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This Article is From Aug 17, 2019

कश्मीर पर UNSC की बैठक: भारत की दो टूक, कहा- हमारा आंतरिक मामला, एक देश जानबूझकर 'जिहाद की शब्दावली' बोल रहा है

UNSC: चीन और पाकिस्तान के अनुरोध पर अनौपचारिक बैठक पूरी होने के बाद भारत के अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए जबकि चीन और पाकिस्तान के दूत अपने बयान देने के बाद तुरंत चले गए.

कश्मीर पर UNSC की बैठक: भारत की दो टूक, कहा- हमारा आंतरिक मामला, एक देश जानबूझकर 'जिहाद की शब्दावली' बोल रहा है
UNSC Meet: संयुक्त राष्ट्र परिषद में उठा जम्मू-कश्मीर का मुद्दा.
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर हुई बैठक
भारत ने साफ किया अपना पक्ष
नई दिल्ली:

भारत ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को लेकर संयुक्ता राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Council) की बैठक में शुक्रवार में अपना रुख साफ किया है. इस बैठक से बाहर आने के बाद संयुक्त राष्ट्र (United Nations Council) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतया भारत का आतंरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नहीं है. भारत ने जम्मू-कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक के बाद कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) का विशेष राज्य का दर्जा हटाना पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नहीं है. इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में कहा कि वार्ता शुरू करने के लिए उसे आतंकवाद रोकना होगा. चीन और पाकिस्तान के अनुरोध पर अनौपचारिक बैठक पूरी होने के बाद भारत के अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए जबकि चीन और पाकिस्तान के दूत अपने बयान देने के बाद तुरंत चले गए.

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उन्होंने संवाददाताओं को प्रश्न पूछने का मौका नहीं दिया. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग कश्मीर में स्थिति को भयावह नजरिए से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर है. वार्ता शुरू करने के लिए आतंकवाद रोकिए. अकबरुद्दीन ने कहा कि जब देश आपस में संपर्क या वार्ता करते हैं तो इसके सामान्य राजनयिक तरीके होते हैं. यह ऐसा करने का तरीका है, लेकिन आगे बढ़ने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने जैसे तरीके को सामान्य देश नहीं अपनाते. यदि आतंकवाद बढ़ता है तो कोई भी लोकतंत्र वार्ता को स्वीकार नहीं करेगा. आतंकवाद रोकिए, वार्ता शुरू कीजिए.

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उन्होंने कहा कि भारत सरकार के हालिया फैसले और हमारे कानूनी निकायों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के हमारे लोगों के लिए सुशासन को प्रोत्साहित किया जाए, सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाया जाए. अकबरुद्दीन ने एक घंटे से अधिक समय तक चली सुरक्षा परिषद की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि हम खुश हैं कि सुरक्षा परिषद (UNSC meeting) ने बंद कमरे में हुई चर्चा में इन प्रयासों की सराहना की और उन्हें पहचाना. राजनयिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में कोई परिणाम नहीं निकला. अकबरुद्दीन ने कहा कि एक विशेष चिंता यह है कि एक देश और उसके नेतागण भारत में हिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं और जिहाद की शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं. हिंसा हमारे समक्ष मौजूदा समस्याओं का हल नहीं है.

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बैठक के बाद चीनी और पाकिस्तानी दूतों के मीडिया को संबोधित करने के बारे में अकबरुद्दीन ने कहा कि सुरक्षा परिषद बैठक समाप्त होने के बाद हमने पहली बार देखा कि दोनों देश (चीन और पाकिस्तान) अपने देश की राय को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय बताने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में धीरे-धीरे सभी प्रतिबंध हटाने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने बैठक के बाद कहा कि बैठक में कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी गई. लोधी ने कहा कि यह बैठक होना इस बात का सबूत है कि इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया है.

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बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और एक दूसरे को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने की अपील की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मामले पर चीन का रुख बताते हुए कहा कि भारत के एकतरफा कदम ने उस कश्मीर में यथास्थिति बदल दी है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद समझा जाता है. कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम ने चीन के संप्रभु हितों को भी चुनौती दी है और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाने को लेकर द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है. चीन काफी चिंतित है. रूस के उप-स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलिंस्की ने बैठक कक्ष में जाने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मॉस्को का मानना है कि यह भारत एवं पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है. 

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उन्होंने कहा कि बैठक यह समझने के लिए की गई है कि क्या हो रहा है. उल्लेखनीय है कि बंद कमरे में बैठकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं होता और इसमें बयानों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता. विचार-विमर्श सुरक्षा परिषद के सदस्यों की अनौपचारिक बैठकें होती हैं. भारत और पाकिस्तान ने बैठक में भाग नहीं लिया. बैठक परिषद के पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों के लिए ही थी. संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1965 में भारत-पाकिस्तान प्रश्न के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी.    हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की थी. 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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