एक तरफ सरकार कोरोनावायरस (Coronavirus) से जंग लड़ने वाले डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को फ्रंटलाइन वॉरियर्स या कोरोना वॉरियर्स कह रही है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार ने संसद में कहा है कि उनके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डेटा नहीं है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्र सरकार के इस बयान पर नाराजगी जताई है. IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा ने NDTV इंडिया से खास बातचीत में कहा, 'बड़े दुखी मन से यह चिट्ठी लिखी गई है कि विडंबना है कि मेरे डॉक्टर साथी, नर्स, हेल्थ केयर वर्कर्स सारे देश की सेवा में जुटे हुए हैं और अगर हमको स्टेट सब्जेक्ट की तरह बांट दिया जाए तो इससे बड़ी विडंबना मेडिकल सिस्टम में हो नहीं सकती.'
उन्होंने आगे कहा, 'आज अगर मोर्टेलिटी इतनी कम आई है तो हमारे डॉक्टर दिन-रात काम कर रहे हैं. हेल्थ केयर वर्कर्स काम कर रहे हैं और हम IMA ने जब पहली मौत हुई हमारे एक साथी की, तो मैंने हमेशा कहा कि देखिए मोर्टेलिटी डॉक्टर्स में आ रही है और इसको आप ध्यान में रखें और स्टेप उठाएं. मैंने कितनी चिट्ठियां लिखीं है इस बारे में. आपके माध्यम से भी कितनी बार इस मुद्दे को उठाया है. इसमें जो प्राइवेट सेक्टर के डॉक्टर हैं, उनकी मोर्टेलिटी 8 फीसदी से ज्यादा है और वैसे डॉक्टर्स की 4 प्रतिशत है.'
डॉक्टर शर्मा ने कहा, 'डॉक्टर मरीज देख रहा है, चिकित्सा सेवा प्रोवाइड कर रहा है और IMA डॉक्टर्स के लिए सबसे बड़ी संस्था है. संस्था शुरू से कहती आई है कि जो हमारे डॉक्टर साथी हैं, सिंगल या कपल साथी जो सभी प्रदेशों की चिकित्सा सेवा का ध्यान रखते हैं, आप गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में सैलरी ग्रेड ना कीजिए, कोई भेदभाव ना रखें. एक डॉक्टर को बनाने में 15 साल लगते हैं और आज जब पार्लियामेंट में इस चीज की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया, तो फिर बहुत दुखी होकर मैंने ये चिट्ठी लिखी है. विडंबना यह भी है कि स्वास्थ्य मंत्री खुद एक डॉक्टर हैं.'
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उन्होंने कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री जी माननीय गृह मंत्री जी इन्होंने IMA को बुलाकर हमारे से सजेशन लिए, वीडियो कॉन्फ्रेंस कीं लेकिन अगर यह बात ऐसी है तो हमने तो जितनी भी संख्या है डॉक्टरों की, आप सबके साथ शेयर की है, बताया है, सरकार को भी बताते रहे हैं इसके बारे में कुछ करना चाहिए. अगर इसका कोई ध्यान ही ना लाया जाए पार्लियामेंट में तो मैं इसके आगे क्या कह सकता हूं.'
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NDTV ने डॉक्टर शर्मा से सवाल किया, 'आपने एक शब्द का इस्तेमाल किया है कि सरकार एक तरह का पाखंड कर रही है कि एक तरफ तो करोना और हमें कहा जाता है हमारे लिए तालियां-थालियां बजवाई जाती हैं, मोमबत्तियां जलाई जाती हैं, पुष्प वर्षा करवाई जाती है और दूसरी तरफ जब कोरोना संक्रमित होकर हम लोगों की मौत हो रही है, तो आप उसे एकनॉलेज भी नहीं कर रहे और कंपनसेशन भी नहीं कर रहे हैं.' जवाब में उन्होंने कहा, 'यह तो विडंबना कह रहा हूं कि जब एक डॉक्टर, मैं कितने परिवार गिना सकता हूं, उनके परिवार वाले भी डॉक्टर के साथ संक्रमित हुए हैं, आप उसमें भेदभाव कैसे कर सकते हैं.'
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उन्होंने कहा, 'कितने ऐसे उदाहरण हैं जहां पर डॉक्टर की मौत होने के बाद उसका अस्पताल या क्लीनिक बंद हो चुका है और एक डॉक्टर जो है वह बॉर्डर पर भी इलाज करता है और घर में भी कर रहा है. हम दिन-रात जुटे हुए हैं. मैं कितने उदाहरण बता सकता हूं कि जो डॉक्टर संक्रमित होकर वापस अपने काम पर भी आ चुके हैं तो हमें अपनी निष्ठा पर और अपनी समर्पण से हम लोग कभी भी पीछे नहीं हटे हैं और यह समय आ गया है कि हेल्थ केयर प्राइवेट हेल्थ केयर और सरकारी हेल्थ केयर वह भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं परंतु हेल्थ केयर सिस्टम को प्रोटेक्शन और रिस्पेक्ट और हमको एक धरोहर मानकर बचाने की तरफ कारगर कदम उठाएं.'
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NDTV ने उनसे पूछा, 'आप दो बातें कह रहे हैं एक कि सरकार एकनॉलेज नहीं कर रही है कि सरकार ने आपका डेटा मेंटेन नहीं किया है, दूसरा अब यह कह रहे हैं कि उनको कंपनसेशन देने से भी इंकार किया जा रहा है.' जवाब देते हुए डॉक्टर शर्मा ने कहा, 'अब जो आंकड़ा हमने दिया है, जो हमने शेयर किया है, उसका एक बेसिस है कुछ राज्य सरकार ने इसका खंडन किया. हमको चैलेंज किया कि IMA ने ठीक डेटा नहीं दिया लेकिन उनको बाद में मानना पड़ा, स्टेट वाइज डेटा है. अगर हम नेशनल कोविड-19 रजिस्टर बना सकते हैं, इसका रोज डेटा आता है कि कितने लोग संक्रमित हो गए, इतने ठीक हो गए, यह रिकवरी रेट है तो क्या डॉक्टर इस सिस्टम का जो सबसे वैल्युएबल पार्ट है, उनका अधिकार नहीं है यह पता होने का. इस पर तो पूरी रिसर्च होनी चाहिए कि क्यों यह कारण हो रहे हैं और हम उसको कैसे कम कर सकते हैं. आज आपसे मैं बड़े दुखी मन से कह रहा हूं कि विश्व भर में भारत पहले नंबर पर है.'
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