श्रीनगर:
जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में स्थित ऐतिहासिक पीर दस्तगीर साहिब दरगाह सोमवार सुबह आग की चपेट में आ गई। वैसे अधिकारियों ने कहा है कि दरगाह में रखे पीर दस्तगीर के अवशेष पूरी तरह से सुरक्षित है।
अग्निशमन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "शहर के खानयार स्थान पर स्थित पीर दस्तगीर साहिब दरगाह में सुबह करीब 6.30 बजे आग लगी थी। आग पर काबू पाने के लिए वहां दमकल की दर्जनों गाड़ियां पहुंच गईं।" यह 11वीं शताब्दी के संत पीर दस्तगीर साहिब की दरगाह है।
उन्होंने बताया, "आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। वहां लकड़ी के ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। आग लगने की वजह अभी पता नहीं चल सकी है।"
प्रांतीय प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि अग्निरोधी कक्ष में रखे संत के सभी अवशेष सुरक्षित हैं।
आग लगने पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दरगाह के नजदीक इकट्ठे हो गए। वे आग देखकर रो रहे थे।
ग्यारहवीं शताब्दी के इस संत के प्रति कश्मीर के सभी धर्मावलम्बियों की श्रद्धा है। मुसलमान जहां इन्हें संत गौस-ए-आजम कहते हैं, तो हिंदू काहनूव संत कहते हैं।
अग्निशमन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "शहर के खानयार स्थान पर स्थित पीर दस्तगीर साहिब दरगाह में सुबह करीब 6.30 बजे आग लगी थी। आग पर काबू पाने के लिए वहां दमकल की दर्जनों गाड़ियां पहुंच गईं।" यह 11वीं शताब्दी के संत पीर दस्तगीर साहिब की दरगाह है।
उन्होंने बताया, "आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। वहां लकड़ी के ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। आग लगने की वजह अभी पता नहीं चल सकी है।"
प्रांतीय प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि अग्निरोधी कक्ष में रखे संत के सभी अवशेष सुरक्षित हैं।
आग लगने पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दरगाह के नजदीक इकट्ठे हो गए। वे आग देखकर रो रहे थे।
ग्यारहवीं शताब्दी के इस संत के प्रति कश्मीर के सभी धर्मावलम्बियों की श्रद्धा है। मुसलमान जहां इन्हें संत गौस-ए-आजम कहते हैं, तो हिंदू काहनूव संत कहते हैं।
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