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This Article is From Oct 25, 2013

इंदिरा गांधी ने अपनी करतूतों की कीमत चुकाई : अकाली नेता

इंदिरा गांधी ने अपनी करतूतों की कीमत चुकाई : अकाली नेता
नई दिल्ली:

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा एक भाषण के दौरान काफी भावुक तरीके से अपनी दादी भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पिता राजीव गांधी की हत्याओं का ज़िक्र करने के अगले ही दिन पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल की एक वरिष्ठ नेता ने पलटवार करते हुए कहा, "गांधी परिवार ने सिर्फ अपनी करनी की कीमत चुकाई है..."

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधू तथा उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने राजस्थान के चूरू में राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। अकाली दल सांसद हरसिमरत ने कहा, "श्रीमती गांधी (इंदिरा गांधी) उस समय कर क्या रही थीं, जब वह दूसरों के बेटों और पतियों को मार रही थीं...? वह क्या सोच रही थीं...? एक पूजा की जगह, जिसके लिए हर सिख के दिल में श्रद्धा है... वह वहां जाती हैं, उस जगह को तबाह कर देने और लोगों को मार डालने का हुक्म देती हैं... उन्होंने क्या सोचा था...? वह इसके बाद बचकर निकल जाएंगी...?" हरसिमरत कौर बादल का इशारा भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए सेना को भेजे जाने का आदेश देने की ओर था।

हरसिमरत कौर बादल ने इसके अलावा यह भी कहा कि वर्ष 1984 के दंगों में हजारों बेकसूर सिखों की हत्या की गई, और उसके 29 साल बाद भी दंगाइयों को उकसाने के आरोपी खुलेआम आज़ाद घूम रहे हैं। हरसिमरत कौर बादल के अनुसार, ऐसा बयान देने से पहले राहुल गांधी को पूरे घटनाक्रम को समझना चाहिए था। उन्हें थोड़ा गहराई तक जाकर उन कारणों को समझना चाहिए था, जिनकी वजह से उनके अपनों को जान देनी पड़ी। हरसिमरत कौर बादल ने साफ कहा, "आप लोगों ने सिर्फ अपनी करतूतों की कीमत चुकाई है..."

उल्लेखनीय है कि बुधवार को राजस्थान के चूरू में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति, जो भारतीय जनता पार्टी करती है, ने मेरी दादी और मेरे पिता मुझसे छीन लिए, और हो सकता है, मैं भी मार डाला जाऊं, लेकिन मुझे परवाह नहीं है... राहुल ने अपने बचपन के दौरान इंदिरा गांधी के हत्यारे सुरक्षागार्डों के साथ बिताए पलों को भी याद किया और बताया, "मेरे दो दोस्त थे, जो मुझे खेलना सिखाते थे... एक दोस्त मुझे सिखाता था कि बैडमिंटन में शॉट कैसे लगाते और खेलते कैसे हैं... दूसरा मुझे कसरत करना सिखाता था... ये दोस्त थे बेअंत सिंह और सतवंत सिंह, और उन्हीं दोनों ने मेरी दादी की हत्या कर दी... देश को बांटने वाले शायद मुझे भी मार देंगे... लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता..."

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