भारतीय वायुसेना के पिछले सप्ताह की शुरुआत में 13 लोगों के साथ लापता हुए एएन-32 विमान का मलबा मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज इलाके में दिखाई दिया, जिसके बाद वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से वायुसेना, थलसेना अधिकारियों तथा पर्वतारोहियों की टीम को वहां भेजा गया है. बुधवार सुबह लगभग 6:30 बजे अभियान शुरू किया गया, ताकि हादसे में बच गए किसी संभावित शख्स तथा शवों की तलाश की जा सके. मलबा लगभग 12,000 फुट की ऊंचाई पर मंगलवार को एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को दिखा था. बुधवार सुबह एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर को क्रैश वाली जगह पर उतरने में परेशानी भी हुई.
स्थानीय पर्वतारोहियों, जिन्होंने क्रैश वाली जगह को देखा था, को भी सियांग जिला प्रशासन ने बचाव कार्यक्रम में शामिल किया है. अरुणाचल प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन का बेस वेस्ट सियांग के काईयांग में बनाया गया है. बेस पर एक डॉक्टर तथा अन्य एमरजेंसी सेवाओं को तैनात किया गया है, और साथ ही एक बैकअप टीम को भी स्टैंडबाई पर रखा गया है.
#WATCH: Indian Air Force (IAF) continues search operation in the area where wreckage of missing AN-32 aircraft was found yesterday. #ArunachalPradesh pic.twitter.com/yoAMGg5ORk
— ANI (@ANI) June 12, 2019
भारतीय वायुसेना के सूत्रों ने NDTV को बताया कि जोरहाट का बेस अस्पताल किसी भी तरह की मेडिकल एमरजेंसी के लिए तैयार है. 3 जून को असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका स्थित सैन्य लैंडिंग स्ट्रिप के लिए उड़ान भरने के बाद दोपहर लगभग 1 बजे विमान रडार से गायब हो गया था.
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भारतीय वायुसेना के C-130J यातायात विमानों, सुखोई Su-30 लड़ाकू विमानों, नौसेना के P8-I तलाशी विमानों तथा वायुसेना व थलसेना के हेलीकॉप्टरों की टुकड़ियों ने पूरे हफ्ते मलबा तलाश करने की भरपूर कोशिश की, और आखिरकार मंगलवार को विमान का कुछ हिस्सा देखा गया. तलाशी अभियान में ISRO के उपग्रहों तथा मानवरहित ड्रोनों का भी इस्तेमाल किया गया था. वायुसेना ने दो एमआई-17 तथा एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर P8i का इश्तेमाल किया था.
नाइटटाइम सेंसरों से लैस थलसेना, नौसेना तथा ITBP की टीमों ने खराब मौसम के बावजूद दिन-रात घने जंगलों और कठिन माहौल वाली जगहों पर तलाशी को जारी रखा. लापता हुए विमान के क्रू सदस्यों के परिजन जोरहाट में इंतज़ार कर रहे हैं.
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पहाड़ों में जिस जगह विमान का मलबा देखा गया है, वहां घना जंगल है, और हवाई यातायात के लिए इसे दुनिया के सबसे कठिन इलाकों में शुमार किया जाता है. एएन-32 (पूर्व) सोवियत संघ द्वारा डिज़ाइन किया गया ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप यातायात विमान है, जिसे भारतीय वायुसेना पिछले चार दशक से इस्तेमाल करती आ रही है.
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