यूक्रेन के विन्नित्सा में बीमारी के कारण भारतीय छात्र की मौत

मृतक चंदन जिन्दल 4 साल से यूक्रेन के विन्नित्सा में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया हुआ था. जहां 2 फरवरी को चंदन गंभीर बीमार हो गया और उसके दिमाग में खून जम गया. जिसके बाद उसे आईसीयू में दाख़िल करवाना पड़ा था.

यूक्रेन के विन्नित्सा में बीमारी के कारण भारतीय छात्र की मौत

मृतक छात्र चंदन का परिवार भारत सरकार से शव को वापस भारत लाने की मांग कर रहा है

नई दिल्ली:

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान पंजाब के बरनाला के एक छात्र की बीमारी के चलते अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. मृतक चंदन जिन्दल 4 साल से यूक्रेन के विन्नित्सा में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया हुआ था. जहां 2 फरवरी को चंदन गंभीर बीमार हो गया और उसके दिमाग में खून जम गया. जिसके बाद उसे आईसीयू में दाख़िल करवाना पड़ा था. जहां भारत में रह रहे उसके परिवार की अनुमति के बाद उसका ऑपरेशन भी किया गया था. जिसके बाद चंदन की देखरेख के लिए 7 फरवरी को उसके पिता शिशन कुमार और ताऊ कृष्ण कुमार यूक्रेन गए थे. जहां रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में वह फंस गए थे. 

मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और अब परिवार भारत सरकार से चंदन के शव को वापस भारत लाने की मांग कर रहा है. यूक्रेन से लौटे मृतक के ताऊ कृष्ण कुमार ने भारत वापस लौटने में आ रही परेशानियों के बारे में बताते हुए कहा कि वह रोमानिया बॉर्डर के द्वारा भारत बहुत मुश्किलों के साथ लौटे हैं. यूक्रेन में भारतीय दूतावास की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही, लेकिन रोमानिया से भारत लाने में ज़रूर भारत सरकार ने मदद की है. रोमानिया बार्डर पर भारतीय विद्यार्थियों को रोमानिया फ़ौज की धक्केशाही का शिकार होना पड़ रहा है. सिख संस्था खालसा ऐड भारतीयों के लिए रोमानिया बार्डर पर लंगर और अन्य सहूलियतों में मदद कर रही है. 

उन्होंने बताया कि चंदन एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन के विन्नित्सा शहर गया हुआ था. जहां से उनको 2 फरवरी को संदेश मिला कि वह गंभीर बीमार हो गया है और उसे तुरंत आपरेशन की ज़रूरत है. जिसके बाद उनके परिवार ने परवानगी मोबाइल के द्वारा दे दी थी और आपरेशन हो गया था. इस उपरांत चंदन के पिता शिश्न जिन्दल और मैं यूक्रेन अपने बच्चे की देखरेख के लिए गए. उस समय यूक्रेन के हालत स्थिर थे और हम यूक्रेन की राजधानी कीव के एयरपोर्ट पर उतरे और अपने बच्चे चंदन के पास अस्पताल में गए. इस उपरांत हमने मदद के लिए भारतीय दूतावास के आधिकारियों के साथ संपर्क किया, परंतु उन्होंने हमारी कोई भी मदद नहीं की. जबकि वहां के पढ़ाई कर रहे भारतीय बच्चों ने मदद ज़रूर की. 

47 हजार में गाड़ी बुक कर बॉर्डर किया क्रॉस
उन्होंने बताया कि हम यूक्रेन की विन्नित्सा स्टेट में रह रहे थे, वहां रूस -यूक्रेन युद्ध का बहुत प्रभाव नहीं था. हर तरह की सेहत और अन्य सुविधा मिल रही थी. जिसके बाद मैं और मेरे भाई में से एक ने घर लौटने का फ़ैसला किया और मैं वापस आया. भारत वापस आते समय बहुत ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा. भारत वापसी के लिए मैं रोमानिया देश के द्वारा आया. विन्नित्सा शहर से लेकर वापस आते समय 46 ओर विद्यार्थियों के साथ 47 हज़ार यूक्रेन की राशि देकर एक गाड़ी करवाकर बार्डर की तरफ आए. बार्डर तक पहुंचने के लिए 10 से 12 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा. 

उन्होंने बताया कि रोमानिया के बार्डर पर हालात बहुत भयानक हैं. बार्डर पार करने वाले लोगों पर रोमानिया की फ़ौज की तरफ से काफ़ी धक्केशाही की जाती है और हवाई फायर भी मेरे सामने किये गए. बार्डर पर भारत के सैंकड़ों विद्यार्थी कड़कड़ाती ठंड में मुशकिलों का सामना कर रहे थे. विन्नित्सा शहर से बार्डर तक का सफ़र भूखे रह कर ही निकाला, जबकि रोमानिया के बार्डर और खालसा ऐड सिख संस्था की तरफ से लंगर बिल्कुल मुफ़्त मिला. रोमानिया से भारत ले जाने के लिए भारत सरकार की तरफ से बहुत मदद मिली और मैं कल ही घर आ पाया हूं. आज ही यूक्रेन से फ़ोन और संदेश मिला है कि मेरे भतीजे चंदन की इलाज दौरान मौत हो गई है. अब उसका शव भारत लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. हमने भारत सरकार से भी इसकी मांग की है. 

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