कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव की फाइल फोटो...
बेंगलुरू:
कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव के खिलाफ विधानसभा में महाभियोग की प्रक्रिया शरू हो गई है ताकि इस्तीफ़ा न देने पर अड़े लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव को उनके पद से हटाया जा सके। वो देश के पहले ऐसे लोकायुक्त होंगे, जिन्हें महाभियोग के जरिए उनके पद से हटाया जाएगा।
दरअसल, लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव पिछले तीन महीने से दफ्तर नहीं आ रहे, जबसे उनके बेटे आश्विन राव पर लोकायुक्त रेड का डर दिखाकर सरकारी अधिकारियों से तक़रीबन 100 करोड़ रुपये फिरौती वसूलने का आरोप लगा है।
इस मामले में हंगामा उठने पर सरकार ने आईजी लेवल के अधिकारी कमल पंत की देखरेख में एक विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसने आश्विन राव के साथ-साथ लोकायुक्त दफ्तर में तैनात संयुक्त आयुक्त सय्यद रियाज़ और उनके एक मित्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
ज़ाहिर है कि लोकायुक्त दफ्तर और उनके सरकारी निवास से चल रहे इस रैकेट की जानकारी लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव को थी। उनसे भी एसआईटी ने इस बाबत पूछताछ की है, लेकिन संवैधानिक पद पर आसीन होने की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई करने में कुछ कानूनी पेचीदगियां आ रही हैं।
वहीं, दूसरी तरफ़ इतनी फजीहत होने के बावजूद भास्कर राव ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है। हालांकि सरकार की तरफ से उन्हें हटाने की हर मुमकिन कोशिश की गई। ऐसे में जस्टिस भास्कर राव को उनके पद से हटाने के आखिरी विकल्प के तौर पर महाभियोग प्रस्ताव का सहारा लिया गया, लेकिन इससे पहले प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कानून में संशोधन भी किया गया है।
नए कानून के सहारे लोकायुक्त को महाभियोग के जरिए हटाने के लिए विधानसभा के एक तिहाई सदस्य अगर लिखित प्रस्ताव स्पीकर को दें और स्पीकर उसे मंजूर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज दें तो लोकायुक्त की शक्तियां तब तक निलंबित रहेंगी, जब तक चीफ जस्टिस की जांच रिपोर्ट न आ जाए।
चीफ जस्टिस के पास जैसे ही स्पीकर का जांच करवाने का अनुरोध पत्र आएगा, उन्हें 3 मौजूद जजों की समिति बनानी होगी और उसे जांच कर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपनी होगी। अगर रिपोर्ट में लोकायुक्त को दोषी पाया गया तो दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव पारित कर लोकायुक्त को हटाया जा सकता है।
फिलहाल कर्नाटक विधानसभा में 225 सदस्य हैं, यानी महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 75 सदस्यों के हस्ताक्षर चाहिए। जबकि विपक्ष के पास 80 के आसपास विधायक हैं, जेडीएस और बीजेपी दोनों मिलकार। ऐसे में इन दोनों विपक्षी दलों ने हस्ताक्षर अभियान पूरा कर इसे कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष कोगाडु थिमप्पा को सौंप दिया है। थिमप्पा ने बताया कि नए कानून के प्रावधानों के मुताबिक वो अब इस प्रस्ताव को कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को आगे की कार्रवाई के लिए सौंप देंगे।
दरअसल, लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव पिछले तीन महीने से दफ्तर नहीं आ रहे, जबसे उनके बेटे आश्विन राव पर लोकायुक्त रेड का डर दिखाकर सरकारी अधिकारियों से तक़रीबन 100 करोड़ रुपये फिरौती वसूलने का आरोप लगा है।
इस मामले में हंगामा उठने पर सरकार ने आईजी लेवल के अधिकारी कमल पंत की देखरेख में एक विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसने आश्विन राव के साथ-साथ लोकायुक्त दफ्तर में तैनात संयुक्त आयुक्त सय्यद रियाज़ और उनके एक मित्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
ज़ाहिर है कि लोकायुक्त दफ्तर और उनके सरकारी निवास से चल रहे इस रैकेट की जानकारी लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव को थी। उनसे भी एसआईटी ने इस बाबत पूछताछ की है, लेकिन संवैधानिक पद पर आसीन होने की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई करने में कुछ कानूनी पेचीदगियां आ रही हैं।
वहीं, दूसरी तरफ़ इतनी फजीहत होने के बावजूद भास्कर राव ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है। हालांकि सरकार की तरफ से उन्हें हटाने की हर मुमकिन कोशिश की गई। ऐसे में जस्टिस भास्कर राव को उनके पद से हटाने के आखिरी विकल्प के तौर पर महाभियोग प्रस्ताव का सहारा लिया गया, लेकिन इससे पहले प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कानून में संशोधन भी किया गया है।
नए कानून के सहारे लोकायुक्त को महाभियोग के जरिए हटाने के लिए विधानसभा के एक तिहाई सदस्य अगर लिखित प्रस्ताव स्पीकर को दें और स्पीकर उसे मंजूर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज दें तो लोकायुक्त की शक्तियां तब तक निलंबित रहेंगी, जब तक चीफ जस्टिस की जांच रिपोर्ट न आ जाए।
चीफ जस्टिस के पास जैसे ही स्पीकर का जांच करवाने का अनुरोध पत्र आएगा, उन्हें 3 मौजूद जजों की समिति बनानी होगी और उसे जांच कर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपनी होगी। अगर रिपोर्ट में लोकायुक्त को दोषी पाया गया तो दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव पारित कर लोकायुक्त को हटाया जा सकता है।
फिलहाल कर्नाटक विधानसभा में 225 सदस्य हैं, यानी महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 75 सदस्यों के हस्ताक्षर चाहिए। जबकि विपक्ष के पास 80 के आसपास विधायक हैं, जेडीएस और बीजेपी दोनों मिलकार। ऐसे में इन दोनों विपक्षी दलों ने हस्ताक्षर अभियान पूरा कर इसे कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष कोगाडु थिमप्पा को सौंप दिया है। थिमप्पा ने बताया कि नए कानून के प्रावधानों के मुताबिक वो अब इस प्रस्ताव को कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को आगे की कार्रवाई के लिए सौंप देंगे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
कर्नाटक, लोकायुक्त जस्टिस भास्कर राव, महाभियोग, कर्नाटक विधानसभा, Karnataka, Lokayukta Justice Bhaskar Rao, Impeachment Proceedings, Karnataka Assembly