पूरी दुनिया में फैली कोरोना महामारी (Corona Virus) को देखेत हुए कई देशों ने वैक्सीन पासपोर्ट (Vaccine Passport) का प्रस्ताव रखा है. भारत सरकार ने प्रस्तावित वैक्सीन पासपोर्ट के मुद्दे का विरोध किया है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Dr Harshvardhan) ने जी7 की बैठक (G7 Meet) में अन्य देशों के अपने समकक्षों के सामने कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट की पहल बेहद भेदभाव वाली साबित हो सकती है. सात विकसित देशों की इस बैठक में भारत को इस वर्ष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. बैठक में डॉ हर्षवर्धन ने विकासशील देशों में टीकों की उपलब्धता और टीकाकरण की कम दरों के बारे में चिंता व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में टीकाकरण के निम्न स्तर के तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह पहल उचित नहीं है. हमारा मानना है कि वैक्सीन पासपोर्ट विकासशील देशों के लिए बेहद भेदभावपूर्ण और नुकसानदेह होगा. विकासशील देशों के लिए अभी टीकाकरण को बढ़ावा देना और इसकी सुगमता को और मजबूत करना ज्यादा जरूरी है.
डॉ हर्षवर्धन ने कहा, "भारत सुझाव देगा कि इसे टीकों की प्रभावकारिता पर मिल रहे सबूतों और डब्ल्यूएचओ के सुझावों को ध्यान में रखते हुए लागू किया जाना चाहिए."
बता दें कि कल शुक्रवार को ब्रिटेन में जी7 के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में भविष्य की महामारियों और अन्य खतरों के खिलाफ समन्वय बढ़ाने के लिए तो सहमति बनी, लेकिन कम विकसित देशों में वैक्सीन वितरण में तेजी लाने के लिए कोई नई प्रतिबद्धता नहीं बनाई गई.
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मंत्रियों ने एक संयुक्त घोषणा में कहा कि समझौते का उद्देश्य कोविड -19 और भविष्य के स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए वैक्सीन और चिकित्सीय परीक्षणों के परिणामों को साझा करना, आसान और तेज बनाना है.
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