चेन्नई:
भारतीय नौसेना के जहाज और डॉर्नियर विमान उस मलबे की जांच कर रहे हैं, जिसे पिछले महीने 29 यात्रियों के साथ लापता हुए भारतीय वायुसेना के एएन 32 विमान का मलबा समझा जा रहा है.
भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के विशेषज्ञ जहाज़ 'समुद्र रत्नाकर' ने रविवार को ख़बर दी कि उसे चेन्नई से लगभग 200-300 नॉटिकल मील की दूरी पर दोपहर 2 बजे के कुछ ही समय बाद कुछ दिखाई दिया है, जो विमान के मलबे जैसा लगता है.
वायुसेना का कहना है कि वह इस बात की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मिली हुई वस्तुएं लापता विमान का मलबा हो सकती हैं. भारतीय समुद्र तकनीक संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी) का एक अन्य अतिविशेषज्ञताप्राप्त जहाज़ 'सागर निधि' भी समुद्र के उस इलाके को खंगाल रहा है, जहां आखिरी बार राडार पर एएन 32 को देखा गया था. ये वस्तुएं लगभग 3,500 मीटर की गहराई पर मिली हैं.
दोनों जहाज़ों में मल्टी-बीम ईको साउंडर लगे हैं, जिसके ज़रिये गहराई में पड़ी किसी भी वस्तु की दो मीटर तक आकार की तस्वीर देखी जा सकती है. जहाज़ों में सोनार उपकरण भी लगे है, जिसकी मदद से समुद्र की तलहटी के 150 मीटर नीचे तक दबी किसी वस्तु को तलाशा किया जा सकता है. यदि कुछ दिखाई देता है, तो जहाज़ पर मौजूद रोवरों को रिमोट कंट्रोल के ज़रिये समुद्र में उतारा जाता है, जो उनमें लगे शिकंजों की मदद से खुद जाकर तलहटी से उन वस्तुओं को ऊपर ला सकते हैं.
इलाके के ऊपर कोस्टगार्ड का डॉर्नियर विमान भी लगातार उड़ान भर रहा है.
अब यह अभियान भारत में समुद्र में चलाया गया सबसे बड़ा तलाशी अभियान बन चुका है, जिसमें एएन 32 विमान के 22 जुलाई को लापता होने के बाद से अब तक 17 जहाज़, एक पनडुब्बी और 23 विमान शामिल हो चुके हैं. दरअसल एएन 32 विमान में अंडरवॉटर लोकेटर सिस्टम नहीं लगा हुआ था, जिसकी वजह से उसकी तलाश मुश्किल हो गई है.
पिछले महीने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में बताया था, "अब तक मिले सभी सुराग बेकार साबित हुए हैं..."
भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के विशेषज्ञ जहाज़ 'समुद्र रत्नाकर' ने रविवार को ख़बर दी कि उसे चेन्नई से लगभग 200-300 नॉटिकल मील की दूरी पर दोपहर 2 बजे के कुछ ही समय बाद कुछ दिखाई दिया है, जो विमान के मलबे जैसा लगता है.
वायुसेना का कहना है कि वह इस बात की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मिली हुई वस्तुएं लापता विमान का मलबा हो सकती हैं. भारतीय समुद्र तकनीक संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी) का एक अन्य अतिविशेषज्ञताप्राप्त जहाज़ 'सागर निधि' भी समुद्र के उस इलाके को खंगाल रहा है, जहां आखिरी बार राडार पर एएन 32 को देखा गया था. ये वस्तुएं लगभग 3,500 मीटर की गहराई पर मिली हैं.
दोनों जहाज़ों में मल्टी-बीम ईको साउंडर लगे हैं, जिसके ज़रिये गहराई में पड़ी किसी भी वस्तु की दो मीटर तक आकार की तस्वीर देखी जा सकती है. जहाज़ों में सोनार उपकरण भी लगे है, जिसकी मदद से समुद्र की तलहटी के 150 मीटर नीचे तक दबी किसी वस्तु को तलाशा किया जा सकता है. यदि कुछ दिखाई देता है, तो जहाज़ पर मौजूद रोवरों को रिमोट कंट्रोल के ज़रिये समुद्र में उतारा जाता है, जो उनमें लगे शिकंजों की मदद से खुद जाकर तलहटी से उन वस्तुओं को ऊपर ला सकते हैं.
इलाके के ऊपर कोस्टगार्ड का डॉर्नियर विमान भी लगातार उड़ान भर रहा है.
अब यह अभियान भारत में समुद्र में चलाया गया सबसे बड़ा तलाशी अभियान बन चुका है, जिसमें एएन 32 विमान के 22 जुलाई को लापता होने के बाद से अब तक 17 जहाज़, एक पनडुब्बी और 23 विमान शामिल हो चुके हैं. दरअसल एएन 32 विमान में अंडरवॉटर लोकेटर सिस्टम नहीं लगा हुआ था, जिसकी वजह से उसकी तलाश मुश्किल हो गई है.
पिछले महीने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में बताया था, "अब तक मिले सभी सुराग बेकार साबित हुए हैं..."
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