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पटना:
बिहार के पूर्णिया जिले में सांप्रदायिक सौहार्द का एक दुर्लभ उदाहरण सामने आया है। यहां के उपेंद्र गुप्ता ने मानवता की एक खूबसूरत मिसाल पेश की है। हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाले उपेंद्र ने 20 साल तक एक मुस्लिम लड़की की परवरिश करने के बाद उसी के समुदाय के एक लड़के के साथ उसका विवाह कराया है।
गरीबी से त्रस्त लड़की के माता-पिता ने बचपन में ही उसका परित्याग कर दिया था। उपेंद्र ने शब्बो खातून की अपनी बेटी की तरह परवरिश की और इस्लामिक रीति-रिवाज के साथ एक मुस्लिम लड़के के साथ उसका निकाह कराया।
पूर्णिया जिले के झंडा चौक में रहने वाले उपेंद्र गुप्ता को 20 साल पहले शब्बो मिली थी। शब्बो उस दौरान मात्र चार वर्ष की थी और उसके परिजनों ने उसका परित्याग कर दिया था। उन्होंने मुस्लिम प्रथाओं के साथ शब्बो का अपनी बेटी की तरह पालन-पोषण किया।
उपेंद्र ने कहा, 'हालांकि मैंने उसका अपनी बेटी की तरह पालन-पोषण किया। मैंने उसके जन्म के समय के धर्म को ध्यान में रखते हुए एक मुस्लिम लड़के के साथ उसका विवाह कराया है। मेरे लिए मानवता मेरे धर्म से बढ़कर है।' बारात में ज्यादार लोग मुस्लिम थे, जबकि वधू पक्ष में ज्यादातर सदस्यों का संबंध हिंदू धर्म से था। लोगों ने गुप्ता के इस कदम की खूब सराहना की।
स्थानीय निवासी गुलाम अंसारी ने कहा, 'गुप्ता ने एक उदाहरण पेश किया है कि लोगों के साथ सम्मान और गरिमा के साथ कैसे व्यवहार किया जाए।' एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद आजाद ने कहा कि अगर उपेंद्र चाहते तो वह शब्बो की परवरिश हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, कर सकते थे और आसानी से उसका विवाह एक हिंदू लड़के के साथ कर सकते थे। उन्होंने कहा, 'लेकिन उनके (उपेंद्र) लिए मानवता किसी और चीज से कहीं अधिक ऊपर थी।'
गरीबी से त्रस्त लड़की के माता-पिता ने बचपन में ही उसका परित्याग कर दिया था। उपेंद्र ने शब्बो खातून की अपनी बेटी की तरह परवरिश की और इस्लामिक रीति-रिवाज के साथ एक मुस्लिम लड़के के साथ उसका निकाह कराया।
पूर्णिया जिले के झंडा चौक में रहने वाले उपेंद्र गुप्ता को 20 साल पहले शब्बो मिली थी। शब्बो उस दौरान मात्र चार वर्ष की थी और उसके परिजनों ने उसका परित्याग कर दिया था। उन्होंने मुस्लिम प्रथाओं के साथ शब्बो का अपनी बेटी की तरह पालन-पोषण किया।
उपेंद्र ने कहा, 'हालांकि मैंने उसका अपनी बेटी की तरह पालन-पोषण किया। मैंने उसके जन्म के समय के धर्म को ध्यान में रखते हुए एक मुस्लिम लड़के के साथ उसका विवाह कराया है। मेरे लिए मानवता मेरे धर्म से बढ़कर है।' बारात में ज्यादार लोग मुस्लिम थे, जबकि वधू पक्ष में ज्यादातर सदस्यों का संबंध हिंदू धर्म से था। लोगों ने गुप्ता के इस कदम की खूब सराहना की।
स्थानीय निवासी गुलाम अंसारी ने कहा, 'गुप्ता ने एक उदाहरण पेश किया है कि लोगों के साथ सम्मान और गरिमा के साथ कैसे व्यवहार किया जाए।' एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद आजाद ने कहा कि अगर उपेंद्र चाहते तो वह शब्बो की परवरिश हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, कर सकते थे और आसानी से उसका विवाह एक हिंदू लड़के के साथ कर सकते थे। उन्होंने कहा, 'लेकिन उनके (उपेंद्र) लिए मानवता किसी और चीज से कहीं अधिक ऊपर थी।'
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