमोहन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तटीय आंध्र-रायलसीमा क्षेत्र में निर्विवाद नेता के रूप में उभरेंगे क्योंकि वाईआरएस कांग्रेस पहले ही एकीकृत राज्य का पक्ष ले चुकी है।
एकीकृत राज्य के लिए मजबूत आंदोलन चल रहा है लेकिन सीमांध्र क्षेत्र में प्रभावी नेता का अभाव है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जगनमोहन यह कमी दूर कर सकते हैं। बहरहाल जगन को सबसे पहले अपनी पार्टी से जुड़े कुछ अंदरूनी मुद्दे सुलझाने होंगे। एकीकृत आंध्रप्रदेश का पक्ष लेकर वाईएसआर कांग्रेस तेलंगाना क्षेत्र में बहुत कमजोर हो चुकी है। अंदरूनी कलह की वजह से सीमांध्र क्षेत्र के कई जिलों में भी पार्टी मजबूत स्थिति में नहीं है।
इसके अलावा जगनमोहन करीब 16 माह से जेल में थे और इस दौरान उनकी पार्टी एक तरह से नेतृत्व विहीन थी। हालांकि उनकी मां वाईएस विजया और छोटी बहन शर्मिला ने पार्टी की जिम्मेदारी निभाने की कोशिश की।
जनता के सामने आने से पहले जगन को जमानत की शर्तों को भी ध्यान में रखना होगा। एक शर्त में उन पर हैदराबाद से बाहर जाने पर रोक लगाई गई है।
जेल में 485 दिनों के प्रवास में जगनमोहन अपने परिवार वालों के अलावा विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं से भी मिलते थे और जेल से ही पार्टी नेतृत्व को हर मुद्दे पर दिशानिर्देश देते थे।
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