नई दिल्ली:
नार्वे में एक अनिवासी भारतीय के दो बच्चों को उनके स्वाभाविक माता-पिता से अलग किए जाने के मामले पर भारत ‘सक्रिय’ रूप से प्रयास रहा है। नार्वे की शिशु देखभाल सेवा इन बच्चों का पालन पोषण कर रही है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि नार्वे के विदेश मंत्रालय के साथ इस मामले पर सक्रियता से प्रयास किया जा रहा है। इस पर ओस्लो में और यहां पांच जनवरी 2012 को कड़ा पत्र भेजा गया था।
अनिवासी भारतीय दंपति अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के बच्चे अभिज्ञान (तीन) और ऐश्वर्या (एक) को नार्वे की शिशु देखभाल सेवा बारनेवार्ने ने अपने संरक्षण में ले लिया था।
बारनेवार्ने का दावा है कि बच्चे भावनात्मक रूप से अपने माता-पिता से कट गए थे और नार्वे की एक स्थानीय अदालत के निर्देश पर उसने अपने संरक्षण में ले लिया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि नार्वे के विदेश मंत्रालय के साथ इस मामले पर सक्रियता से प्रयास किया जा रहा है। इस पर ओस्लो में और यहां पांच जनवरी 2012 को कड़ा पत्र भेजा गया था।
अनिवासी भारतीय दंपति अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के बच्चे अभिज्ञान (तीन) और ऐश्वर्या (एक) को नार्वे की शिशु देखभाल सेवा बारनेवार्ने ने अपने संरक्षण में ले लिया था।
बारनेवार्ने का दावा है कि बच्चे भावनात्मक रूप से अपने माता-पिता से कट गए थे और नार्वे की एक स्थानीय अदालत के निर्देश पर उसने अपने संरक्षण में ले लिया।