नई दिल्ली:
सरबजीत सिंह की मौत के बाद पाकिस्तान की जेलों में बंद 270 भारतीय कैदियों की सुरक्षा को लेकर भारत गंभीर रूप से चिंतित है और चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
हाल के महीने में सरबजीत का मामला दूसरा मामला था। एक अन्य कैदी चमेल सिंह के साथ भी ऐसा ही किया गया और भारत को उम्मीद है कि ‘‘यह अंतिम मामला होगा।’’ बहरहाल भारत इस मुद्दे को फिलहाल किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने को इच्छुक नहीं है और इसे द्विपक्षीय तरीके से निपटाना चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरी दुनिया में यह नियम है कि कैदियों की सुरक्षा उस देश के अधिकारियों की जिम्मेदारी है।’’ वह पिछले हफ्ते लाहौर के कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हमले के बाद हुई उनकी मौत के परिप्रेक्ष्य में बोल रहे थे।
इस वर्ष जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में 215 मछुआरे और 55 अन्य भारतीय कैदी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारतीय कैदियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।’’ सरबजीत से पहले एक अन्य भारतीय नागरिक चमेल सिंह की लाहौर के कोट लखपत जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत पाकिस्तान से फिर यह बात कह रहा है कि वह भारतीय कैदियों के मामले को सहानुभूति एवं मानवता के आधार पर देखे।
भारत का मानना है कि पाकिस्तान में इसके कैदियों के साथ ‘‘अमानवीय व्यवहार’’ हो रहा है क्योंकि चमेल सिंह के बाद यह दूसरा मामला था जो ‘‘गंभीर चिंता का मामला है।’’ सरबजीत से संबंधित घटनाओं पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार ने हरसंभव उपाय किए और अगर मामले को पाकिस्तान के साथ राजनीतिक स्तर पर ले जाना है तो उस पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरबजीत की मौत के बाद विदेश सचिव रंजन मथाई ने आज अपने पाकिस्तानी समकक्ष से दो बार बात की।
इसके अलावा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री से बात की वहीं उपउच्चायुक्त पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में थे।
एक सवाल के जवाब में अकबरूद्दीन ने इस बात से इनकार किया कि सरबजीत को जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने से पहले भारत से सलाह-मशविरा किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा था कि वह जिंदा रहें।
हाल के महीने में सरबजीत का मामला दूसरा मामला था। एक अन्य कैदी चमेल सिंह के साथ भी ऐसा ही किया गया और भारत को उम्मीद है कि ‘‘यह अंतिम मामला होगा।’’ बहरहाल भारत इस मुद्दे को फिलहाल किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने को इच्छुक नहीं है और इसे द्विपक्षीय तरीके से निपटाना चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरी दुनिया में यह नियम है कि कैदियों की सुरक्षा उस देश के अधिकारियों की जिम्मेदारी है।’’ वह पिछले हफ्ते लाहौर के कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हमले के बाद हुई उनकी मौत के परिप्रेक्ष्य में बोल रहे थे।
इस वर्ष जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में 215 मछुआरे और 55 अन्य भारतीय कैदी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारतीय कैदियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।’’ सरबजीत से पहले एक अन्य भारतीय नागरिक चमेल सिंह की लाहौर के कोट लखपत जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत पाकिस्तान से फिर यह बात कह रहा है कि वह भारतीय कैदियों के मामले को सहानुभूति एवं मानवता के आधार पर देखे।
भारत का मानना है कि पाकिस्तान में इसके कैदियों के साथ ‘‘अमानवीय व्यवहार’’ हो रहा है क्योंकि चमेल सिंह के बाद यह दूसरा मामला था जो ‘‘गंभीर चिंता का मामला है।’’ सरबजीत से संबंधित घटनाओं पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार ने हरसंभव उपाय किए और अगर मामले को पाकिस्तान के साथ राजनीतिक स्तर पर ले जाना है तो उस पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरबजीत की मौत के बाद विदेश सचिव रंजन मथाई ने आज अपने पाकिस्तानी समकक्ष से दो बार बात की।
इसके अलावा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री से बात की वहीं उपउच्चायुक्त पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में थे।
एक सवाल के जवाब में अकबरूद्दीन ने इस बात से इनकार किया कि सरबजीत को जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने से पहले भारत से सलाह-मशविरा किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा था कि वह जिंदा रहें।
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