नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश के कई इलाकों में कई दिनों से हो रही बारिश के कारण प्रदेश की कई नादियां उफान पर हैं। नर्मदा, पार्वती, चंबल, केन, तवा, तमस और सुनार नदियां उफान पर हैं। इससे कई मार्गों पर आवागमन प्रभावित हो गया है।
प्रदेश में बारिश का सबसे ज़्यादा असर सतना जिले में देखने को मिल रहा है, जिले के निचले इलकों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। बाढ़ की वजह से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। अधिकांश बस्तियों में पानी भर गया है।
सतना में पानी में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए और उन तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। आलम यह है कि बस्तियों और गांव में नाव चल रही है और मदद के लिए सेना भी बुलाई गई है। सतना जिले में तीन दिनों में हुई बारिश ने यहां के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। बाढ़ नियंत्रण अधिकारी और होमगार्ड की कमांडेंट मधुराजे तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि जिले के तिजेला, कुपालपुर, उचवा टोला सहित कई गांव में पानी भर गया है। बीते दो दिनों में इन गांवों से एक हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। तिवारी के अनुसार, जिले की स्थिति में सुधार आ रहा है, लेकिन अब भी कई बस्तियों और गांव में पानी भरा हुआ है, यहां फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ खाद्य सामग्री व पीने का पानी पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लिया जा रहा है। गांव व बस्ती में भरे पानी में नाव ही घरों तक पहुंचने का साधन है। उन्होंने बताया कि जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए जबलपुर से सेना बुलाई गई है। सेना यहां गुरुवार को पहुंची।
वहीं बारिश के पानी को रोकने के लिए जो बांध बनाए गए थे वो पहली ही बारिश में बह गए। इनमें से एक सेरोह बांध इटवा गांव में 27 करोड़ की लागत से बनवाया गया था। दूसरा बांध बिलपुरा गांव में 11 करोड़ की लागत से बनाया गया था। दोनों बांध जल संसाधन विभाग ने बनवाए थे। कहा जा रहा है कि घटिया निर्माण की वजह से ये बांध पहली ही बारिश में बह गए। जिन इलाकों में ये बांध बनाए गए थे उनके आसपास बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।
(इनपुट IANS से भी)
प्रदेश में बारिश का सबसे ज़्यादा असर सतना जिले में देखने को मिल रहा है, जिले के निचले इलकों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। बाढ़ की वजह से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। अधिकांश बस्तियों में पानी भर गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
सतना में पानी में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए और उन तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। आलम यह है कि बस्तियों और गांव में नाव चल रही है और मदद के लिए सेना भी बुलाई गई है। सतना जिले में तीन दिनों में हुई बारिश ने यहां के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। बाढ़ नियंत्रण अधिकारी और होमगार्ड की कमांडेंट मधुराजे तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि जिले के तिजेला, कुपालपुर, उचवा टोला सहित कई गांव में पानी भर गया है। बीते दो दिनों में इन गांवों से एक हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
पन्ना में ढहे करोड़ों के बांध
वहीं बारिश के पानी को रोकने के लिए जो बांध बनाए गए थे वो पहली ही बारिश में बह गए। इनमें से एक सेरोह बांध इटवा गांव में 27 करोड़ की लागत से बनवाया गया था। दूसरा बांध बिलपुरा गांव में 11 करोड़ की लागत से बनाया गया था। दोनों बांध जल संसाधन विभाग ने बनवाए थे। कहा जा रहा है कि घटिया निर्माण की वजह से ये बांध पहली ही बारिश में बह गए। जिन इलाकों में ये बांध बनाए गए थे उनके आसपास बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।
Small bridge on Dhasan River near Tikamgarh-Sagar road washes away due to heavy rainfall causing a traffic jam. pic.twitter.com/sAbVWHMtJ1
— ANI (@ANI_news) July 8, 2016
Damoh (MP): Truck washed away while crossing a water logged bridge; driver and conductor missing, rescue op underway pic.twitter.com/JCsrfvgY0g
— ANI (@ANI_news) July 8, 2016
(इनपुट IANS से भी)
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