नई दिल्ली:
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन में देरी हो सकती है क्योंकि इस पर राज्यों के पुलिस प्रमुखों से केंद्रीय गृह सचिव आरके चंदौलिया की मुलाकात होने वाली है। पहले एक मार्च को यह गठित किया जाना था।
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को उन 10 गैर-कांग्रेसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा, जो राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। चिदम्बरम ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आश्वस्त किया कि केंद्रीय गृह सचिव राज्यों के पुलिस प्रमुखों तथा आतंकवाद विरोधी एजेंसियों के प्रमुखों से मिलकर उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे।
चिदम्बरम ने कहा, "तीन फरवरी, 2012 के आधिकारिक ज्ञापन में एनसीटीसी के गठन की अधिसूचना दी गई थी। इससे पहले कि हम कोई अगला कदम उठाएं, मैंने केंद्रीय गृह सचिव से बैठक कर एनसीटीसी के कामकाज तथा क्षेत्र पर विशेष चर्चा करने के लिए कहा।"
चिदम्बरम ने इससे इनकार किया कि एनसीटीसी से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा। उन्होंने कहा कि इसे शक्तियां 1967 के अधिनियम से मिलेंगी, जिसमें 2008 में संशोधन किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि दिसम्बर 2008 में जब संसद में 1967 के अधिनियम में संशोधन का विधेयक पेश किया गया था तो यह पारित हो गया था और इसका कोई विरोध नहीं हुआ था।
चिदम्बरम ने पत्र में लिखा, "आतंकवाद देश तथा हमारे जीवन के लिए गम्भीर खतरा है। इसलिए इससे मुकाबला हम सभी की जिम्मेदारी है।"
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को उन 10 गैर-कांग्रेसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा, जो राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। चिदम्बरम ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आश्वस्त किया कि केंद्रीय गृह सचिव राज्यों के पुलिस प्रमुखों तथा आतंकवाद विरोधी एजेंसियों के प्रमुखों से मिलकर उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे।
चिदम्बरम ने कहा, "तीन फरवरी, 2012 के आधिकारिक ज्ञापन में एनसीटीसी के गठन की अधिसूचना दी गई थी। इससे पहले कि हम कोई अगला कदम उठाएं, मैंने केंद्रीय गृह सचिव से बैठक कर एनसीटीसी के कामकाज तथा क्षेत्र पर विशेष चर्चा करने के लिए कहा।"
चिदम्बरम ने इससे इनकार किया कि एनसीटीसी से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा। उन्होंने कहा कि इसे शक्तियां 1967 के अधिनियम से मिलेंगी, जिसमें 2008 में संशोधन किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि दिसम्बर 2008 में जब संसद में 1967 के अधिनियम में संशोधन का विधेयक पेश किया गया था तो यह पारित हो गया था और इसका कोई विरोध नहीं हुआ था।
चिदम्बरम ने पत्र में लिखा, "आतंकवाद देश तथा हमारे जीवन के लिए गम्भीर खतरा है। इसलिए इससे मुकाबला हम सभी की जिम्मेदारी है।"