नई दिल्ली:
इंडियन स्पेस रिसर्ज ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो आज देश में ही बने एक विशाल सैटेलाइट को अतंरिक्ष में भेजने वाला है। सेना के लिए बने जीसैट-6 (GSAT-6) सैटेलाइट को आज शाम 4 बजकर 52 मिनट पर श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाएगा।
इसरो अपने 25वें सैटेलाइट GSAT-6 को GSLV की मदद से अंतरिक्ष में भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। जीएसएलवी में भारत में बना क्रायोजेनिक इंजन लगा है।
GSAT-6 का वज़न 416 टन है और ये 50 मीटर ऊंचा है। ये सैटेलाइट अपने साथ 6 मीटर चौड़ा एक एंटिना ले जा रहा है, जिसका मकसद छोटे हैंडसेट के जरिये डाटा, वीडियो या आवाज को एक जगह से दूसरी जगह भेजना है। इसका इस्तेमाल डिफेंस यानी सामरिक सेक्टर में होगा ताकि दूर-दराज के इलाके में भी छोटे हैंडसेट के जरिये संपर्क साधा जा सके।
इसरो ने कहा कि जीसैट-6 एस बैंड और सी बैंड के माध्यम से संचार मुहैया कराएगा। उपग्रह की जीवन अवधि नौ वर्ष है।
इसरो अपने 25वें सैटेलाइट GSAT-6 को GSLV की मदद से अंतरिक्ष में भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। जीएसएलवी में भारत में बना क्रायोजेनिक इंजन लगा है।
GSAT-6 का वज़न 416 टन है और ये 50 मीटर ऊंचा है। ये सैटेलाइट अपने साथ 6 मीटर चौड़ा एक एंटिना ले जा रहा है, जिसका मकसद छोटे हैंडसेट के जरिये डाटा, वीडियो या आवाज को एक जगह से दूसरी जगह भेजना है। इसका इस्तेमाल डिफेंस यानी सामरिक सेक्टर में होगा ताकि दूर-दराज के इलाके में भी छोटे हैंडसेट के जरिये संपर्क साधा जा सके।
इसरो ने कहा कि जीसैट-6 एस बैंड और सी बैंड के माध्यम से संचार मुहैया कराएगा। उपग्रह की जीवन अवधि नौ वर्ष है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं