इसरो (ISRO) की कामयाबी पर दुनिया के अखबार...
नई दिल्ली:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मेगा मिशन के जरिए विश्व रिकॉर्ड बना लिया है. पीएसएलवी के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट को सफल तरीके से लांच कर इतिहास रच दिया है. अब तक यह रिकार्ड रूस के नाम है, जो 2014 में 37 सैटेलाइट एक साथ भेजा था. भारत के इसरो की इस कामयाबी का जश्न और डंका पूरी दुनिया में बना. दुनियाभर के प्रमुख अखबारों ने इस खबर को तरजीह दी और यह प्रतिक्रिया दी.
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा -
एक दिन में सैटेलाइट्स की लॉन्चिग के पिछले रिकॉर्ड से तीन गुना ज्यादा, 104 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग, फिर उन्हें ऑर्बिट में ठीक ढंग से भेजा गया है. इसने भारत को स्पेस बेस्ड सर्विलांस और कम्युनिकेशन के तेजी से बढ़ते ग्लोबल मार्केट में अहम खिलाड़ी के रूप में पेश किया है."
इसके अलावा अखबार ने लिखा, 'प्रक्षेपण में रिस्क बहुत ज्यादा था क्योंकि 17,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से जा रहे एक रॉकेट से जिस तरह हर कुछ सेंकंड में गोली की रफ्तार से उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया, उसे देखते हुए यदि एक भी उपग्रह गलत कक्षा में चला जाता तो वे एक-दूसरे से टकरा सकते थे. पर इसरो ने टेक्नोलॉजिकल एक्सीलेंस साबित किया.' (जब दुनिया ने माना इसरो का लोहा, लेकिन चीन ने (भारत से) कहा - अभी आप काफी पीछे हैं)
द वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा -
"यह लॉन्चिंग इसरो के लिए बड़ी कामयाबी है. कम खर्च में कामयाब मिशन को लेकर इसरो की साख इंटरनेशनल लेवल पर तेजी से बढ़ रही है."
ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने लिखा - 'नया रिकॉर्ड ब्रेक करने वाली यह लॉन्चिंग तेजी से बढ़ते प्राइवेट स्पेस मार्केट बाजार में एक संजीदा खिलाड़ी के रूप में भारत को मजबूती देगी. भारत 1980 में खुद का रॉकेट लॉन्च करके ऐसा करने वाला छठा देश बना था. उसने अपने स्पेस रिसर्च को काफी पहले ही अपनी प्राथमिकता बना लिया था. भारत सरकार ने इस साल अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए बजट बढ़ा दिया है. साथ ही, वीनस तक मिशन भेजने का ऐलान कर दिया है.'
अखबार ने इसरो अध्यक्ष किरण कुमार के हवाले से कहा कि भारत ने जो उपलब्धि आज हासिल की है वह प्रत्येक प्रक्षेपण के साथ उसकी क्षमता को बढ़ाने में मदद कर रही है और यह प्रक्षेपण भविष्य में अधिक से अधिक फायदेमंद साबित होंगे.
लंदन के द टाइम्स ने कहा कि "भारत इस कामयाबी से स्पेस की फील्ड में नाम करने वाले इलीट देशों में शामिल हो गया है. भारत के कई अहम मिशन का खर्च रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी मिशन से काफी कम है. इसरो के मंगल मिशन का खर्च सिर्फ 7.3 करोड़ डॉलर था, जबकि नासा के मावेन मार्स लॉन्च में 67.1 करोड़ डॉलर का खर्च आया था."
लंदन के टाइम्स अखबार ने अपने लेख में कहा है कि भारत के कई महत्वपूर्ण मिशन का खर्च उनके रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी समकक्षों के मुकाबले बहुत कम रहा है.
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा -
एक दिन में सैटेलाइट्स की लॉन्चिग के पिछले रिकॉर्ड से तीन गुना ज्यादा, 104 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग, फिर उन्हें ऑर्बिट में ठीक ढंग से भेजा गया है. इसने भारत को स्पेस बेस्ड सर्विलांस और कम्युनिकेशन के तेजी से बढ़ते ग्लोबल मार्केट में अहम खिलाड़ी के रूप में पेश किया है."
इसके अलावा अखबार ने लिखा, 'प्रक्षेपण में रिस्क बहुत ज्यादा था क्योंकि 17,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से जा रहे एक रॉकेट से जिस तरह हर कुछ सेंकंड में गोली की रफ्तार से उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया, उसे देखते हुए यदि एक भी उपग्रह गलत कक्षा में चला जाता तो वे एक-दूसरे से टकरा सकते थे. पर इसरो ने टेक्नोलॉजिकल एक्सीलेंस साबित किया.' (जब दुनिया ने माना इसरो का लोहा, लेकिन चीन ने (भारत से) कहा - अभी आप काफी पीछे हैं)
द वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा -
"यह लॉन्चिंग इसरो के लिए बड़ी कामयाबी है. कम खर्च में कामयाब मिशन को लेकर इसरो की साख इंटरनेशनल लेवल पर तेजी से बढ़ रही है."
ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने लिखा - 'नया रिकॉर्ड ब्रेक करने वाली यह लॉन्चिंग तेजी से बढ़ते प्राइवेट स्पेस मार्केट बाजार में एक संजीदा खिलाड़ी के रूप में भारत को मजबूती देगी. भारत 1980 में खुद का रॉकेट लॉन्च करके ऐसा करने वाला छठा देश बना था. उसने अपने स्पेस रिसर्च को काफी पहले ही अपनी प्राथमिकता बना लिया था. भारत सरकार ने इस साल अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए बजट बढ़ा दिया है. साथ ही, वीनस तक मिशन भेजने का ऐलान कर दिया है.'
अखबार ने इसरो अध्यक्ष किरण कुमार के हवाले से कहा कि भारत ने जो उपलब्धि आज हासिल की है वह प्रत्येक प्रक्षेपण के साथ उसकी क्षमता को बढ़ाने में मदद कर रही है और यह प्रक्षेपण भविष्य में अधिक से अधिक फायदेमंद साबित होंगे.
लंदन के द टाइम्स ने कहा कि "भारत इस कामयाबी से स्पेस की फील्ड में नाम करने वाले इलीट देशों में शामिल हो गया है. भारत के कई अहम मिशन का खर्च रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी मिशन से काफी कम है. इसरो के मंगल मिशन का खर्च सिर्फ 7.3 करोड़ डॉलर था, जबकि नासा के मावेन मार्स लॉन्च में 67.1 करोड़ डॉलर का खर्च आया था."
लंदन के टाइम्स अखबार ने अपने लेख में कहा है कि भारत के कई महत्वपूर्ण मिशन का खर्च उनके रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी समकक्षों के मुकाबले बहुत कम रहा है.
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