गन लाइसेंस रैकेट की जांच कर रही सीबीआई ने शनिवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में कई जिलाधिकारियों ने हथियार डीलरों की मिलीभगत से 2012 तक अवैध बंदूक लाइसेंस जारी किए थे. साथ ही बताया कि पैसे के लिए 2.78 लाख से ज्यादा अवैध बंदूक लाइसेंस जिलाधिकारियों द्वारा जारी किए गए हैं. इसे भारत का सबसे बड़ा हथियार लाइसेंस घोटाला माना जा रहा है.
बयान में सीबीआई ने कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में गन लाइसेंस रैकेट से संबंधित एक मामले में 20 गन हाउस सहित 40 स्थानों पर छापेमारी की. जिनके यहां छापेमारी की, उनमें दो आईएएस अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार भी शामिल हैं. चौधरी अभी जनजातीय मामलों के सचिव हैं, वे जम्मू और कश्मीर के छह जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्यरत रहे हैं. उनका दावा है कि सीबीआई द्वारा उनके आवास पर तलाशी के दौरान कोई आरोपों को साबित करने वाली सामग्री नहीं मिली, लेकिन कुछ मामलों में अनियमितताओं को कबूल किया है.
With ref to media reports I've to confirm that CBI did search my residence & found nothing incriminating in ongoing arms license probe. Media friends may note the probe covers 4 years across all distts. I am fully answerable to CBI for my tenure. Stats from my tenure are below 👇 pic.twitter.com/qhl60AFrGI
— Shahid Choudhary (@listenshahid) July 24, 2021
इस घोटाले का पता पहली बार 2017 में राजस्थान के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने लगाया था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों की ओर से जारी लाइसेंस के हथियारों के साथ अपराधियों को पकड़ा था. एटीएस ने यह भी पाया था कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेना के जवानों के नाम पर 3,000 से अधिक लाइसेंस दिए गए थे.
जहां जम्मू-कश्मीर में तत्कालीन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी-भाजपा गठबंधन की सरकार पर सतर्कता जांच की आड़ में आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है, वहीं 2018 में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.
Jammu-Kashmir: गन लाइसेंस घोटाले में सीबीआई ने 22 जगहों पर छापेमारी की, सीनियर IAS के घर भी रेड
भाजपा ने सीबीआई के छापे का स्वागत किया और देश भर में अवैध हथियार फैलाने वाले भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा, 'ये लाइसेंस पिछली सरकारों के दौरान जारी किए गए थे. सीबीआई को इसकी तह तक जाना चाहिए कि किसे बंदूक के लाइसेंस दिए गए थे. देश और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में ये लोग कौन हैं. इसे उजागर किया जाना चाहिए.'
पिछले साल मार्च में, सीबीआई ने आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन और इतरत रफीकी को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने कुपवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हजारों लाइसेंस जारी किए थे.
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