प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारी विरोध और आलोचना के बीच सरकार ने सैकड़ों पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर लगाए गए बैन के फैसले को वापस तो ले लिया, लेकिन अब इससे और ज्यादा भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन टेलीकॉम ऑपरेटरों को हो रहा है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों से कहा गया है कि वे अडल्ट वेबसाइटों को अनब्लॉक कर दें, लेकिन चाइल्ड पोर्न दिखाने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक ही रखें।
'हम कैसे चेक करें...?'
'यह सब एकदम अस्पष्ट है। हमसे यह उम्मीद कैसे की जाती है कि हम चेक करेंगे कि किस साइट पर चाइल्ड पोर्न दिखाया जा रहा है...?', देश की एक जानी-मानी टेलीकॉम कंपनी के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से पूछा। ऑपरेटरों को लगता है कि इन साइटों को चेक करने और यह पता लगाने का जिम्मा बहुत गलत तरीके से हम पर डाल दिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों की एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश छारिया का कहना है, 'सरकार यह जिम्मेदारी हम पर कैसे छोड़ सकती है कि वेबसाइट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफिक सामग्री है या नहीं...'
सरकार ने नहीं की अपनी ओर से छानबीन
शुक्रवार को सरकार ने 857 ऐसी वेबसाइटों को बैन करने के आदेश ऑपरेटरों को दिए थे, जहां कथित तौर पर पोर्न सामग्री मौजूद है। सरकारी सूत्रों ने कल झेंपते हुए कहा कि वकील और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत पीआईएल दायर की थी, द्वारा दी गई लिस्ट को पूरा का पूरा लागू कर दिया था। इस बाबत कोई छानबीन तक अपनी ओर से नहीं की गई। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के बाद भारत में पोर्न ज्यादा देखा जा रहा है। ऐसी ही एक साइट को देखने के मामले में भारत का पिछले साल पांचवां रैंक था।
पिछले महीने किया था बैन से इनकार
पिछले महीने एचएल दत्तू ने पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया था और कहा था कि इससे वयस्कों के अपने घर के भीतर की निजता की स्वतंत्रता का हनन होता है।
'हम कैसे चेक करें...?'
'यह सब एकदम अस्पष्ट है। हमसे यह उम्मीद कैसे की जाती है कि हम चेक करेंगे कि किस साइट पर चाइल्ड पोर्न दिखाया जा रहा है...?', देश की एक जानी-मानी टेलीकॉम कंपनी के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से पूछा। ऑपरेटरों को लगता है कि इन साइटों को चेक करने और यह पता लगाने का जिम्मा बहुत गलत तरीके से हम पर डाल दिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों की एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश छारिया का कहना है, 'सरकार यह जिम्मेदारी हम पर कैसे छोड़ सकती है कि वेबसाइट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफिक सामग्री है या नहीं...'
सरकार ने नहीं की अपनी ओर से छानबीन
शुक्रवार को सरकार ने 857 ऐसी वेबसाइटों को बैन करने के आदेश ऑपरेटरों को दिए थे, जहां कथित तौर पर पोर्न सामग्री मौजूद है। सरकारी सूत्रों ने कल झेंपते हुए कहा कि वकील और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत पीआईएल दायर की थी, द्वारा दी गई लिस्ट को पूरा का पूरा लागू कर दिया था। इस बाबत कोई छानबीन तक अपनी ओर से नहीं की गई। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के बाद भारत में पोर्न ज्यादा देखा जा रहा है। ऐसी ही एक साइट को देखने के मामले में भारत का पिछले साल पांचवां रैंक था।
पिछले महीने किया था बैन से इनकार
पिछले महीने एचएल दत्तू ने पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया था और कहा था कि इससे वयस्कों के अपने घर के भीतर की निजता की स्वतंत्रता का हनन होता है।
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