नई दिल्ली:
भारतीय कर कानून को एशिया प्रशांत क्षेत्र में दूसरा सबसे जटिल कानून माना जाता है और पिछले तीन साल में इसको लेकर भरोसा कम हुआ है. डेलायट के एक सर्वे में यह कहा गया है. आडिट और वित्तीय परामर्श कंपनी डेलायट ने एक सर्वे में कहा कि कराधान के मामले में जटिल क्षेत्रों में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है और कर की जरूरतें काफी जटिल हैं.
डेलायट के एशिया प्रशांत कर जटिलता सर्वे के अनुसार जापान, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया तथा दक्षिण कोरिया कर जटिलता सूचकांक में भारत के बाद आते हैं. इसमें कहा गया है, ‘दोनों देशों (चीन और भारत) में आधे से अधिक प्रतिभागियों का मानना है कि इन क्षेत्रों में पिछले तीन साल में कर जटिलता बढ़ी हैं.’ यहां जटिलता से आशय संबंधित क्षेत्र में कर कानून एवं नियमों के विश्लेषण में कठिनाइयों से है.
डेलायट ने कहा, ‘‘सर्वे में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में से 90 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत, चीन और इंडोनेशिया में कर सुधार देखना चाहेंगे. भारत के बारे में सर्वे में प्रतिभागियों ने कहा कि समय के साथ सुधारों को लेकर उनका नजरिया सकारात्मक है. कर नीतियों में निरंतरता के संदर्भ में ज्यादातर प्रतिभागियों का मानना था कि पिछले तीन साल में भारत इस मामले में निरंतरता का अभाव रहा है.
सर्वे में 300 वित्तीय और कर कार्यकारियों ने भाग लिया. इन लोगों से एशिया प्रशांत क्षेत्र में 20 देशों में मौजूदा और आगे कर मौहाल को लेकर उम्मीद के बारे में सवाल पूछे गये थे. इन प्रतिभागियों में से 147 के कामकाज भारत में हैं. सर्वे के अनुसार जहां विकसित बाजारों में कर व्यवस्था स्थिर है वहीं भारत, चीन और इंडोनेशिया में इसमें निरंतरता की कमी है और इसको लेकर भरोसा कम हुआ है.
डेलायट के एशिया प्रशांत कर जटिलता सर्वे के अनुसार जापान, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया तथा दक्षिण कोरिया कर जटिलता सूचकांक में भारत के बाद आते हैं. इसमें कहा गया है, ‘दोनों देशों (चीन और भारत) में आधे से अधिक प्रतिभागियों का मानना है कि इन क्षेत्रों में पिछले तीन साल में कर जटिलता बढ़ी हैं.’ यहां जटिलता से आशय संबंधित क्षेत्र में कर कानून एवं नियमों के विश्लेषण में कठिनाइयों से है.
डेलायट ने कहा, ‘‘सर्वे में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में से 90 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत, चीन और इंडोनेशिया में कर सुधार देखना चाहेंगे. भारत के बारे में सर्वे में प्रतिभागियों ने कहा कि समय के साथ सुधारों को लेकर उनका नजरिया सकारात्मक है. कर नीतियों में निरंतरता के संदर्भ में ज्यादातर प्रतिभागियों का मानना था कि पिछले तीन साल में भारत इस मामले में निरंतरता का अभाव रहा है.
सर्वे में 300 वित्तीय और कर कार्यकारियों ने भाग लिया. इन लोगों से एशिया प्रशांत क्षेत्र में 20 देशों में मौजूदा और आगे कर मौहाल को लेकर उम्मीद के बारे में सवाल पूछे गये थे. इन प्रतिभागियों में से 147 के कामकाज भारत में हैं. सर्वे के अनुसार जहां विकसित बाजारों में कर व्यवस्था स्थिर है वहीं भारत, चीन और इंडोनेशिया में इसमें निरंतरता की कमी है और इसको लेकर भरोसा कम हुआ है.
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