Hyderabad encounter: हैदराबाद मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग का आखिरी बार कार्यकाल बढ़ाया. सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए 6 महीने और दिए. मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि अब और विस्तार नहीं दिया जाएगा, ये समय तीसरी बार बढ़ाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर का आयोग जांच कर रहा है. आयोग ने कोविड के चलते और समय मांगा था.जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे आयोग का कार्यकाल छह महीने के लिए और बढ़ा दिया था. न्यायमूर्ति वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाला यह आयोग हैदराबाद में एक पशु डॉक्टर के साथ गैंगरेप और हत्या के चार आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच कर रहा है. तीन सदस्यीय आयोग (Inquiry Commission) ने जांच पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय बढ़ाने का आग्रह किया था.
12 दिसंबर 2019 को देश की शीर्ष अदालत ने इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जांच आयोग उसे छह महीने के भीतर इस मामले की अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में लंबित कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी.साथ ही SIT से पूरी रिपोर्ट तलब कर ली थी.शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि कोई भी दूसरा प्राधिकारी इस मामले में कोई भी जांच तब तक नहीं करेगा जब तक कि आयोग अपनी रिपोर्ट नहीं दे देता.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय आयोग को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) सुरक्षा मुहैया कराएगा.हालांकि आयोग तय समय के भीतर अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत में नहीं प्रस्तुत कर सका था.इसके बाद आयोग ने पिछले साल 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से हैदराबाद एनकाउंटर मामले में अंतिम जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए और छह महीने का वक्त दिए जाने की गुहार लगाई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने का और समय दे दिया था.आयोग में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बल्दोटा (Rekha Sondur Baldota) और पूर्व सीबीआई निदेशक डीआर कार्तिकेयन (DR Karthikeyan) भी शामिल हैं.इससे पहले शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि जांच आयोग कोरोना महामारी एवं अन्य अपरिहार्य कारणों से अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट को सुपुर्द करने में असमर्थ रहा है.
ऐसा दूसरी बार हुआ जब जांच आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया गया. 27 नवंबर 2019 को एक महिला पशु चिकित्सक का अपहरण करके कथित चार बदमाशों ने उसका यौन उत्पीड़न किया था.बाद में महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी.पुलिस ने बताया था कि आरोपियों ने बाद में महिला का शव जला दिया था. इस घटना को लेकर लोगों में भारी आक्रोश था. बाद में चारों आरोपी हैदराबाद के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर एक कथित मुठभेड़ में मार गिराए गए थे. पुलिस का दावा है कि इसी राजमार्ग पर 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव पाया गया था.बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर दो अलग-अलग याचिकाओं में दावा किया गया कि कथित मुठभेड़ फर्जी थी और घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए .इस दौरान CJI ने कहा कि यूपी एनकाउंटर मामले में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी गई है, इस मामले को इस तरह क्यों खींचा जा रहा है. क्या सभी 130 चश्मीददों के बयान लेने जरूरी हैं? इसके बाद और समय नहीं दिया जाएगा.पैनल की ओर से कहा गया कि कोविड के चलते जांच पूरी नहीं हो पाई है. कुछ गवाहों के बयान भी लेने हैं.
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