विज्ञापन
This Article is From Jun 06, 2020

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव : भारत और चीन की सेनाओं के बीच शीर्ष स्तर पर आज बातचीत 

India-China border: तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में पहले भी कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन इन बैठकों के नाकाम रहने से अब लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर होने इस बैठक पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं.  

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव : भारत और चीन की सेनाओं के बीच शीर्ष स्तर पर आज बातचीत 
India-China Border news: भारत-चीन तनाव के बीच आज बातचीत
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारत और चीन के बीच तनाव सुलझाने के लिए बातचीत
दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले काफी समय से गतिरोध
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें
नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच भारत और चीन के बीच आज बातचीत चल रही है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले काफी दिनों से तनाव चल रहा है. भारत ने इस बातचीत की पहल की है. भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच चुशूल मोलदो बॉर्डर मीटिंग प्वाइंट पर यह बैठक हो रही है. भारत का प्रतिनिधित्व 14 कोर कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. बैठक में भारत चीन से एलएसी पर अप्रैल की यथास्थिति बरकरार रखने की मांग रखेगा. बातचीत पैंगोंग लेक के फिंगर 4 और फिंगर 8 पर फोकस रहेगी.   

तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में पहले भी कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन इन बैठकों के नाकाम रहने से अब लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर हो रही इस बैठक पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं.  

इस बीच, शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध के बीच भारत और चीन ने अपने ‘‘मतभेदों'' को विवाद में नहीं बदलने देने की प्रतिबद्धता जताई और एक- दूसरे की संवेदनशीलता, चिंता एवं आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए उन्हें वार्ता के माध्यम से दूर करने पर सहमत हुए.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वीडियो कांफ्रेंस के जरिये विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया), नवीन श्रीवास्तव और चीनी विदेश मंत्रालय में महानिदेशक वु जिआनघाओ के बीच हुई वार्ता में दोनों देशों ने तनाव को दूर करने में सकारात्मक रूख अपनाने के संकेत दिए. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच एक महीने से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता होने से एक दिन पहले दोनों राजनयिकों के बीच यह वार्ता हुई है.

सैन्य गतिरोध का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र किये बगैर विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने ‘‘मौजूदा घटनाक्रमों'' सहित द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के नेतृत्वों के मार्गदर्शन के तहत दोनों देशों को अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण चर्चा के जरिये दूर करना चाहिए.'' उसने कहा कि इन मतभेदों को दूर करने वाली चर्चा के दौरान दोनों पक्ष एक दूसरे की संवेदनशीलता, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करेंगे और इन्हें विवाद नहीं बनने देंगे.

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को दोनों देशों के वरिष्ठ राजनयिकों के बीच हुई वार्ता का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के लिये खतरा पैदा नहीं करना चाहिए और अपने मतभेदों को विवाद में में तब्दील नहीं होने देना चाहिए. बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष दोनों देशों के नेतृत्वों द्वारा मुहैया किये गये दिशानिर्देशों के मुताबिक मतभेदों को दूर करने पर सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई दो अनौपचारिक शिखर बैठकों में लिये गये फैसलों के संदर्भ में यह कहा गया. 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. सिंह लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग हैं. चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला कमांडर करेंगे.

लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर वार्ता के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीजिंग में प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘हमारे पास सीमा संबंधी पूर्ण तंत्र है और हम सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से करीबी संचार कायम रखते हैं.''

सूत्रों ने कहा कि भारत को बैठक से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं है लेकिन वह इसे महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि उच्च-स्तरीय सैन्य संवाद गतिरोध के हल के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है. दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 12 दौर की तथा मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला.

एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बातचीत में हमारे लिये एकसूत्री एजेंडा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता वापस लाना है। हम इसे हासिल करने के लिये विशेष उपाय का सुझाव देंगे, जिनमें पांच मई से पहले की स्थिति में लौटना शामिल होगा.''

यह गतिरोध पांच मई को पैंगोंग त्सो में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें होने के बाद शुरू हुआ था. पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी. 

बता दें कि दोनों देशों के सैनिक गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में लोहे की छड़ और डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे. उनके बीच पथराव भी हुआ था. इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे. पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही. इसके बाद दोनों पक्ष ‘‘अलग'' हुए. इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे. 

इससे पहले 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में आमना-सामना हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई थी. भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा है.

वीडियो: भारत-चीन सीमा विवाद की वजह क्या है?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com