मानव रहित रेल फाटकों पर लोगों को खबरदार करेगी इसरो निर्मित प्रणाली

जब ट्रेन किसी मानव रहित फाटक के नजदीक पहुंचेगी तो हूटर सड़क मार्ग उपयोग करने वाले लोगों को आगाह करेगा.

मानव रहित रेल फाटकों पर लोगों को खबरदार करेगी इसरो निर्मित प्रणाली

रेलवे ट्रेनों के इंजनों में इसरो में विकसित इंटिग्रेटेड सर्किट (आईसी) चिप लगाएगा. ( फाइल फोटो )

खास बातें

  • इसरो ने उपग्रह आधारित चिप प्रणाली विकसित की
  • देश में है 10 हजार मानव-रहित फाटक
  • शुरू में 20 फाटकों पर लगेंगे हूटर
नई दिल्ली:

इसरो ने उपग्रह आधारित चिप प्रणाली विकसित की है जो अब सड़क मार्ग से सफर करने वाले लोगों को मानव रहित रेल फाटकों पर आगाह करेगी कि ट्रेन आ रही है. इससे यह पता लगाया जा सकता है कि उस वक्त कोई खास ट्रेन कहां है. प्रायोगिक रूप से मुंबई और गुवाहाटी राजधानी ट्रेन में यह प्रणाली लगाई जाएगी. रेलवे ट्रेनों के इंजनों में इसरो में विकसित इंटिग्रेटेड सर्किट (आईसी) चिप लगाएगा. इससे जब ट्रेन किसी मानव रहित फाटक के नजदीक पहुंचेगी तो हूटर सड़क मार्ग उपयोग करने वाले लोगों को आगाह करेगा.  इस परियोजना से जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुवाहाटी और मुंबई के लिए राजधानी के रेल मार्गो पर 20 मानव रहित रेल फाटकों पर हूटर लगाए जाएंगे. परियोजना के अनुसार चरणबद्ध तरीके से इस प्रौद्योगिकी से और भी ट्रेनों को सुसज्जित किया जाएगा.

इसके तहत फाटकों से करीब 500 मीटर पहले आईसी चिप के माध्यम से हूटर सक्रिय हो जाएगा. इससे सड़क मार्ग का उपयोग कर रहे लोग और उनके साथ ही फाटक के नजदीक ट्रेन चालक भी सचेत हो जाएगा. जैसे-जैसे ट्रेन रेल फाटक के नजदीक पहुंचेगी, हूटर की आवाज तेज होती जाएगी. ट्रेन के पार होते ही हूटर शांत हो जाएगा. सड़क मार्ग उपयोग करने वालों को सचेत करने के साथ ही उपग्रह आधारित प्रणाली का उपयोग ट्रेन पर निगाह रखने और रियल-टाइम के आधार पर उसके आवागमन के बारे में बताने के लिए भी होगा.

इस प्रणाली से मुसाफिरों और अन्य लोगों को बहुत मदद मिलेगी क्योंकि अभी ट्रेन की स्थिति और आवाजाही का पता लगाने के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं है. फिलहाल यह काम हाथों से (मैन्यूअली) किया जाता है. दरअसल, मानव रहित रेल फाटकों पर लोगों की सुरक्षा रेलवे के लिए एक बड़ी चिंता है और रेलवे इससे निबटने के लिए विभिन्न तरीके खोज रहा है. अभी देश में तकरीबन 10 हजार मानव-रहित फाटक हैं और रेलवे से जुड़े हादसों में से तकरीबन 40 फीसद इनके ही कारण हो रहे हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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