मानव संसाधन विभाग के राज्यमंत्री प्रोफेसर राम शंकर कठेरिया एक और विवाद में घिर गए हैं। जाली डिग्री के आरोप के बाद उन पर नया आरोप लगा है।
बिना पढ़ाए तनख्वाह लेने के आरोपों के मुताबिक, आगरा से सांसद चुने गए प्रो. कठेरिया डॉ. भीमराव यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। मोदी सरकार के पहले विस्तार में उन्हें मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह नवंबर में एक भी बार क्लास लेने नहीं गए, लेकिन इसके बदले तनख्वाह उन्होंने जरूर ली।
समाजवादी पार्टी ने कहा है कि कठेरिया ने जो किया है, वह गैर-कानूनी है। वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन कह रहा है कि मंत्री बनने के बाद कठेरिया की छुट्टी की एप्लीकेशन देर से आई थी इसलिए तनख्वाह उनके एकाउंट में चली गई।
वहीं राम शंकर कठेरिया ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि वह डॉ भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध एक संस्थान से अभी तक वेतन उठा रहे हैं।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने कहा, ये खबरें पूरी तरह से गलत हैं। मैंने मंत्री बनने के बाद संस्थान के निदेशक को सूचना दी थी कि मैं मंत्रालय से वेतन लूंगा। हालांकि वेतन मेरे खाते में गलती से आ गया। मैंने इसे नहीं निकाला। मीडिया में आई खबरों में आरोप लगाया गया है कि कठेरिया ने आगरा के केएम इंस्टीट्यूट में एक क्लास लिए बगैर ही नवंबर महीने का वेतन उठाया।
नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री बनने के शीघ्र बाद कठेरिया अपने स्नातक की डिग्री को लेकर विवाद में घिर गए। मंत्री ने अपने खिलाफ लगे आरोप को सिरे से खारिज करते हुए इसे एक राजनीतिक साजिश बताया है।
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