मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम जिला अस्पताल में रविवार रात लापरवाही की बड़ी तस्वीर सामने आई. पेट में चाकू लगा एक घायल युवक घंटों इलाज के लिए तड़पता रहा लेकिन डॉक्टर उसका इलाज करने के बजाय परिजन का इंतजार करते रहे. वहीं पुलिस अपने बयान की कार्रवाई में मशगूल रही. घायल युवक का नाम राजेश हैं. दरअसल बीती रात पेट में चाकू लगे घायल युवक को जिला अस्पताल लाया गया था. बताया गया कि सारंगी सगाई से लोडिंग वाहन में लौटते वक्त राजेश का अपने साथियों से विवाद हुआ था और लोडिंग वाहन में ही राजेश को चाकू मार दिया था.
राजेश को एक युवती जिला अस्पताल लेकर पहुंची, जो खुद को उसकी बहन बता रही थी. हालांकि घटनास्थल को लेकर काफी देर तक संशय बना रहा और पुलिस उलझी रही. उधर घायल जिला अस्पताल में पेट में चाकू पकड़े तड़पता रहा. घायल से डॉक्टरों ने कहा कि चाकू पकड़े रहना और अस्पताल में वह ढाई घंटे तक चाकू पकड़े स्ट्रेचर पर पड़ा रहा. डॉक्टरों ने घायल का इलाज करने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि उसके परिजन अस्पताल नहीं पहुंचे थे, जो उसके ऑपरेशन की अनुमति दे सकें.
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पुलिस भी पेट में चाकू लगे घायल का इलाज करवाने के बजाय स्टेटमेंट लेने और कागजों पर अंगूठा लगवाने में व्यस्त रही. जब मीडिया ने घायल के इलाज को लेकर जद्दोजहद की तो उसे उसी हालत में आनन-फानन में इंदौर रेफर कर दिया गया. सवाल है कि क्या ऐसे गंभीर मामलों में इलाज से ज्यादा जरूरी कुछ और हो सकता है. इलाज के बाद भी बयान लिए जा सकते हैं और क्या परिजन न हो तो इस कदर गंभीर रूप से घायल का इलाज नहीं होगा.
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