यमन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए दो जहाज रवाना

यमन में फंसे भारतीयों के मुद्दे पर अधिकारियों से चर्चा करती विदेश मंत्री

कोच्चि:

भारत ने अशांत यमन में फंसे भारतीयों को वहां से लाने के लिए सोमवार को दो यात्री पोत जिबूती बंदरगाह भेजे हैं।

कोचीन पोर्ट ट्रस्ट के उप सचिव जिजु थॉमस ने से कहा, 'यमन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए लक्षद्वीप प्रशासन के दो यात्री पोत सोमवार सुबह कोच्चि से जिबूती बंदरगाह रवाना हुए।' उन्होंने कहा, 'इन दो पोत में कुल 1200 यात्री सवार हो सकते हैं। पोतों को जिबूती बंदरगाह पहुंचने में कम से कम पांच से सात दिन का समय लगेगा।'

इन पोतों में चालक दल के कुल 150 सदस्य हैं, जिनमें डॉक्टर और नर्सें भी शामिल हैं। पोतों में पर्याप्त मात्रा में भोजन, दवा और जल की व्यवस्था की गई है। थॉमस ने बताया कि एम वी कावारत्ती और एम वी कोरल्स घरेलू पोत हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय जल में उनकी यात्रा की शुरआत से पहले सीमा शुल्क, आव्रजन और समुद्री यात्रा से जुड़े दूसरे कामों को पूरा करना पड़ा।

थॉमस ने बताया कि कोचीन पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष पॉल एंटनी के नेतृत्व में समन्वय संबंधी सभी गतिविधियां की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि कोच्चि से लक्षद्वीप की यात्रा पर जा रहे एम वी कावारत्ती को कल शाम वापस बुलाया गया था ताकि वह अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में यात्रा शुरू कर सके। इस पोत में सवार यात्रियों को एक अन्य पोत के जरिए लक्षद्वीप के लिए रवाना किया गया।

खाड़ी देश में अराजक स्थिति के बीच भारतीय नागरिकों को वहां से लाने के सरकार के फैसले के तुरंत बाद पोतों ने जिबूती बंदरगाह के लिए यात्रा शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि हालांकि पोत फिलहाल जिबूती के लिए रवाना हो गए हैं लेकिन वह बीच में कहां रकेंगे, इस बात का निर्णय केंद्र आगामी दिनों में लेगा।

इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को ट्वीट किया था कि भारत 1,500 यात्रियों की क्षमता वाले एक पोत को भेजने की प्रक्रिया में है। इस बीच यमन में काम करने वाले कुछ केरल निवासी सोमवार सुबह कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचे। उन्होंने बताया कि यमन में स्थिति बहुत गंभीर है और उस देश में हजारों भारतीय डर के साये में जी रहे हैं।

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सेना समेत यमन के विभिन्न प्रांतों में 3500 भारतीय हैं, जिनमें से अधिकतर नर्सें हैं। यमन में शिया मिलिशिया और पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह की वफादार सैन्य इकाइयों ने देश के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है जिसके कारण राष्ट्रपति आबिद रब्बो मंसूर हादी को सउदी अरब जाना पड़ा।