
तालाब के रास्ते निकालनी पड़ी शव यात्रा..
जबलपुर:
मध्य प्रदेश के पनागर तहसील में दबंगों पर जातिगत भेदभाव के चलते एक शव यात्रा निकालने के लिए रास्ता नहीं देने का आरोप है, जिसके बाद मृतक के परिजनों को तालाब के रास्ते शव यात्रा निकालनी पड़ी. गांव से शमशान घाट जाने वाली कच्ची सड़क बरसात में डूब गई थी. जिसके बाद आवाजाही के लिए खेत का रास्ता बचा था. लेकिन पिछड़ी जाति के लोगों को उस रास्ते से शव यात्रा निकालने से रोक दिया गया.
मजबूरन मृतक का परिवार तालाब के रास्ते शव को शमशान तक ले गया. बताया जा रहा है कि जिस रास्ते से जाने के लिए पिछड़ी जाति के लोगों को रोका गया, वह सरकारी जमीन है, जिस पर दबंगों ने अपना कब्जा कर रखा है, लेकिन हैरत की बात यह है कि आज तक प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.
इस मामले पर जबलपुर के कलेक्टर का कहना है कि यह आपसी रंजिश का मामला है. सभी एक ही जाति के हैं. इसमें कहीं ऊंची और नीची जाति की बात नहीं है. निचली जाति के लोगों ने आरोप लगाया था कि ऊंची जाति के कुछ दबंगों ने अपने खेत से उन्हें शव यात्रा नहीं निकालने दिया, जिसके बाद उन्हें तालाब के रास्ते शमशान घाट तक जाना पड़ा.
इससे पहले खबर आई थी कि ओडिशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी को अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा. उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल सका था.
व्यक्ति के साथ उसकी 12 वर्षीय बेटी भी थी. बुधवार सुबह स्थानीय लोगों ने दाना माझी को अपनी पत्नी अमंग देई के शव को कंधे पर लादकर ले जाते हुये देखा. 42 वर्षीय महिला की मंगलवार रात को भवानीपटना में जिला मुख्यालय अस्पताल में टीबी से मौत हो गई थी.
मजबूरन मृतक का परिवार तालाब के रास्ते शव को शमशान तक ले गया. बताया जा रहा है कि जिस रास्ते से जाने के लिए पिछड़ी जाति के लोगों को रोका गया, वह सरकारी जमीन है, जिस पर दबंगों ने अपना कब्जा कर रखा है, लेकिन हैरत की बात यह है कि आज तक प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.
इस मामले पर जबलपुर के कलेक्टर का कहना है कि यह आपसी रंजिश का मामला है. सभी एक ही जाति के हैं. इसमें कहीं ऊंची और नीची जाति की बात नहीं है. निचली जाति के लोगों ने आरोप लगाया था कि ऊंची जाति के कुछ दबंगों ने अपने खेत से उन्हें शव यात्रा नहीं निकालने दिया, जिसके बाद उन्हें तालाब के रास्ते शमशान घाट तक जाना पड़ा.
इससे पहले खबर आई थी कि ओडिशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी को अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा. उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल सका था.
व्यक्ति के साथ उसकी 12 वर्षीय बेटी भी थी. बुधवार सुबह स्थानीय लोगों ने दाना माझी को अपनी पत्नी अमंग देई के शव को कंधे पर लादकर ले जाते हुये देखा. 42 वर्षीय महिला की मंगलवार रात को भवानीपटना में जिला मुख्यालय अस्पताल में टीबी से मौत हो गई थी.
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