नई दिल्ली:
अपनी सैन्य क्षमता को अत्याधुनिक बनाने की कवायद के चलते भारत ने रक्षा व्यय के मामले में दुनिया के पांच सबसे ज़्यादा खर्च करने वाले देशों में जगह बना ली है.
मीडिया में प्रकाशित ख़बरों में आईएचएस जेन की वार्षिक रक्षा बजट रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि इस बार भारत ने सबसे ज़्यादा रक्षा व्यय के मामले में रूस और सऊदी अरब को पछाड़कर चौथा स्थान हासिल कर लिया है, जबकि शीर्ष पर 622 अरब अमेरिकी डॉलर के खर्च के साथ अब भी अमेरिका ही है. इस सूची में दुनिया में दूसरे नंबर पर भारत का पड़ोसी देश चीन है, जबकि तीसरे स्थान पर ब्रिटेन मौजूद है. रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह है कि इसके मुताबिक वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पछाड़ते हुए भारत सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा.
105 देशों के रक्षा व्यय की भविष्यवाणी करने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के अतिरिक्त समूचे यूरोप तथा चीन समेत सारी दुनिया में उभरते विवादों तथा अस्थिरता के दौर की वजह से अगले दशक के दौरान रक्षा व्यय में बढ़ोतरी होगी. आईएचएस जेन की प्रधान विश्लेषक फेनेला मैकगर्टी का कहना है कि वर्ष 2016 के दौरान रक्षा व्यय फिर काफी अच्छी दर से बढ़ा है, और इससे उम्मीद की जा सकती है कि पूरे दशक में रक्षा व्यय बढ़ता रहेगा.
सोमवार को जारी की गई आईएचएस जेन की वार्षिक रक्षा बजट रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 के बाद पहली बार नाटो के रक्षा व्यय में भी बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि उन्हें आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) और रूस की ओर से पेश होने वाले खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 के दौरान वैश्विक रक्षा व्यय कुल एक फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 16 खरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, जबकि वर्ष 2015 में इसमें 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
मीडिया में प्रकाशित ख़बरों में आईएचएस जेन की वार्षिक रक्षा बजट रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि इस बार भारत ने सबसे ज़्यादा रक्षा व्यय के मामले में रूस और सऊदी अरब को पछाड़कर चौथा स्थान हासिल कर लिया है, जबकि शीर्ष पर 622 अरब अमेरिकी डॉलर के खर्च के साथ अब भी अमेरिका ही है. इस सूची में दुनिया में दूसरे नंबर पर भारत का पड़ोसी देश चीन है, जबकि तीसरे स्थान पर ब्रिटेन मौजूद है. रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह है कि इसके मुताबिक वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पछाड़ते हुए भारत सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा.
105 देशों के रक्षा व्यय की भविष्यवाणी करने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के अतिरिक्त समूचे यूरोप तथा चीन समेत सारी दुनिया में उभरते विवादों तथा अस्थिरता के दौर की वजह से अगले दशक के दौरान रक्षा व्यय में बढ़ोतरी होगी. आईएचएस जेन की प्रधान विश्लेषक फेनेला मैकगर्टी का कहना है कि वर्ष 2016 के दौरान रक्षा व्यय फिर काफी अच्छी दर से बढ़ा है, और इससे उम्मीद की जा सकती है कि पूरे दशक में रक्षा व्यय बढ़ता रहेगा.
सोमवार को जारी की गई आईएचएस जेन की वार्षिक रक्षा बजट रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 के बाद पहली बार नाटो के रक्षा व्यय में भी बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि उन्हें आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) और रूस की ओर से पेश होने वाले खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 के दौरान वैश्विक रक्षा व्यय कुल एक फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 16 खरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, जबकि वर्ष 2015 में इसमें 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
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