
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की ख़बर ख़ूब चली, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच भी बीते एक साल से ये ट्रेड वार जारी है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के कई सामानों पर ड्यूटी बढ़ा दी है. ट्रंप इसको लेकर अपनी नाखुशी लगातार जताते रहे हैं. अब इस मसले को सुलझाने के लिए अधिकारियों की बैठक शुरू हो गई है.
बीते 25 दिन से भारत के बाज़ारों में ख़ूब बिकने वाला अमेरिकी सेब 20 फ़ीसदी महंगा हो गया है. दरअसल ये बढ़ोतरी भारत-अमेरिका के बीच चल रही कारोबारी खींचतान का नतीजा है. अब ये खींचतान ख़त्म करने की पहली बड़ी कोशिश शुरू हुई है. अमेरिका के सहायक अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधि क्रिस्टोफ़र विल्सन ने गुरुवार को भारतीय विदेश और वाणिज्य मंत्रालयों के अफसरों से इस बारे में बातचीत की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा, "हम उन मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इन मसलों में अमेरिका के साथ कारगर बातचीत की उम्मीद करते हैं. दरों वगैरह से जुड़े कई मुद्दे तकनीकी हैं. हमें देखना होगा कि उनका हल कैसे निकालें."
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड के मसले पर मतभेद पिछले साल शुरू हुआ जब अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वाले स्टील और एल्यूमिनियम पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी. भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आयात होने वाले 28 प्रोडक्टों पर ड्यूटी बढ़ा दी.
इस मसले की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि ओसाका में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने से पहले ट्रंप ने बाकायदा ट्वीट कर भारत की बढ़ी दरों की शिकायत की थी. गुरुवार की बातचीत से ठीक पहले ट्रंप ने कहा कि भारत की बढ़ी हुई दरें मंज़ूर नहीं हैं. जानकार भी मानते हैं कि कारोबारी विवादों को दोनों देशों को बातचीत से सुलझाना चाहिए.
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पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी कहते हैं, 'अमेरिका हमारी सबसे बड़ी मंडी है. उसके साथ द्विपक्षीय व्यापार पर मतभेद ठीक नहीं है. अमेरिका और भारत दोनों को एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के अपने-अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना चाहिए तभी बीच का रास्ता निकलेगा.'
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अमेरिकी सामान के लिए भारत का बाजार बहुत बड़ा है, जबकि भारत के कारोबार को अमेरिकी बाजार में जगह बनानी है. इस लिहाज से दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वे इस टकराव को पीछे छोड़ें और लोगों को राहत दें.
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