
पाकिस्तान और भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम, सभी समझौते, सहमति का कड़ाई से पालन करने और मौजूदा व्यवस्था के जरिए किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का समाधान करने या गलतफहमी को दूर करने पर राजी हुए हैं. पाकिस्तानी सेना ने बृहस्पतिवार को एक बयान में इस बारे में बताया.
पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई अंतर-सेवा जन संपर्क (आईएसपीआर) द्वारा जारी बयान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच स्थापित हॉटलाइन संपर्क व्यवस्था के जरिए चर्चा में दोनों देशों के बीच इस पर सहमति बनी. वार्ता के बाद इस्लामाबाद और नयी दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा कि नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की.
संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘सीमाओं पर दोनों देशों के लिए लाभकारी एवं स्थायी शांति स्थापित करने के लिए डीजीएमओ ने उन अहम चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई, जिनसे शांति बाधित हो सकती है और हिंसा हो सकती है.''
इसमें कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई.'' दोनों पक्ष ने दोहराया कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए हॉटलाइन संपर्क और ‘फ्लैग मीटिंग' व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा.
‘डॉन' अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के हवाले से कहा है, ‘‘1987 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन स्तर पर संपर्क हो रहा है. इस स्थापित तंत्र के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ संपर्क में रहते हैं.'' उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से एलओसी पर संघर्ष विराम समझौता के उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है. बयान में कहा गया, ‘‘दोनों डीजीएमओ ने सहमति जतायी कि 2003 की मौजूदा सहमति का अक्षरश: पालन करना चाहिए.'' दोनों अधिकारी इसे टिकाऊ बनाने पर राजी हुए और इस आधार पर कदम उठाने की मंशा जतायी.
अखबार के मुताबिक, हालिया कदम को परमाणु शक्ति से संपन्न दोनों देशों के बीच वर्षों से कायम तनाव घटाने के तौर पर देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हाल में भारत से वार्ता के जरिए सभी मुद्दे सुलझाने का प्रस्ताव दिया था. पाकिस्तान के आतंकी समूहों द्वारा 2016 में पठानकोट वायु सेना बेस पर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध में तनाव उत्पन्न हो गया. उरी में भारतीय सेना के कैंप पर हमले के कारण दोनों देशों के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गया.
पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत के बाद भारत के युद्धक विमानों ने पाकिस्तान में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया. इस घटना के बाद तनाव बहुत ज्यादा गहरा गया. इसके बाद भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों बिगड़ते गए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)