संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान की स्पीच पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है. भारत ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर पाकिस्तान की ओर से दिए जा रहे विवादास्पद बयानों की कड़ी आलोचना की. इमरान खान के कश्मीर पर दिए गए बयान पर विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि हमारे नागरिकों को अपनी ओर से बोलने के लिए किसी और की ज़रूरत नहीं है. कम से कम उन लोगों की तो बिल्कुल भी नहीं जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का उद्योग खड़ा किया है. बता दें कि शुक्रवार को महासभा को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था. अपने भाषण में इमरान खान ने कश्मीरी में ठप्प पड़ी संचार व्यवस्था, वहां के नागरिकों और नेताओं की नजरबंदी के बारे में कहा था.
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इमरान खान की इसी स्पीच पर जवाब देते हुए भारत ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर के भारत में एकीकरण को रोका हुआ था और इससे राज्य का विकास रुक गया था. विदिशा मैत्रा ने कहा, "भारत जम्मू और कश्मीर को मुख्यधारा में लाना चाहता है.' उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत के संपन्न और जीवंत लोकतंत्र में विविधता, बहुलवाद और सहिष्णुता की सदियों पुरानी विरासत के साथ अच्छी तरह से रह रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'भारत के नागरिकों को अपनी ओर से बोलने के लिए किसी और की जरूरत नहीं है. कम से कम उन लोगों की तो नहीं जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का उद्योग खड़ा किया है.'
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बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को विभिन्न वैश्विक मंचों पर उठाने की लगातार कोशिश रहा है. हालांकि इसमें उसे सफलता नहीं मिली है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी भारत सरकार के फैसले पर सहमति जताई है और इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है. वहीं यूएन में इमरान खान ने दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों के बीच होने वाले युद्ध के परिणाम को लेकर चेतावनी दी थी. वहीं एक अमेरिकी सांसद ने इमरान खान से पूछा कि वह कश्मीर की तरह चीन के उइगुर मुसलमानों के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर क्यों नहीं उठाते.
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दक्षिण और मध्य एशिया में अमेरिका के कार्यकारी असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस वेल्स ने संयुक्त राष्ट्र संघ की 74वीं जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की आलोचना की. उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के चीन के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाने को लेकर सवाल किए. एलिस वेल्स ने कहा कि चीन के जिनजियांग प्रांत में करीब 10 लाख मुसलमानों को बंदी बनाया गया, लेकिन पाकिस्तान वह मसला कभी नहीं उठाता. एलिस वेल्स ने कहा कि मैं बराबर स्तर की चिंता उन मुसलमानों के लिए भी देखना चाहता हूं, जिनको पश्चिमी चीन में बंदी बनाया गया है. वे वास्तव में कान्सन्ट्रेशन जैसी हालत में हैं. चूंकि आप कश्मीर में मुसलमानों के मानवाधिकारों को लेकर बुरी तरह चिंतित हैं, इसलिए यह चिंता और अधिक विस्तार मांगती है.
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