मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ।
नई दिल्ली:
भारत और मालदीव ने सोमवार को छह समझौतों पर दस्तखत किए हैं। इनमें सामरिक सहयोग और टैक्स पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के समझौते भी शामिल हैं।
रिश्तों में उतार-चढ़ाव, फायदा चीन को
भारत के लिए मालदीव बेहद अहम है। यह हिंद महासागर में भारत के सिक्युरिटी ग्रिड का हिस्सा है। मालदीव के द्वीपों पर लगाए गए राडार सागर की निगरानी करते हैं जिनसे जुटाई जानकारियां भारत स्थित केंद्रीय कंट्रोल रूम तक पहुंचती हैं। लेकिन पिछले कुछ वक्त से दोनों देशों के रिश्तों ने काफी उतार चढ़ाव देखा। माले के हवाई अड्डे को अपग्रेड करने के लिए भारतीय कंपनी जीएमआर से सौदा मालदीव ने रद्द कर दिया। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी के तरीके पर दूसरे कई देशों सहित भारत ने भी सवाल उठाए थे। इस सबका फायदा चीन उठा रहा है वह मालदीव में लगातार निवेश कर रहा है। भारत के लिए ये बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि उसने ऐसा ही पाकिस्तान और श्रीलंका में भी किया है। दूसरी तरफ मालदीव में अगर कट्टरपंथी इस्लाम पांव पसारने में कामयाब होता है तो भारत के लिए भी समस्या खड़ी होगी। लेकिन अगर भारत इन चीजों को समस्या की तरह देखता है, वह मालदीव के लिए उससे भी बड़ी समस्या है। उसके लिए जीने-मरने का सवाल है।
सुरक्षा और विकास के लिए भारत की जरूरत
भारत के दौरे पर आए मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम ने सोमवार को साझा प्रेस कान्फेंस में कहा कि उनके देश की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। देश में 65 फीसदी आबादी युवाओं की है जो परेशान हैं, उद्वेलित हैं। सुधारों से उन्हें उम्मीद है। यही एक मौका है खुद को साबित करने का। अगर ऐसा नहीं कर पाए तो इस्लामिक आतंकवाद को देश में घुसने और पनपने का मौका मिलेगा। उसे सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए भारत की जरूरत है।
मालदीव की जरूरतों के प्रति भारत जागरूक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि सामरिक रूप से मालदीव भारत के लिए अहम है और मालदीव की जरूरतों के प्रति भारत जागरूक है। भारत नेबर्स फर्स्ट की नीति का पालन करता है। लेकिन इतना साफ है कि भारत को मालदीव से रिश्ते और मजबूत करने की जरूरत है ताकि उसकी सुरक्षा पर आंच न आए। जरूरत पड़ने पर कुछ ही घंटों के अंदर मालदीव को पानी मुहैया कराना बड़ी चीज़ तो है लेकिन मालदीव को कॉमनवेल्थ मिनिस्टेरियल एक्शन ग्रुप में भी मदद की उम्मीद है।
रिश्तों में उतार-चढ़ाव, फायदा चीन को
भारत के लिए मालदीव बेहद अहम है। यह हिंद महासागर में भारत के सिक्युरिटी ग्रिड का हिस्सा है। मालदीव के द्वीपों पर लगाए गए राडार सागर की निगरानी करते हैं जिनसे जुटाई जानकारियां भारत स्थित केंद्रीय कंट्रोल रूम तक पहुंचती हैं। लेकिन पिछले कुछ वक्त से दोनों देशों के रिश्तों ने काफी उतार चढ़ाव देखा। माले के हवाई अड्डे को अपग्रेड करने के लिए भारतीय कंपनी जीएमआर से सौदा मालदीव ने रद्द कर दिया। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी के तरीके पर दूसरे कई देशों सहित भारत ने भी सवाल उठाए थे। इस सबका फायदा चीन उठा रहा है वह मालदीव में लगातार निवेश कर रहा है। भारत के लिए ये बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि उसने ऐसा ही पाकिस्तान और श्रीलंका में भी किया है। दूसरी तरफ मालदीव में अगर कट्टरपंथी इस्लाम पांव पसारने में कामयाब होता है तो भारत के लिए भी समस्या खड़ी होगी। लेकिन अगर भारत इन चीजों को समस्या की तरह देखता है, वह मालदीव के लिए उससे भी बड़ी समस्या है। उसके लिए जीने-मरने का सवाल है।
सुरक्षा और विकास के लिए भारत की जरूरत
भारत के दौरे पर आए मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम ने सोमवार को साझा प्रेस कान्फेंस में कहा कि उनके देश की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। देश में 65 फीसदी आबादी युवाओं की है जो परेशान हैं, उद्वेलित हैं। सुधारों से उन्हें उम्मीद है। यही एक मौका है खुद को साबित करने का। अगर ऐसा नहीं कर पाए तो इस्लामिक आतंकवाद को देश में घुसने और पनपने का मौका मिलेगा। उसे सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए भारत की जरूरत है।
मालदीव की जरूरतों के प्रति भारत जागरूक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि सामरिक रूप से मालदीव भारत के लिए अहम है और मालदीव की जरूरतों के प्रति भारत जागरूक है। भारत नेबर्स फर्स्ट की नीति का पालन करता है। लेकिन इतना साफ है कि भारत को मालदीव से रिश्ते और मजबूत करने की जरूरत है ताकि उसकी सुरक्षा पर आंच न आए। जरूरत पड़ने पर कुछ ही घंटों के अंदर मालदीव को पानी मुहैया कराना बड़ी चीज़ तो है लेकिन मालदीव को कॉमनवेल्थ मिनिस्टेरियल एक्शन ग्रुप में भी मदद की उम्मीद है।
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