MP और MLA के खिलाफ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी और तमिलनाडु समेत जिन राज्यों ने स्पेशल कोर्ट गठन और केसों को लेकर जानकारी नही दी है उन राज्यों के मुख्य सचिव और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार हलफ़नामा दायर कर जानकारी दें. कोर्ट ने हलफ़नामा दायर कर बताने को कहा है कि स्पेशल कोर्ट गठन को लेकर क्या हुआ और MP- MLA के केसों के ट्रांसफर को लेकर क्या किया गया. इसके अलावा इन केसों का ब्योरा क्या है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि वो MP-MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों से निपटने के लिए बनाई जाने वाली स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक नवंबर 2017 के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश पर पूरी तरह से अमल किया जाए. इसके लिए वो वक्त वक्त पर रिपोर्ट मांगेगा. मामले में 12 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.
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आपको बता दें कि अभी तक कोर्ट को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र और दिल्ली की जानकारी ही दी गई है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ऐसे कौन से राज्य है जहां फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं बने. कोर्ट ने ये भी पूछा, ऐसे कौन से राज्य है, जिन्होंने फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट को लेकर रुचि नही दिखाई है. इससे पहले हलफनामे में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकडों के मुताबिक फिलहाल MP-MLA के खिलाफ 1233 केस इन 12 स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर किए गए है. 136 केसों का निपटारा किया गया है.
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दूसरी तरफ, 1097 मामले अदालतों में लंबित हैं. इस वक्त बिहार में MP-MLA के खिलाफ सबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं. इसके बाद केरल में 233 मामले और पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं. कई राज्यों से डेटा आना बाकी है. 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट में 6 सेशन कोर्ट और पांच मजिस्ट्रेट कोर्ट हैं. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि अब तक कई राज्यों और हाइकोर्ट जन प्रतिनिधियों के खिलाफ गंभीर अपराध वाले मुकदमों की संख्या, स्थिति आदि का ब्यौरा नहीं दिया है, जबकि सरकार ने इस बाबत उनको कई बार रिमाइंडर भी भेजा है.
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