केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देर से पहुंचे नौकरशाहों से कहा, "अच्छा होता, यदि हम समय से भटके न होते..."
नई दिल्ली:
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को देश के नौकरशाहों को समय की कीमत का ध्यान रखने और समयबद्धता का पालन करने का सुझाव दिया, क्योंकि दिल्ली में जिस कार्यक्रम में उन्हें प्रमुख अतिथि बनाया गया था, वह निर्धारित समय से 12 मिनट देर से शुरू हो पाया...
कार्यक्रम में शामिल अधिकतर अधिकारी भारतीय प्रसानिक सेवा तथा अन्य राष्ट्रीय सेवाओं से जुड़े थे, जिन्हें संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा, "मुझे आज कुछ चिंता हो रही थी... कार्यक्रम को 9:45 बजे शुरू होना था... हम कार्यक्रम के निर्धारित समय से पांच मिनट पहले ही आ गए थे... लेकिन वह 9:57 बजे शुरू हुआ..."
वैसे, कार्यक्रम शुरू हो जाने के बाद भी कई लोग शामिल होने के लिए पहुंचते रहे, सो, मंत्री ने कहा कि कभी-कभी देर से आने की जायज़ वजह हो सकती हैं, लेकिन यह सोचने की ज़रूरत है कि क्या गलत हो रहा है...
केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों के शीर्ष नौकरशाहों ने कार्यक्रम में भाग लिया था. प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ सदस्यों ने भी इसमें शिरकत की... उन्होंने सवाल किया, "अच्छा होता, यदि हम समय से भटके न होते... क्या हमारे दृढ़ निश्चय में कोई ढिलाई आ गई है...?"
देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल, जो देश की प्रशासनिक सेवा को 'इस्पात का फ्रेम' कहकर पुकारा करते थे, का ज़िक्र करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने पूछा कि क्या इस्पात का फ्रेम कमज़ोर हो गया है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार ज़ोर देकर कहते रहे हैं कि सरकारी अधिकारियों को सही समय पर काम पर पहुंचना चाहिए, तथा इस पर नज़र रखने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों ने औचक निरीक्षण भी किए हैं, तथा निरीक्षण वाले दिन देर से पहुंचने वाले कर्मचारियों का एक दिन का वेतन भी काटा गया है...
हाल ही में उत्तर प्रदेश की नई योगी आदित्यनाथ सरकार के एक मंत्री ने अपने विभाग में उस समय ताला लगवा दिया था, जब उन्होंने दिन की शुरुआत में ही कई अधिकारियों को अपने कार्यस्थल से नदारद पाया...
कार्यक्रम में शामिल अधिकतर अधिकारी भारतीय प्रसानिक सेवा तथा अन्य राष्ट्रीय सेवाओं से जुड़े थे, जिन्हें संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा, "मुझे आज कुछ चिंता हो रही थी... कार्यक्रम को 9:45 बजे शुरू होना था... हम कार्यक्रम के निर्धारित समय से पांच मिनट पहले ही आ गए थे... लेकिन वह 9:57 बजे शुरू हुआ..."
वैसे, कार्यक्रम शुरू हो जाने के बाद भी कई लोग शामिल होने के लिए पहुंचते रहे, सो, मंत्री ने कहा कि कभी-कभी देर से आने की जायज़ वजह हो सकती हैं, लेकिन यह सोचने की ज़रूरत है कि क्या गलत हो रहा है...
केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों के शीर्ष नौकरशाहों ने कार्यक्रम में भाग लिया था. प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ सदस्यों ने भी इसमें शिरकत की... उन्होंने सवाल किया, "अच्छा होता, यदि हम समय से भटके न होते... क्या हमारे दृढ़ निश्चय में कोई ढिलाई आ गई है...?"
देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल, जो देश की प्रशासनिक सेवा को 'इस्पात का फ्रेम' कहकर पुकारा करते थे, का ज़िक्र करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने पूछा कि क्या इस्पात का फ्रेम कमज़ोर हो गया है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार ज़ोर देकर कहते रहे हैं कि सरकारी अधिकारियों को सही समय पर काम पर पहुंचना चाहिए, तथा इस पर नज़र रखने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों ने औचक निरीक्षण भी किए हैं, तथा निरीक्षण वाले दिन देर से पहुंचने वाले कर्मचारियों का एक दिन का वेतन भी काटा गया है...
हाल ही में उत्तर प्रदेश की नई योगी आदित्यनाथ सरकार के एक मंत्री ने अपने विभाग में उस समय ताला लगवा दिया था, जब उन्होंने दिन की शुरुआत में ही कई अधिकारियों को अपने कार्यस्थल से नदारद पाया...
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