कुमार शैलजा की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने राज्यसभा में बहस के दौरान दावा किया कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए जब वह गुजरात के द्वारका मंदिर गईं थीं तो उनसे उनकी जाति पूछा गई। उनके इस बयान पर कई मंत्रियों और सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने कड़ा विरोध किया और सवाल किया कि उन्होंने तब इसकी शिकायत क्यों नहीं की।
गुजरात मॉडल पर उठाया सवाल
शैलजा ने संविधान दिवस के मौके पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए अपना एक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, 'मैं भी एक दलित लेकिन हिन्दू हूं। मैं मंदिर जाना पसंद करती हूं। मैं द्वारका मंदिर गई थी, उस समय मैं कैबिनेट मंत्री थी। वहां के पुजारी ने मेरी जाति पूछी थी।' उन्होंने कहा कि यह घटना गुजरात में हुई, इससे पता चलता है कि गुजरात मॉडल कैसा है और वहां दलितों के साथ क्या हो रहा है।
बीजेपी सदस्यों ने किया विरोध
शैलजा की इस टिप्पणी का सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। बीजेपी के मनसुख लाल मंडाविया ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि सांसदों का दल कई बार इस मंदिर में गया है और उनसे कभी उनकी जाति नहीं पूछी गई। उन्होंने आसन से कहा कि अगर वह चाहें तो इस बारे में संबंधित सांसदों से पूछ सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी सदस्यों में तीखी नोक झोंक
वहीं मंडाविया की बात पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शैलजा ने कहा कि कोई उनके अनुभव को चुनौती कैसे दे सकता है। यह घटना बेट द्वारका मंदिर की है। इस पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह भी दो-तीन बार द्वारका मंदिर गए हैं, लेकिन उनसे कभी किसी ने जाति नहीं पूछी। इस बीच कांग्रेस के कई सदस्य इस बात पर आपत्ति जताने लगे कि सत्ता पक्ष के सदस्य और मंत्री एक सदस्य की बात को गलत साबित करने पर तुले हुए हैं। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसी भी सदस्य की बात को गलत बताना उसके अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के संबंधित सदस्य को इस बात के लिए खेद जताना चाहिए।
उपसभापति के आश्वासन के बाद शांत हुआ मामला
उधर, शैलजा इस बात पर अड़ी रहीं कि सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा आपत्ति उठाना उनकी ईमानदारी पर शक करना है और यह मानहानिकारक है। सदन के नेता जेटली ने आसन के माध्यम से शैलजा से पूछा कि अगर कैबिनेट मंत्री के तौर पर उनके साथ ऐसी कोई घटना हुई तो यह बेहद गंभीर है और उन्होंने क्या इस बारे में किसी से शिकायत की थी। इस पर शैलजा ने कहा कि वह इस सवाल का जवाब नहीं देंगी। इस मामले को तूल पकड़ता देख उपसभापति पी जे कुरियन ने आश्वासन दिया कि अगर रिकार्ड में कुछ भी आपत्तिजनक पाया गया तो वह उसे निकाल देंगे, जिसके बाद सदन में कामकाज सामान्य रूप से चलने लगा।
पुनिया बोले, उनका भी अनुभव ऐसा ही
कांग्रेस के पी एल पुनिया ने भी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि उन्हें भी एक मंदिर में ऐसा ही अनुभव हुआ। मंदिर में एक बोर्ड लगा था जिस पर दलितों के प्रवेश पर रोक होने का जिक्र किया गया था। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि क्या पुनिया इस बात की पुष्टि करेंगे। उनके साथ अगर ऐसी घटना हुई है तो यह और भी गंभीर है, क्योंकि वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी हैं। इस पर पुनिया ने कहा कि वह अपनी बात को सोच समझ कर कह रहे हैं।
गुजरात मॉडल पर उठाया सवाल
शैलजा ने संविधान दिवस के मौके पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए अपना एक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, 'मैं भी एक दलित लेकिन हिन्दू हूं। मैं मंदिर जाना पसंद करती हूं। मैं द्वारका मंदिर गई थी, उस समय मैं कैबिनेट मंत्री थी। वहां के पुजारी ने मेरी जाति पूछी थी।' उन्होंने कहा कि यह घटना गुजरात में हुई, इससे पता चलता है कि गुजरात मॉडल कैसा है और वहां दलितों के साथ क्या हो रहा है।
बीजेपी सदस्यों ने किया विरोध
शैलजा की इस टिप्पणी का सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। बीजेपी के मनसुख लाल मंडाविया ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि सांसदों का दल कई बार इस मंदिर में गया है और उनसे कभी उनकी जाति नहीं पूछी गई। उन्होंने आसन से कहा कि अगर वह चाहें तो इस बारे में संबंधित सांसदों से पूछ सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी सदस्यों में तीखी नोक झोंक
वहीं मंडाविया की बात पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शैलजा ने कहा कि कोई उनके अनुभव को चुनौती कैसे दे सकता है। यह घटना बेट द्वारका मंदिर की है। इस पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह भी दो-तीन बार द्वारका मंदिर गए हैं, लेकिन उनसे कभी किसी ने जाति नहीं पूछी। इस बीच कांग्रेस के कई सदस्य इस बात पर आपत्ति जताने लगे कि सत्ता पक्ष के सदस्य और मंत्री एक सदस्य की बात को गलत साबित करने पर तुले हुए हैं। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसी भी सदस्य की बात को गलत बताना उसके अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के संबंधित सदस्य को इस बात के लिए खेद जताना चाहिए।
उपसभापति के आश्वासन के बाद शांत हुआ मामला
उधर, शैलजा इस बात पर अड़ी रहीं कि सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा आपत्ति उठाना उनकी ईमानदारी पर शक करना है और यह मानहानिकारक है। सदन के नेता जेटली ने आसन के माध्यम से शैलजा से पूछा कि अगर कैबिनेट मंत्री के तौर पर उनके साथ ऐसी कोई घटना हुई तो यह बेहद गंभीर है और उन्होंने क्या इस बारे में किसी से शिकायत की थी। इस पर शैलजा ने कहा कि वह इस सवाल का जवाब नहीं देंगी। इस मामले को तूल पकड़ता देख उपसभापति पी जे कुरियन ने आश्वासन दिया कि अगर रिकार्ड में कुछ भी आपत्तिजनक पाया गया तो वह उसे निकाल देंगे, जिसके बाद सदन में कामकाज सामान्य रूप से चलने लगा।
पुनिया बोले, उनका भी अनुभव ऐसा ही
कांग्रेस के पी एल पुनिया ने भी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि उन्हें भी एक मंदिर में ऐसा ही अनुभव हुआ। मंदिर में एक बोर्ड लगा था जिस पर दलितों के प्रवेश पर रोक होने का जिक्र किया गया था। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि क्या पुनिया इस बात की पुष्टि करेंगे। उनके साथ अगर ऐसी घटना हुई है तो यह और भी गंभीर है, क्योंकि वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी हैं। इस पर पुनिया ने कहा कि वह अपनी बात को सोच समझ कर कह रहे हैं।
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