IIT-दिल्ली के छात्रों ने निकाला कार्बन डाई ऑक्साइड प्रदूषण घटाने का तरीका

नई दिल्ली:

एक ऐसे समय में जब दुनियाभर के नेता वैश्विक तापमान में इजाफा, ऊर्जा संकट और घटते संसाधन से निपटने के लिए चर्चा कर रहे हैं, आईआईटी दिल्ली के छात्रों के एक समूह ने पारिस्थिकी के तीनों मुद्दों का एकल समाधान निकालने का प्रयास किया है।

आईआईटी दिल्ली के छात्रों की इस परियोजना में एक समस्या के कारण को अन्य दो के हल की कुंजी में बदला जाता है। इसे शनिवार को दिल्ली के इंस्टीट्यूट में आयोजित 11वें आईआईटी ओपन हाउस में प्रदर्शित किया जाएगा।

वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर में इजाफा वैश्विक तापमान में इजाफे का एक प्रमुख कारण है। इसने इस गैस के उत्पादन में कमी लाने और इस पर नियंत्रण स्थापित करने की जरूरत बढ़ा दी है।

आईआईटी दिल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के ऐसोसिएट प्रोफेसर अनिल वर्मा के नेतृत्व में एक अनुसंधान समूह ने हवा में प्रदूषणकारी गैस की ना सिर्फ मात्रा कम करने, बल्कि उसे अनेक मूल्यवान उत्पादों में बदलने की भी कोशिश की है।

वर्मा कहते हैं, ‘‘हम कार्बन डाई ऑक्साइड के विद्युत-रासायनिक रूपांतरण में लगे हैं और पाया है कि कार्बन डाई ऑक्साइड का उपयोग मीथेन और अन्य मूल्यवान उत्पादों के उत्पादन में किया जा सकता है।’’ मीथेन में कार्बन डाई ऑक्साइड का रूपांतरण सौर या पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर किया जा रहा है।

वर्मा बताते हैं कि पारंपरिक रूप से रूपांतरण के दौरान गैस किसी घोलक में घोली जाती है। उनकी टीम ने दूसरा रास्ता अपनाया है। उन्होंने सीधे संयंत्र में गैस का उपयोग किया है, जहां उसे मीथेन और फार्मिक अम्ल जैसे कुछ अन्य उत्पादों में बदला जाता है।’’

अपनी टीम के साथ तकरीबन सात साल तक इस परियोजना पर काम करने वाले वर्मा ने बताया, ‘‘हमने प्रयोगशाला में इस तरह का एक संयंत्र तैयार किया है और कार्बन डाई ऑक्साइड को मीथेन और कुछ अन्य मूल्य संवर्धित उत्पादों में रूपांतरित किया है।’’ उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया समय और धन दोनों की बचत कराती है।

वर्मा ने बताया कि इस दिलचस्प रासायनिक प्रतिक्रिया में जहां सौर या पवन ऊर्जा का उपयोग रूपांतरण के लिए होता है, यह ऊर्जा प्रतिक्रिया के दौरान एक उत्पाद के रूप में बनी मीथेन गैस में भंडारित भी होती है।

इस तरह, परिवहन के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली मीथेन गैस, ऊर्जा के भंडार का भी काम करती है, जिसका उपयोग बाद में कोयला एवं पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय संसाधनों की जगह किया जा सकता है।

वर्मा कहते हैं, ‘‘इस तरह कार्बन डाई ऑक्साइड का रूपांतरण वैश्विक तापमान में इजाफे के प्रभाव में कमी लाएगा। उत्पाद के रूप में बनी मीथेन गैस का उपयोग सीधे परिवहन के लिए किया जा सकेगा और प्रक्रिया में उपयुक्त सौर या पवन ऊर्जा का भंडारण ईंधन में होगा, जिसे मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग कर आसानी से लाया और ले जाया जा सकेगा और जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।’’

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बहरहाल, वह इस प्रक्रिया को पेश करते हुए अनेक चुनौतियों की भी चर्चा करते हैं, जिसमें उत्प्रेरक की समस्या शामिल है। वह बताते हैं कि प्रतिक्रिया को तेज करने वाला उत्प्रेरक प्रतिक्रिया समाप्त होने से पहले खत्म हो जाता है। इसे हल करने की जरूरत है।