
अस्पताल में नरेश कुमार...
नई दिल्ली:
चाइना बॉर्डर पर तैनात ITBP का एक जवान पिछले 9 दिनों से राजधानी में अस्पतालों में इलाज को लेकर धक्के खा रहा है. उसके साथ अस्पताल दर अस्पताल रेफर का खेल चलता रहा. जब एम्स पहुंचा तो बिना सुधार के 2 दिन इलाज करने के बाद ही बैड कम होने का हवाला देकर वापस सफदरजंग जाने को कहा गया, लेकिन जब एनडीटीवी ने एम्स को इस जवान की जानकारी दी तब बैड मुहैया कराने का आश्वासन मिला. आईटीबीपी के जवान नरेश कुमार के भाई खैलू राम बताते हैं कि 25 दिन पहले बीमार पड़े. फिर बंगाल के अस्पताल में दिखाया गया. सफदरजंग में गए. फिर एम्स भेज दिया गया और अब एम्स फिर सफदरजंग जाने को कहा है.
नरेश कुमार भारत चीन सीमा की केरांग चौकी पर तैनात हैं. वह आईटीबीपी के 11वीं बटालियन के जवान हैं. ड्यूटी के दौरान ही दिमाग की नसों में खून जम गया, जिसके बाद पहचानने की क्षमता चली गई. नरेश को पहले बंगाल में बीएसएफ के अस्पताल भेजा गया फिर वहां से सफदरजंग रेफर कर दिया गया.
दो दिन देखने के बाद उसे फिर एम्स भेज दिया गया, लेकिन डेंगू,चिकनगुनिया के मरीजों की वजह से बैड खाली नहीं रहने के बहाने से वापस सफरदजंग लौटने को कह दिया गया. नरेश के साथ बतौर अटेंडेंट आए उनकी ही बटालियन के कांस्टेबल उत्तम कुमार सिंह कहते हैं कि समझ नहीं आ रहा अब एम्स जब मना कर रहा है तो फिर सफदरजंग जाने का ही क्या फायदा जो पहले ही रेफर कर चुका है.
परिवार बताता है कि रेफर करने के इस खेल की शुरुआत बंगाल के आर्मी अस्पताल से ही हो गई थी, फिर बंगाल के ही बीएसएफ अस्पताल और तब दिल्ली के सफदरजंग से लेकर एम्स, लेकिन जब एम्स आ गए तो अब आगे कहां जाएं? जब एनडीटीवी मामले को लेकर एम्स के निदेशक तक पहुंचा तब जाकर बात बनी. सर्जरी इमरजेंसी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ एलआर मुरमू कहते हैं कि बैड खाली होते ही प्रायरोरिटी पर दी जाएगी फिलहाल डिसचार्ज नहीं इमरजेंसी के ही बैड पर रहेंगे. पूरा चेकअप होगा और जब हालत में ठीक-ठाक सुधार होगा, तभी हम जाने देंगे.
नरेश कुमार भारत चीन सीमा की केरांग चौकी पर तैनात हैं. वह आईटीबीपी के 11वीं बटालियन के जवान हैं. ड्यूटी के दौरान ही दिमाग की नसों में खून जम गया, जिसके बाद पहचानने की क्षमता चली गई. नरेश को पहले बंगाल में बीएसएफ के अस्पताल भेजा गया फिर वहां से सफदरजंग रेफर कर दिया गया.
दो दिन देखने के बाद उसे फिर एम्स भेज दिया गया, लेकिन डेंगू,चिकनगुनिया के मरीजों की वजह से बैड खाली नहीं रहने के बहाने से वापस सफरदजंग लौटने को कह दिया गया. नरेश के साथ बतौर अटेंडेंट आए उनकी ही बटालियन के कांस्टेबल उत्तम कुमार सिंह कहते हैं कि समझ नहीं आ रहा अब एम्स जब मना कर रहा है तो फिर सफदरजंग जाने का ही क्या फायदा जो पहले ही रेफर कर चुका है.
परिवार बताता है कि रेफर करने के इस खेल की शुरुआत बंगाल के आर्मी अस्पताल से ही हो गई थी, फिर बंगाल के ही बीएसएफ अस्पताल और तब दिल्ली के सफदरजंग से लेकर एम्स, लेकिन जब एम्स आ गए तो अब आगे कहां जाएं? जब एनडीटीवी मामले को लेकर एम्स के निदेशक तक पहुंचा तब जाकर बात बनी. सर्जरी इमरजेंसी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ एलआर मुरमू कहते हैं कि बैड खाली होते ही प्रायरोरिटी पर दी जाएगी फिलहाल डिसचार्ज नहीं इमरजेंसी के ही बैड पर रहेंगे. पूरा चेकअप होगा और जब हालत में ठीक-ठाक सुधार होगा, तभी हम जाने देंगे.
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