नई दिल्ली:
सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि रक्षा उपकरणों की बिक्री से जुड़े एक लॉबिस्ट ने उन्हें 14 करोड़ रुपये घूस की पेशकश की थी। 'द हिंदू' अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 600 खराब वाहनों की बिक्री के कॉन्ट्रैक्ट के लिए वर्ष 2010 में मुझे 14 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी। सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि यह बात उन्होंने रक्षा मंत्री ए के एंटनी को भी बताई थी।
मामले के तूल पकड़ने के बाद जरनल सिंह ने कहा कि सभी (रिश्वत) लेते हैं इसमें दिक्कत क्या है। वहीं उनका यह भी कहना है कि रक्षा मंत्री को बताने के अलावा उन्हें उक्त अधिकारी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवानी चाहिए थी।
जनरल सिंह इस खुलासे के बाद पहले रक्षा मंत्री ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था लेकिन अब इस आरोप के बाद सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं।
जनरल सिंह द्वारा जिस सैन्य अधिकारी पर यह आरोप लगाया जा रहा है उनका नाम कथित रूप से ले. जनरल तेजिंदर सिंह बताया जा रहा है। ले जनरल तेजिंदर सिंह से इस बारे में जब एनडीटीवी ने बात की तब उनका कहना था कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। साथ ही उनका कहना था कि वह रिटायर होने के बाद जनरल सिंह से मात्र एक बार ही मिले और वह इस बारे में समय आने पर बताएंगे कि वह क्यों मिले थे।
ले. जनरल तेजिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जनरल सिंह ने उनका नाम लेकर कोई बयान दिया है।
ले. जनरल तेजिंदर सिंह सेना के इंटेलिजेंस विंग के प्रमुख रह चुके हैं। सेना ने ले. जनरल तेजिंदर सिंह का नाम एक प्रेस विज्ञप्ति में डाला था और बताया था ले. जनरल तेजिंदर सिंह ने टेट्रा एंड वेट्रा नाम की कंपनी के लिए यह काम किया था। यह कंपनी सेना को ट्रकों की सप्लाई करती रही है। खास बात यह भी है कि ले. जनरल तेजिंदर सिंह के नाम तमाम घोटालों से घिरी आदर्श सोसाइटी में एक फ्लैट भी है। यह सोसाइटी कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों के परिजनों के नाम पर बनाई गई थी।
द हिंदू को दिए इंटरव्यू के दौरान जनरल वीके सिंह ने कहा कि जरा सोचिए उस व्यक्ति की कितनी हिम्मत थी कि उसने आर्मी चीफ को रिश्वत देने की कोशिश की। जनरल वीके सिंह ने कहा कि रिश्वत देने आए लॉबिस्ट ने उनसे कहा कि उन्हें यह पेशकश मान लेनी चाहिए क्योंकि उनसे पहले भी लोग रिश्वत कबूल कर चुके हैं। और उनके बाद भी आगे करते रहेंगे।
अपनी जन्मतिथि पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे उठाने की वजह से ही उनकी उम्र को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि नियम बिलकुल साफ हैं। जब आप सरकारी सेवा शुरू करते हैं तो दसवीं का प्रमाण पत्र ही आधार माना जाता है और वहां मेरे जन्म का साल 1951 है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि विवाद के पीछे कई लॉबियों का हाथ है क्योंकि उन्हें समझ आ गया था कि वो खराब उपकरणों की खरीद की मंज़ूरी कभी नहीं देंगे। जनरल वीके सिंह इसी साल मई में रिटायर होने वाले हैं।
इस मामले में कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यदि ऐसा हुआ था तो उन्हें उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए था।
मामले के तूल पकड़ने के बाद जरनल सिंह ने कहा कि सभी (रिश्वत) लेते हैं इसमें दिक्कत क्या है। वहीं उनका यह भी कहना है कि रक्षा मंत्री को बताने के अलावा उन्हें उक्त अधिकारी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवानी चाहिए थी।
जनरल सिंह इस खुलासे के बाद पहले रक्षा मंत्री ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था लेकिन अब इस आरोप के बाद सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं।
जनरल सिंह द्वारा जिस सैन्य अधिकारी पर यह आरोप लगाया जा रहा है उनका नाम कथित रूप से ले. जनरल तेजिंदर सिंह बताया जा रहा है। ले जनरल तेजिंदर सिंह से इस बारे में जब एनडीटीवी ने बात की तब उनका कहना था कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। साथ ही उनका कहना था कि वह रिटायर होने के बाद जनरल सिंह से मात्र एक बार ही मिले और वह इस बारे में समय आने पर बताएंगे कि वह क्यों मिले थे।
ले. जनरल तेजिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जनरल सिंह ने उनका नाम लेकर कोई बयान दिया है।
ले. जनरल तेजिंदर सिंह सेना के इंटेलिजेंस विंग के प्रमुख रह चुके हैं। सेना ने ले. जनरल तेजिंदर सिंह का नाम एक प्रेस विज्ञप्ति में डाला था और बताया था ले. जनरल तेजिंदर सिंह ने टेट्रा एंड वेट्रा नाम की कंपनी के लिए यह काम किया था। यह कंपनी सेना को ट्रकों की सप्लाई करती रही है। खास बात यह भी है कि ले. जनरल तेजिंदर सिंह के नाम तमाम घोटालों से घिरी आदर्श सोसाइटी में एक फ्लैट भी है। यह सोसाइटी कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों के परिजनों के नाम पर बनाई गई थी।
द हिंदू को दिए इंटरव्यू के दौरान जनरल वीके सिंह ने कहा कि जरा सोचिए उस व्यक्ति की कितनी हिम्मत थी कि उसने आर्मी चीफ को रिश्वत देने की कोशिश की। जनरल वीके सिंह ने कहा कि रिश्वत देने आए लॉबिस्ट ने उनसे कहा कि उन्हें यह पेशकश मान लेनी चाहिए क्योंकि उनसे पहले भी लोग रिश्वत कबूल कर चुके हैं। और उनके बाद भी आगे करते रहेंगे।
अपनी जन्मतिथि पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे उठाने की वजह से ही उनकी उम्र को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि नियम बिलकुल साफ हैं। जब आप सरकारी सेवा शुरू करते हैं तो दसवीं का प्रमाण पत्र ही आधार माना जाता है और वहां मेरे जन्म का साल 1951 है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि विवाद के पीछे कई लॉबियों का हाथ है क्योंकि उन्हें समझ आ गया था कि वो खराब उपकरणों की खरीद की मंज़ूरी कभी नहीं देंगे। जनरल वीके सिंह इसी साल मई में रिटायर होने वाले हैं।
इस मामले में कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यदि ऐसा हुआ था तो उन्हें उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए था।
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