सांकेतिक तस्वीर
सोनीपत:
सोनीपत के करीब कुंडली की एक कंपनी ने सीएनजी और डीजल दोनों प्रकार के ईंधन से चलने वाला डुअल रेल इंजन तैयार कर इसे रविवार को परीक्षण के लिए पटरियों पर उतार दिया। इसे दुनिया में अपनी तरह का पहला इंजन बताया गया है।
कांटीनेंटल इस्टर्न एजेंसी ने एक पुराने डीजल इंजन को दोहरे इंजन में बदला है जो डीजल के अलावा सीएनजी से भी चलाया जा सकता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके वर्मा ने बताया कि इस इंजन से डीजल की बचत हो सकती है और इससे प्रदूषण भी नहीं होगा। जानकारी के अनुसार इस काम में करीब सवा करोड़ रुपये व दो साल का समय लगा है।
पोर्ट इंजेक्शन टेक्नोलॉजी से तैयार इस इंजन को 20 दिन तक चला कर इसका परीक्षण किया जाएगा। उत्तर रेलवे से एक डीजल इंजन (नंबर 11043) जुलाई 2013 में डुअल इंजन के रूप में परिवर्तित करने लिए लाया गया था। जर्मनी और भारतीय रेल इंजीनियरों के साथ मिल कर इस काम में कंपनी को दो साल से कुछ अधिक समय लगा। संशोधन के दौरान करीब तीन बार यह इंजन ठप पड़ गया था।
वर्मा ने कहा कि इस इंजन में लगने वाले डीजल के बीस प्रतिशत के बराबर सीएनजी लगेगी। वर्मा के मुताबिक इंजन में एक हजार किलोमीटर तक जाने के लिए पर्याप्त सीएनजी, डीजल भरा जा सकेगा। इंजन में करीब चार सौ किलोग्राम सीएनजी आएगी। सीएनजी समाप्त होने पर इसे अकेले डीजल से भी चलाया जा सकेगा।
वर्मा ने बताया कि यह डुअल इंजन नई दिल्ली-रोहतक के बीच चलाया जाएगा। बाद में इसे ऐसे मार्गों पर भी चलाया जा सकता है जहां सीएनजी उपलब्ध होगी।
कांटीनेंटल इस्टर्न एजेंसी ने एक पुराने डीजल इंजन को दोहरे इंजन में बदला है जो डीजल के अलावा सीएनजी से भी चलाया जा सकता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके वर्मा ने बताया कि इस इंजन से डीजल की बचत हो सकती है और इससे प्रदूषण भी नहीं होगा। जानकारी के अनुसार इस काम में करीब सवा करोड़ रुपये व दो साल का समय लगा है।
पोर्ट इंजेक्शन टेक्नोलॉजी से तैयार इस इंजन को 20 दिन तक चला कर इसका परीक्षण किया जाएगा। उत्तर रेलवे से एक डीजल इंजन (नंबर 11043) जुलाई 2013 में डुअल इंजन के रूप में परिवर्तित करने लिए लाया गया था। जर्मनी और भारतीय रेल इंजीनियरों के साथ मिल कर इस काम में कंपनी को दो साल से कुछ अधिक समय लगा। संशोधन के दौरान करीब तीन बार यह इंजन ठप पड़ गया था।
वर्मा ने कहा कि इस इंजन में लगने वाले डीजल के बीस प्रतिशत के बराबर सीएनजी लगेगी। वर्मा के मुताबिक इंजन में एक हजार किलोमीटर तक जाने के लिए पर्याप्त सीएनजी, डीजल भरा जा सकेगा। इंजन में करीब चार सौ किलोग्राम सीएनजी आएगी। सीएनजी समाप्त होने पर इसे अकेले डीजल से भी चलाया जा सकेगा।
वर्मा ने बताया कि यह डुअल इंजन नई दिल्ली-रोहतक के बीच चलाया जाएगा। बाद में इसे ऐसे मार्गों पर भी चलाया जा सकता है जहां सीएनजी उपलब्ध होगी।