भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच चार समझौतों पर हस्ताक्षर, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने पर सहमति

तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव के साथ आज अपनी बैठक के दौरान, राष्ट्रपति कोविंद ने द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की तथा विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.

भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच चार समझौतों पर हस्ताक्षर, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने पर सहमति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान के अपने समकक्ष सर्दार बर्दीमुहामेदोव से मुलाकात की

अश्गाबात:

भारत और तुर्कमेनिस्तान ने आपदा प्रबंधन और वित्तीय आसूचना समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिये चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान के अपने समकक्ष सर्दार बर्दीमुहामेदोव से मुलाकात की और शनिवार को यहां द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की.

भारत के राष्ट्रपति की स्वतंत्र तुर्कमेनिस्तान की यह पहली यात्रा है, जो तुर्कमेनिस्तान के नए राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव के पद संभालने के कुछ दिनों बाद हुई है.

तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव के साथ आज अपनी बैठक के दौरान, राष्ट्रपति कोविंद ने द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की तथा विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.

विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम अपनी बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के लिये प्रयासों को तेज करने पर सहमत हुए हैं. आर्थिक संबंध द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं. हम द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने के लिए और अधिक प्रयास करने पर सहमत हुए. हमारे व्यापारिक समुदायों को अपने संपर्क को और मजबूत करना चाहिए, एक दूसरे के नियमों को समझना चाहिए और व्यापार तथा निवेश के नए क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए.''

दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) और अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारे पर अश्गाबात समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला.

कोविंद ने कहा कि ईरान में भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार में सुधार के लिए किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग आज की हमारी चर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में से एक था. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) पाइपलाइन पर, मैंने सुझाव दिया कि तकनीकी और विशेषज्ञ स्तर की बैठकों में पाइपलाइन की सुरक्षा और प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है.''

राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के अनुसार, ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अश्गाबात में ‘‘स्वतंत्रता स्मारक'' (इंडिपेंडेंस मोन्यूमेंट) पर पुष्पांजलि अर्पित की और एक पौधा लगाया.''

राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव द्वारा आयोजित संगीत संध्या के साथ एक भोज में राष्ट्रपति कोविंद शामिल हुए. बाद में दोनों नेता कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना करने के लिए उनके पास गए.

राष्ट्रपति कोविंद और उनके तुर्कमेनिस्तान समकक्ष के बीच वार्ता के दौरान, दोनों देशों ने आपदा प्रबंधन जैसे सहयोग के नए क्षेत्रों की भी पहचान की. कोविंद ने डिजिटलीकरण की दिशा में तुर्कमेनिस्तान द्वारा किये जा रहे प्रयासों के मद्देनजर उसके साथ साझेदारी करने के लिए भारत की इच्छा व्यक्त की और कहा कि अंतरिक्ष पारस्परिक रूप से सहयोग का एक अन्य क्षेत्र हो सकता है.

कोविंद ने कहा, ‘‘हमारे देश सदियों पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं. बातचीत के दौरान, मैंने एक दूसरे के क्षेत्र में नियमित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के महत्व को रेखांकित किया. हमने दोनों देशों की आबादी को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के प्रभावी प्रबंधन पर बारीकी से सहयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया.''

तुर्कमेनिस्तान भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन ढांचे में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जिसकी पहली मेजबानी भारत ने इस साल जनवरी में की थी.

इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है.

राष्ट्रपति कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का विस्तार किये जाने की स्थिति में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे के साथ-साथ 2021-22 की अवधि के लिए यूएनएससी के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत की पहल का समर्थन करने के लिए तुर्कमेनिस्तान को धन्यवाद दिया.

बुधवार को विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा था, ‘‘राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा न सिर्फ द्विपक्षीय रूप से बल्कि विस्तारित पड़ोस की अवधारणा और भारत-मध्य एशिया भागीदारी में भूमिका को लेकर तुर्कमेनिस्तान को हम कितना महत्व देते हैं, इसकी पुष्टि करती है.''

तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है . वर्मा ने कहा था, ‘‘तुर्कमेनिस्तान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर मध्य एशिया में स्थित है और ‘कनेक्टिविटी' एक ऐसी चीज है, जिस पर हमें लगता है कि तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी के फायदे मिलेंगे. हमने तुर्कमेनिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों को एक अरब डॉलर के ऋण की पेशकश की है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)