
मद्रास हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
चेन्नई:
पानी में मूर्ति विसर्जन की प्रथा की निंदा करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि यह जल को प्रदूषित करती है और यह मछली एवं चिड़ियों के लिए खतरा बन गई है। अदालत ने इसे पानी के प्रति ‘नासमझी भरा रवैया’ करार दिया, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए।
न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने पिछले महीने ‘विनायक चतुर्थी’ में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए संघर्ष तथा हत्या के प्रयास के आरोपों में गिरफ्तार किए गए दो लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
मूर्ति बनाने के हर स्तर पर पर्यावरण कानून को लागू करने को एक अत्यंत कठिन काम मानते हुए न्यायाधीश ने सलाह दिया कि त्योहार के दौरान मूर्तियों के विसर्जन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से जलाश्यों में प्रदूषण को समाप्त करने का यह एक कारगर तरीका होगा।’
न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने पिछले महीने ‘विनायक चतुर्थी’ में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए संघर्ष तथा हत्या के प्रयास के आरोपों में गिरफ्तार किए गए दो लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
मूर्ति बनाने के हर स्तर पर पर्यावरण कानून को लागू करने को एक अत्यंत कठिन काम मानते हुए न्यायाधीश ने सलाह दिया कि त्योहार के दौरान मूर्तियों के विसर्जन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से जलाश्यों में प्रदूषण को समाप्त करने का यह एक कारगर तरीका होगा।’
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