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This Article is From Oct 03, 2019

INX मीडिया मामला: पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जमानत याचिका HC के फैसले को दी चुनौती

चिदंबरम ने अपनी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.

INX मीडिया मामला: पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जमानत याचिका HC के फैसले को दी चुनौती
नई दिल्ली:

INX मीडिया मामले (INX Media Case) में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जमानत अर्जी दाखिल की है. चिदंबरम ने अपनी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. चिदंबरम (P chidambaram) की ओर से कपिल सिब्बल ने शुक्रवार सुनवाई की मांग की. जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि CJI तय करेंगे कि शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी या नहीं. जस्टिस रमणा ने मामले को लिस्ट करने के लिए CJI के पास भेजा. बता दें, दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम को जमानत देने से इनकार कर दिया था. चिदंबरम ने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 

बता दें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जांच अग्रिम चरण में है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की याचिका खारिज करने के दौरान कड़ी टिप्पणियां करते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर चिदंबरम के खिलाफ मामला साबित हुआ तो यह समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता और देश की अखंडता के साथ किया गया अपराध है. अदालत ने कहा कि चिदंबरम के विदेश भागने का खतरा नहीं है और इस बात का भी अंदेशा नहीं है कि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं लेकिन अगर उन्हें जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.

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न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आर्थिक अपराध एक अलग वर्ग हैं और यह खुद एक वर्ग बनाते हैं, क्योंकि यह लोक प्रशासन में ईमानदारी और शुद्धता की जड़ को काट देता है. यह चुनी हुई सरकार में जनता के विश्वास का खत्म करता है. चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. तब से वह हिरासत में हैं.

अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि चिदंबरम मजबूत वित्त और गृह मंत्री रहे हैं और फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं. अदालत ने कहा, ‘‘ वह उच्चतम न्यायालय की बार एसोसिएशन के सम्मानजनक सदस्य हैं. वह वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर लंबे वक्त तक बार में रहे हैं. उनकी भारतीय समाज में गहरी जड़े हैं और शायद विदेश में भी कुछ संपर्क हैं.'

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न्यायाधीश ने कहा, ‘लेकिन वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे, लेकिन उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, जांच अग्रिम चरण में है. लिहाजा, यह अदालत उन्हें जमानत देने को तैयार नहीं है.' उनके विदेश भागने के संबंध में न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा पासपोर्ट को जमा कराने, लुक आउट नोटिस जारी करने और आरोपी के बिना अदालत की इजाजत के देश से बाहर नहीं जाने (यहां तक के नेपाल और भुटान के जरिए भी) जैसी शर्तें लगाकर रोका जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘रिकॉर्ड पर इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं लाया गया कि चिदंबरम ने भारत से भागने की कोशिश की है.'

न्यायाधीश ने विदेश भागने के मुद्दे पर चिदंबरम की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों से सहमति जताई जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को खारिज कर दिया.    सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले पर अदालत ने कहा कि मामले से संबंधित दस्तावेज सीबीआई, सरकार और अदालत के पास हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘याचिकाकर्ता संसद का सदस्य होने के अलावा सत्ता में नहीं है. इसलिए मेरे विचार से चिदंबरम द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है.'

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