केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट कर मुसीबत में फंसे राघव चड्ढा को मिलेगी राहत? जानें पूरा मामला

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की मानहानि के केस में आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आ सकता है.

केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट कर मुसीबत में फंसे राघव चड्ढा को मिलेगी राहत? जानें पूरा मामला

आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा (फाइल फोटो)

खास बातें

  • आपत्तिजनक ट्वीट को रीट्वीट करने का मामला
  • डीडीसीए मामले पर केजरीवाल ने किया था ट्वीट
  • जेटली ने किया 'आप' के 6 नेता पर मानहानि का केस
नई दिल्ली:

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की मानहानि के केस में आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आ सकता है. यह मामला जेटली पर किए गए ट्वीट को रीट्वीट करने का है, जिसके लिए जेटली ने दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य 'आप' नेताओं पर मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है. राघव चड्ढा की तरफ से कहा गया है कि उन्हें डीडीसीए विवाद में जेटली के खिलाफ केजरीवाल के ट्वीट को केवल री-ट्वीट करने पर आपराधिक मामले का आरोपी नहीं बनाया जा सकता. इस फैसले के आने के बाद यह चीज साफ हो जाएगी कि सोशल मीडिया के तहत आने वाली किन चीजों को दोबारा फॉरवर्ड किया जा सकता है या नहीं.

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पिछले दिनों दिल्‍ली हाईकोर्ट ने जेटली और चड्ढा की तरफ से तीन घंटे तक इस बारे में दलीलें सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब आज यह तय हो जाएगा कि किसी ट्वीट को रीट्वीट करना मानहानि के अपराध के दायरे में आएगा या नहीं. अदालत ने इस बारे में दलीलें सुनीं कि रीट्वीट करना किसी टिप्पणी के पुन: प्रकाशन के बराबर है या नहीं और ऐसे मामले सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में आएंगे या नहीं.

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चड्ढा ने अपनी याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसमें जेटली द्वारा उनके तथा 'आप' के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें आरोपी के रूप में तलब किया गया था. आप नेता का कहना है कि जेटली के खिलाफ सीएम केजरीवाल के ट्वीट को केवल रीट्वीट करने के कारण उन्हें आपराधिक मामले में शामिल नहीं किया जा सकता.

VIDEO : नेताओं में मानहानि की होड़ क्यों मची?
चड्ढा की ओर से पेश आनंद ग्रोवर ने कहा था कि पूरी शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाउनलोड रिकार्ड और एक समाचार पर आधारित है और आईपीसी के तहत मानहानि का अपराध नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि अगर यह इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड है तो यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में होगा. इस मामले में राघव के खिलाफ दिल्‍ली की पटियाला हाउस अदालत ने समन जारी करने का आदेश दिया इसको रद्द करने के लिए राघव ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट ने 25 सितंबर तक दिल्‍ली हाईकोर्ट को याचिका के निपटारे का आदेश दिया था.


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