अगस्तावेस्टलैंड मामले को लेकर देश की सियासत गरमा गई है। (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
फरवरी 2010 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इटली की कंपनी फिनमेकेनिका की सहायक कंपनी अगस्तावेस्टलैंड के साथ 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया था। इन हेलीकॉप्टरों को वीवीआईपीज, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आदि के लिए इस्तेमाल किया जाना था। पूरे मामले में हाल ही में उस समय उबाल आ गया जब अप्रैल में इटली के मिलान की अपीलीय अदालत ने अपने फैसले में माना कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ है। यही नहीं, इटेलियन कोर्ट ने कंपनी के दो अफसरों को दोषी ठहराते हुए जेल की सजा दी और कहा कि कंपनी ने 3600 करोड़ रुपये का सौदा हासिल करने के लिए इंडियन अफसरों से लेकर शीर्ष नेताओं को रिश्वत दी।
इटली के इस घटनाक्रम के बाद तो मामले में हमारे देश की सियासत गरमा गई है। रक्षा उत्पाद बनाने वाली अगस्ता वेस्टलैंड की मातृ कंपनी, फिनमेकैनिका के अधिकारियों द्वारा भारत में नेताओं और अधिकारियों को घूस देने के आरोपों की जांच कर रही इतालवी कोर्ट में ऐसे दस्तावेज सामने आए हैं, जिसमें 'सिन्योरा गांधी' का नाम है।
इटली की कोर्ट ने यह भी लगाया हैं आरोप...
इतालवी कोर्ट द्वारा कथित रूप से केंद्र की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर महत्वपूर्ण दस्तावेज साझा नहीं करने का आरोप लगाने जाने के बाद यह मामला चर्चा में आया। इतालवी कोर्ट के आदेश में कथित रूप से कहा गया है कि यहां ऐसा 'वाजिब मत' है कि भारत के प्रधानमंत्री सहित दूसरे शीर्ष नेताओं द्वारा उपयोग के 12 चॉपरों के लिए अगस्ता वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में हुए सौदे में भ्रष्टाचार हुआ। NDTV को इस आदेश का विवरण मिला है, जिसमें कुछ ऐसे दस्तावेज शामिल हैं इनमें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम है, लेकिन उनमें किसी अनियमितता के सबूत नहीं हैं।
दस्तावेजों में क्या-क्या...
इनमें से एक दस्तावेज मार्च 2008 में इस सौदे के मुख्य बिचौलिये क्रिसचन मिचेल द्वारा भारत में अगस्तावेस्टलैंड के प्रमुख पीटर हुलेट को लिखी चिट्ठी है, जिसमें 'सिग्नोरा गांधी' को 'वीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में मुख्य कारक' बताया गया है। वहीं साल 2013 में अगस्तावेस्टलैंड के अधिकारी गुसिप ओर्सी की लिखी चिट्ठी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि इतालवी प्रधानमंत्री या किसी वरिष्ठ राजनयिक को उन्हें फोन करना चाहिए। ओर्सी इस वक्त भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं।
संसद में मामला उठा तो कांग्रेस ने कहा था, 'छुपाने को कुछ भी नहीं'
संसद में जब यह मामला उठा तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी सदन में ही मौजूद थे। मामले में अपने नेताओं का बचाव करते हुए कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि उसके पास इस बारे में छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता एके एंटनी ने कहा, 'हमने जांच के आदेश दिए थे और कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था। अगर बीजेपी सरकार इतनी ही उत्सुक है, तो हमने जो जांच के आदेश दिए थे सीबीआई को उसमें तेजी लाने को कहे।'
इटली के इस घटनाक्रम के बाद तो मामले में हमारे देश की सियासत गरमा गई है। रक्षा उत्पाद बनाने वाली अगस्ता वेस्टलैंड की मातृ कंपनी, फिनमेकैनिका के अधिकारियों द्वारा भारत में नेताओं और अधिकारियों को घूस देने के आरोपों की जांच कर रही इतालवी कोर्ट में ऐसे दस्तावेज सामने आए हैं, जिसमें 'सिन्योरा गांधी' का नाम है।
इटली की कोर्ट ने यह भी लगाया हैं आरोप...
इतालवी कोर्ट द्वारा कथित रूप से केंद्र की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर महत्वपूर्ण दस्तावेज साझा नहीं करने का आरोप लगाने जाने के बाद यह मामला चर्चा में आया। इतालवी कोर्ट के आदेश में कथित रूप से कहा गया है कि यहां ऐसा 'वाजिब मत' है कि भारत के प्रधानमंत्री सहित दूसरे शीर्ष नेताओं द्वारा उपयोग के 12 चॉपरों के लिए अगस्ता वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में हुए सौदे में भ्रष्टाचार हुआ। NDTV को इस आदेश का विवरण मिला है, जिसमें कुछ ऐसे दस्तावेज शामिल हैं इनमें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम है, लेकिन उनमें किसी अनियमितता के सबूत नहीं हैं।
दस्तावेजों में क्या-क्या...
इनमें से एक दस्तावेज मार्च 2008 में इस सौदे के मुख्य बिचौलिये क्रिसचन मिचेल द्वारा भारत में अगस्तावेस्टलैंड के प्रमुख पीटर हुलेट को लिखी चिट्ठी है, जिसमें 'सिग्नोरा गांधी' को 'वीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में मुख्य कारक' बताया गया है। वहीं साल 2013 में अगस्तावेस्टलैंड के अधिकारी गुसिप ओर्सी की लिखी चिट्ठी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि इतालवी प्रधानमंत्री या किसी वरिष्ठ राजनयिक को उन्हें फोन करना चाहिए। ओर्सी इस वक्त भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं।
संसद में मामला उठा तो कांग्रेस ने कहा था, 'छुपाने को कुछ भी नहीं'
संसद में जब यह मामला उठा तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी सदन में ही मौजूद थे। मामले में अपने नेताओं का बचाव करते हुए कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि उसके पास इस बारे में छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता एके एंटनी ने कहा, 'हमने जांच के आदेश दिए थे और कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था। अगर बीजेपी सरकार इतनी ही उत्सुक है, तो हमने जो जांच के आदेश दिए थे सीबीआई को उसमें तेजी लाने को कहे।'
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