वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया है
हैदराबाद:
वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट से जुड़े मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया है. विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी. एनआईए ने कहा है कि हमें अदालत के आदेश की कॉपी मिल गई है और हम उसका अध्ययन करेंगे और उसके बाद कोई कार्रवाई करेंगे.
अदालत ने सबूत के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें मुख्य आरोपियों में से एक स्वामी असीमानंद को भी अदालत ने बरी कर दिया है. भारत मोहन लाल रतेश्वर, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी को भी अदालत ने बरी कर दिया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान 54 गवाह बयान से मुकर गए थे.
महाराष्ट्र: अहमदनगर जिले में कुरियर के पार्सल में धमाके में दो घायल
क्या है मामला
आपको बता दें कि हैदराबाद में 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था. इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत हुई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे. स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया. इस केस की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया. इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया.
इन पर लगे थे आरोप
इस केस में दस लोगों को आरोपी बनाया था. जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गया. इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे.
1- स्वामी असीमानंद
2- देवेन्द्र गुप्ता
3- लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी
4- लक्ष्मण दास महाराज
5- मोहनलाल रतेश्वर
6- राजेंद्र चौधरी
7- रामचंद्र कालसांगरा (फरार)
8- संदीप डांगे (फरार)
9-सुनील जोशी की जांच के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई
अदालत ने सबूत के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें मुख्य आरोपियों में से एक स्वामी असीमानंद को भी अदालत ने बरी कर दिया है. भारत मोहन लाल रतेश्वर, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी को भी अदालत ने बरी कर दिया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान 54 गवाह बयान से मुकर गए थे.
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क्या है मामला
आपको बता दें कि हैदराबाद में 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था. इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत हुई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे. स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया. इस केस की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया. इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया.
इन पर लगे थे आरोप
इस केस में दस लोगों को आरोपी बनाया था. जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गया. इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे.
1- स्वामी असीमानंद
2- देवेन्द्र गुप्ता
3- लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी
4- लक्ष्मण दास महाराज
5- मोहनलाल रतेश्वर
6- राजेंद्र चौधरी
7- रामचंद्र कालसांगरा (फरार)
8- संदीप डांगे (फरार)
9-सुनील जोशी की जांच के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई
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