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This Article is From Jan 25, 2017

भारत और संयुक्त अरब अमीरात में रणनीतिक साझेदारी सहित 14 संधियों पर दस्तख्त

भारत और संयुक्त अरब अमीरात में रणनीतिक साझेदारी सहित 14 संधियों पर दस्तख्त
14 समझौतों पर पीएम मोदी एवं अबू धाबी के शहजादे के बीच बातचीत के बाद दस्तखत हुए...
नई दिल्ली: द्विपक्षीय संबंधों को गति प्रदान करने के प्रयासों के तहत भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बुधवार को समग्र रणनीतिक साझेदारी संधि के अलावा रक्षा, सुरक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सहयोग संबंधों में एक नई उड़ान का संकेत है.

हालांकि यूएई ने 75 अरब डॉलर के निवेश कोष का जो वादा किया है, वह करार इन 14 समझौतों में शामिल नहीं है. भारत को इस निवेश कोष संधि की उम्मीद थी. 14 समझौतों पर पीएम मोदी एवं अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच बातचीत के बाद दस्तखत हुए.

अल नाहयान ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी के विचारों की पुष्टि की, 'पहले कभी, हमारा संबंध इतनी प्रभावशाली ऊंचाई पर नहीं पहुंचा... मुझे अपने इस संबंध को और अधिक उंचाई पर पहुंचते हुए देखने की उम्मीद है'. अल नाहयान गुरुवार को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. वह मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं बड़े उद्योगपतियों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मंगलवार को यहां पहुंचे.

अल नाहयान के साथ अपनी बातचीत को 'फलदायी एवं उपयोगी' करार देते हुए मोदी ने उनके साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक दायरे पर बातचीत हुई.

पीएम मोदी ने कहा, 'हमने अपनी समग्र रणनीतिक साझेदारी को उद्देश्यपरक एवं कार्योन्मुखी बनाने के लिए सहयोग का महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है. अभी-अभी जिस करार का विनिमय हुआ है, उसने इस समझ को संस्था का रूप प्रदान किया है'. उन्होंने कहा कि सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग ने इस संबंध को नया आयाम प्रदान किया है एवं घनिष्ठ संबंध का न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्व है.

मोदी ने कहा, 'हमने पश्चिम एशिया एवं खाड़ी के घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जहां की शांति एवं स्थायित्व में दोनों देशों के साझे हित हैं. हमने अफगानिस्तान समेत अपने क्षेत्र के घटनाक्रमों पर भी चर्चा की. हमारे लोगों की सुरक्षा पर बढ़ रहे कट्टरपंथ और आतंकवाद के खतरे पर हमारी साझी चिंता इस संबंध में हमारे सहयोग को एक आकार प्रदान कर रही है'. उन्होंने कहा, 'आगे बढ़ते हुए, हमारा सहयोग एक बड़ी उड़ान भरने को तैयार है. मुझे यकीन है कि महामहिम आपकी यात्रा हमारे पिछले संवादों से मिले लाभों एवं समझ को और दृढ़ बनाएगी तथा यह उसके भावी प्रारूप की दिशा तय करेगी तथा हमारी साझेदारी में गहराई एवं विविधता आएगी'. हालांकि दोनों पक्षों के बीच 75 अरब डॉलर के निवेश से जुड़े समझौते पर दस्तखत नहीं हुए, जबकि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कल इसकी उम्मीद जताई थी.

विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध सचिव अमर सिन्हा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था, 'इस यात्रा के दौरान हम उनके निवेश कोष एवं हमारे राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष के बीच करार पर दस्तखत होने की उम्मीद कर रहे हैं'. जब वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा गया कि क्यों 75 अरब डॉलर निवेश संधि पर हस्ताक्षर नहीं हुए, तो उन्होंने कहा, 'बातचीत काफी आगे पहुंच गई है और इस यात्रा ने उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद की है, जिनमें निवेश किया जा सकता है'. पीएम मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष रक्षा के क्षेत्र में सहयोग का समुद्री क्षेत्र समेत नए क्षेत्रों तक विस्तार करने पर राजी हुए हैं और रक्षा सहयोग संधि से रक्षा संबंध को सही दिशा में ले जाने में मदद मिलेगी.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम यह भी महसूस करते हैं कि हिंसा और चरमपंथ का मुकाबला करने में हमारे बीच बढ़ता सहयोग हमारे समाजों को सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक है'. हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले दोनों नेताओं ने यहां प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर करीब एक घंटे तक अकेले में बातचीत की. आतंकवाद का मुकाबला एवं सुरक्षा स्थिति उन अहम विषयों में शामिल थे, जिन पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई.

यूएई को भारत के अति महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक और दुनिया के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक घनिष्ठ साथी बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'हम यूएई को भारत की विकासगाथा में एक अहम साझेदार मानते हैं'. उन्होंने कहा कि उन्होंने दुबई में वर्ल्ड एक्सपो, 2020 में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में साझेदार बनने की भारतीय कंपनियों की इच्छा से अवगत कराया है.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं खासकर भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश करने में यूएई की दिलचस्पी का स्वागत करता हूं. हम यूएई के संस्थागत निवेशकों को अपने राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचे से जोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं'. अल नाहयान ने यह भी कहा कि यह देखना ताजगी भरा है कि भारतीय नेतृत्व संयुक्त अरब अमीरात के साथ संबंध मजबूत करने का इच्छुक है जो उनमें रणनीतिक साझेदारी संधि के भविष्य को लेकर अधिक विश्वास भरता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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