नई दिल्ली:
मंगोलिया को भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक अरब डॉलर की मदद देने की घोषणा पर देश में भले ही उतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई हो लेकिन भारत ने यह मदद ऐसी ही नहीं दी है बल्कि इसके पीछे सोची समझी रणनीति और कूटनीतिक समझ शामिल है।
मंगोलिया को मदद देने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका नई सरकार की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की है। वैसे यह बात शायद कम लोग जानते होंगे कि मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मंगोलिया का दौरा किया है। भारत के लिए मंगोलिया का महत्व इस नाते भी बहुत है कि ये रूस और चीन के बीच में है।
प्रधानमंत्री ने यह भी धोषणा की है कि भारत अब मंगोलिया को साइबर सुरक्षा, सीमा की निगरानी, पुलिस एवं चौकसी के अलावा सैनिकों को ट्रेनिंग देने में भी मदद करेगा। दोनों देशों के सैनिकों के बीच साझा युद्धाभ्यास शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है।
सामरिक जानकारों की मानें तो मोदी की यह पहल चीन को उसी की शैली में जवाब देने की है। गौरतलब है की पहले ऐसी ही मदद चीन भी भारत के पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका और भूटान की कर चुका है। भारत की अब कोशिश है जिस तरह से चीन भारत को घेरने के लिये भारत के पड़ोसी देशों पर चारा डालता है वैसा ही काम अब भारत भी कर कर रहा है।
केवल मंगोलिया ही नहीं, जापान, वियतनाम, ताईवान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भी भारत अपने सामरिक रिश्ते को नए आयाम दे रहा है।
एक तरह से इसे हम चीन को उसी की रणनीति के आधार पर घेरने की नीति भी कह सकते हैं लेकिन भारत ऐसा करते हुए सीधे तौर पर दिखना भी नहीं चाहता इसलिए प्रधानमंत्री चीन भी जाते हैं और पूरी गर्मजोशी से रिश्ते निभाने की बात करते हैं लेकिन साथ ही मंगोलिया जाकर देश की नई सामरिक सूझ-बुझ का नजारा भी पेश कर आते हैं। वैसे भारत और मंगोलिया के बीच कूटनीतिक सबंध पिछले 60 साल से जारी हैं और दोनों देशों की जमीनी सरहद चीन से मिलती है।
मंगोलिया को मदद देने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका नई सरकार की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की है। वैसे यह बात शायद कम लोग जानते होंगे कि मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मंगोलिया का दौरा किया है। भारत के लिए मंगोलिया का महत्व इस नाते भी बहुत है कि ये रूस और चीन के बीच में है।
प्रधानमंत्री ने यह भी धोषणा की है कि भारत अब मंगोलिया को साइबर सुरक्षा, सीमा की निगरानी, पुलिस एवं चौकसी के अलावा सैनिकों को ट्रेनिंग देने में भी मदद करेगा। दोनों देशों के सैनिकों के बीच साझा युद्धाभ्यास शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है।
सामरिक जानकारों की मानें तो मोदी की यह पहल चीन को उसी की शैली में जवाब देने की है। गौरतलब है की पहले ऐसी ही मदद चीन भी भारत के पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका और भूटान की कर चुका है। भारत की अब कोशिश है जिस तरह से चीन भारत को घेरने के लिये भारत के पड़ोसी देशों पर चारा डालता है वैसा ही काम अब भारत भी कर कर रहा है।
केवल मंगोलिया ही नहीं, जापान, वियतनाम, ताईवान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भी भारत अपने सामरिक रिश्ते को नए आयाम दे रहा है।
एक तरह से इसे हम चीन को उसी की रणनीति के आधार पर घेरने की नीति भी कह सकते हैं लेकिन भारत ऐसा करते हुए सीधे तौर पर दिखना भी नहीं चाहता इसलिए प्रधानमंत्री चीन भी जाते हैं और पूरी गर्मजोशी से रिश्ते निभाने की बात करते हैं लेकिन साथ ही मंगोलिया जाकर देश की नई सामरिक सूझ-बुझ का नजारा भी पेश कर आते हैं। वैसे भारत और मंगोलिया के बीच कूटनीतिक सबंध पिछले 60 साल से जारी हैं और दोनों देशों की जमीनी सरहद चीन से मिलती है।
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