जामिया की लाइब्रेरी में पुलिस ने कैसे की थी बर्बरता, घायल छात्र ने बयां की दास्तां...

मिनाहाजुद्दीन ने कहा, हम उस दिन सात बजे के करीब लाइब्रेरी में बैठे थे. उसी वक्त बीस से पच्चीस पुलिस वाले कमांडो की ड्रेस पहने बिना कुछ पूछे लाठी-डंडा चलाने लगे.

जामिया की लाइब्रेरी में पुलिस ने कैसे की थी बर्बरता, घायल छात्र ने बयां की दास्तां...

जामिया में हुई हिंसा में कई छात्रों को भी चोट लगी थी. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • घायल मिनाहाजुद्दीन ने एनडीटीवी से बयां की दास्तां
  • कहा, हम बैठे थे तभी पुलिस वाले लाइब्रेरी में घुस गए
  • इसके बाद छात्रों को बेरहमी से पीटने लगे
नई दिल्ली :

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के दौरान कथित तौर पर पुलिस की पिटाई में घायल मिनाहाजुद्दीन ने एनडीटीवी से खास बातचीत की और पूरे वाकये को बयान किया. मिनाहाजुद्दीन ने कहा, 'हम उस दिन सात बजे के करीब लाइब्रेरी में बैठे थे. उसी वक्त बीस से पच्चीस पुलिस वाले कमांडो की ड्रेस पहने बिना कुछ पूछे लाठी-डंडा चलाने लगे. सभी बच्चों के उपर सबसे पहले मेरे हाथ पर लाठी लगी. जब मैंने बचने की कोशिश की तो लाठी मेरे आंख पर लगी और मैं लगभग अचेत हो गया. अपने आप को बचाने के लिए वॉशरूम की ओर भागा. कुछ लोगों ने वीडियो भी बनाया, जिसमें खून बह रहा है. करीब आधे घंटे तक ये तमाशा चलता रहा. टॉयलेट से निकाल-निकाल कर बच्चों को मारा. एक-एक बच्चे को तीन-तीन पुलिस वाले मार रहे थे.

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वे आगे कहते हैं, 'जब सब खत्म हो गया तो एक डिसएबल्ड बच्चा, जिसे पुलिस ने कम मारा था उसने मेरी सहायता की. उसने फर्स्ट एड करने की कोशिश की, लेकिन पता चला कि मामला क्रिटिकल है तो पहले अलशिफा अस्पताल ले गया. फिर एम्स ट्रामा सेंटर गए थे. लेकिन कहीं एंटरटेन नहीं कर रहे थे.' मिनाहाजुद्दीन आगे कहते हैं, 'इसके बाद मुझे ट्रामा सेंटर से एम्स के राजेंद्र प्रसाद चिकित्सालय ले गए. कल मेरा ऑपरेशन हुआ है. डॉक्टरों ने बताया कि मेरी बांयी आंख की रोशनी आने के चांस नहीं हैं. मुझे लिखने का बहुत शौक है. मेरे पांच रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं. कई जगह आर्टिकल भी लिखता रहा हूं. मैंने AMU से लॉ किया है. मेरे काम पर इफेक्ट पड़ा है.' 

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मिनाहाजुद्दीन कहते हैं, 'मैं पीएचडी करना चाहता हूं और पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा दूंगा. बिहार ज्यूडिसियरी की भी मुझे परीक्षा देनी है, उसकी रिक्तियां आने वाली हैं. जबसे परिवार ने सुना है तब से वो लोग सदमे में हैं. पापा बिहार से कल आने वाले हैं. परिवार वाले हिम्मत बढ़ा रहे हैं. थाने में भी परेशानी हुई. हमने सौ नंबर पर डायल किया, लेकिन तब पुलिस ने हमें दूसरी चीजों में उलझाना शुरू कर दिया. चार-पांच घंटे पुलिस वालों ने मुझे रोके रखा. MLC भी बनाया, लेकिन अबतक मुझे उसकी रिपोर्ट भी नहीं दी है. 

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